दिल्ली में 40 प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने से, लेकिन विपक्ष इसे मानने को तैयार नहीं: गोपाल राय

इस साल पराली जलाने की घटनाएं बहुत तेजी के साथ बढ़ी हैं. (फाइल फोटो)
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Gopal Rai) ने कहा, ‘हम बार-बार कह रहे हैं कि दिल्ली में दिवाली के आसपास प्रदूषण के गंभीर श्रेणी में पहुंचने के लिए पराली जलाना एक प्रमुख कारण है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी चार से छह प्रतिशत है, जबकि आंकड़ों के अनुसार यह 40 प्रतिशत है’
- News18Hindi
- Last Updated: November 2, 2020, 5:01 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Gopal Rai) ने पराली जलाए जाने (Stubble Burning) के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली के प्रदूषण (Delhi Pollution) में पराली जलाने की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है, लेकिन विपक्षी दल इसे मानने को तैयार नहीं. सोमवार को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी रविवार को बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है, जो इस मौसम का अधिकतम है.
इससे पहले शनिवार को प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी 32 प्रतिशत, शुक्रवार को 19 प्रतिशत और गुरुवार को 36 प्रतिशत थी.
राय ने दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सभी 272 वार्डों में ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान की शुरुआत करते हुए पत्रकारों से कहा, ‘हम बार-बार कह रहे हैं कि दिल्ली में दिवाली के आसपास प्रदूषण के गंभीर श्रेणी में पहुंचने के लिए पराली जलाना एक प्रमुख कारण है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी चार से छह प्रतिशत है, जबकि आंकड़ों के अनुसार यह 40 प्रतिशत है.’ उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जैव अपशिष्ट जलाने, वाहनों से होने वाले प्रदूषण और धूल प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, लेकिन हम पराली जलाने के मामलों के लिए क्या करें?
‘सफर’ के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल एक नवंबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत थी. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपग्रहों से ली गई तस्वीरों में दिख रहा है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्सों में पराली जल रही है.
वायु प्रदूषण के साथ कोविड-19 ने स्थिति को ‘घातक’ बनाया
राय ने कहा कि वायु प्रदूषण के साथ कोविड-19 ने स्थिति को ‘घातक’ बना दिया है और नए आयोगों के गठन से अधिक जरूरी जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करना है.
केंद्र सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश के माध्यम से नया कानून पेश किया था, जो वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक शक्तिशाली आयोग का गठन करता है.
राजस्थान के पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर गोपाल राय ने कहा कि ‘एयर शेड’ के अनुसार प्रदूषण का आकलन किया जाता है. एक साथ मिलकर कदम उठाने की जरूरत है. दिल्ली में, बार-बार यह कहा जा रहा है कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मामलों की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, केंद्र और राज्य सरकारों से हमें यह जवाब मिल जाता है कि पराली जालने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
दिल्ली में, प्रशासन ने पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित ‘बायो डीकम्पोजर’ का बासमती चावल के खेतों के अलावा सभी खेतों पर छिड़काव किया है, ताकि पराली जलाने से बचा जाए.
राय ने कहा कि इसके शुरुआती नतीजे काफी सकारात्मक हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चार नवंबर को इसकी जमीनी स्थिति का आकलन करेंगे. उन्होंने कहा कि हम सभी राज्यों और केंद्र सरकार से कहना चाहते हैं कि ‘बायो डीकम्पोजर’ से सस्ता कोई विकल्प नहीं है. हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वो खुद देखें कि यह कैसे काम करता है. (भाषा से इनपुट)
इससे पहले शनिवार को प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी 32 प्रतिशत, शुक्रवार को 19 प्रतिशत और गुरुवार को 36 प्रतिशत थी.
राय ने दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सभी 272 वार्डों में ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान की शुरुआत करते हुए पत्रकारों से कहा, ‘हम बार-बार कह रहे हैं कि दिल्ली में दिवाली के आसपास प्रदूषण के गंभीर श्रेणी में पहुंचने के लिए पराली जलाना एक प्रमुख कारण है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी चार से छह प्रतिशत है, जबकि आंकड़ों के अनुसार यह 40 प्रतिशत है.’ उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जैव अपशिष्ट जलाने, वाहनों से होने वाले प्रदूषण और धूल प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, लेकिन हम पराली जलाने के मामलों के लिए क्या करें?
‘सफर’ के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल एक नवंबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत थी. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपग्रहों से ली गई तस्वीरों में दिख रहा है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्सों में पराली जल रही है.

दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू किए जा रहे हैं (फाइल फोटो)
वायु प्रदूषण के साथ कोविड-19 ने स्थिति को ‘घातक’ बनाया
राय ने कहा कि वायु प्रदूषण के साथ कोविड-19 ने स्थिति को ‘घातक’ बना दिया है और नए आयोगों के गठन से अधिक जरूरी जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करना है.
केंद्र सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश के माध्यम से नया कानून पेश किया था, जो वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक शक्तिशाली आयोग का गठन करता है.
राजस्थान के पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर गोपाल राय ने कहा कि ‘एयर शेड’ के अनुसार प्रदूषण का आकलन किया जाता है. एक साथ मिलकर कदम उठाने की जरूरत है. दिल्ली में, बार-बार यह कहा जा रहा है कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मामलों की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, केंद्र और राज्य सरकारों से हमें यह जवाब मिल जाता है कि पराली जालने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
दिल्ली में, प्रशासन ने पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित ‘बायो डीकम्पोजर’ का बासमती चावल के खेतों के अलावा सभी खेतों पर छिड़काव किया है, ताकि पराली जलाने से बचा जाए.
राय ने कहा कि इसके शुरुआती नतीजे काफी सकारात्मक हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चार नवंबर को इसकी जमीनी स्थिति का आकलन करेंगे. उन्होंने कहा कि हम सभी राज्यों और केंद्र सरकार से कहना चाहते हैं कि ‘बायो डीकम्पोजर’ से सस्ता कोई विकल्प नहीं है. हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वो खुद देखें कि यह कैसे काम करता है. (भाषा से इनपुट)