नई दिल्ली. वेस्ट दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन (Mundka Metro Station) के पास कल शुक्रवार को हुए भीषण अग्निकांड में 27 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 60 से ज्यादा लोग आग में घायल हो गए. इस दर्दनाक हादसे पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंंद, पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमितशाह, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन समेत तमाम लोगों ने अपनी गहरी संवेदना और दु:ख जताया है. पीएम राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने का ऐलान भी किया गया है.
उधर, इलेक्ट्रानिक सामान के गोदाम खासकर सीसीटीवी कैमरे बनाने और पैकिंग आदि के लिए प्रयोग होने वाले इस व्यवसायिक परिसर में हुए भीषण अग्निकांड के लिए कंपनी के मालिक हरीश गोयल और वरुण गोयल को कल शुक्रवार देर रात्रि में ही दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.
हालांकि प्रॉपर्टी का ऑनर मनीष लाकड़ा अभी फरार बताया जाता है. लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने इस मामले पर बड़ी कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज कर लिया है. दिल्ली पुलिस के आउटर जिला के मुंडका थाना में आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया कर लिया गया है.
आउटर जिला डीसीपी समीर शर्मा के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने इस घटना को लेकर आईपीसी की विभिन्न धाराओं 304/308/120/34 के तहत एफआईआर नं. 462/22 दर्ज की है.
बताते चलें कि घटनास्थल पर अभी भी राहत और बचाव कार्य चल रहा है. वहीं घायलों को संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल और दूसरे अन्य अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा गया है. जहां पर उनका इलाज चल रहा है. हालांकि बहुत से परिजन कुछ लोगों के लापता होने को लेकर अभी परेशान है. उनको घटना के करीब 15 घंटे बीत जाने के बाद भी पता नहीं चल पा रहा है कि वो कहां पर हैं.
इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
-धारा 304-ए आईपीसी लापरवाही के कारण हुई मौत से संबंधित है. (जो कोई भी लापरवाही भरा काम करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, जो गैर इरादतन मानव हत्या की श्रेणी में नहीं आता, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा.
-भारतीय दंड संहिता की धारा 308 के अनुसार, जो भी कोई इस तरह के इरादे या बोध के साथ ऐसी परिस्थितियों में कोई कार्य करता है, जिससे वह किसी की मृत्यु का कारण बन जाए, तो वह गैर इरादतन हत्या (जो हत्या की श्रेणी में नही आता) का दोषी होगा, और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा. और, यदि इस तरह के कृत्य से किसी व्यक्ति को चोट पहुँचती है, तो अपराधी को किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा.
-धारा 120 आईपीसी – कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना.
-भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के अनुसार, जब एक आपराधिक कृत्य सभी व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से किया हो, तो प्रत्येक व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए जिम्मेदार होता है जैसे कि अपराध उसके अकेले के द्वारा ही किया गया हो.
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