नई दिल्ली. दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर कृषि कानून (Agriculture Law) के खिलाफ डटकर बैठे किसान (Farmers) अकेले केन्द्र सरकार के लिए ही चिंता का सबब नहीं बने हैं, किसानों ने दिल्ली के भोजनालयों के मालिकों की भी नींद उड़ा दी है. पंजाब के किसानों की सेवा में जो लंगर शुरू किए गए हैं उनमें सिर्फ किसान ही नहीं दिल्ली और उसके आस-पास के लोग भी भोजन करने पहुंच रहेे हैं. इससे स्थानीय भोजनालय और ढाबों पर कोई खाना खाने ही नहीं पहुंच रहा है. जिसे भूख लगती है वह भोजनालय जाने की बजाय किसानों के लंगर में पहुंचकर भोजन कर लौट आता है. इससे अधिकांश खाने के रेस्टोरेंट, ढाबे या तो बंदी की कगार पर पहुंचने लगे हैं, या फिर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
भोजनालयों की आर्थिक स्थिति हुई खराब यहां करीब दो माह से राजमार्ग प्रदर्शनकारियों से भरा हुआ है. बहरहाल, चौबीसों घंटे लंगर सेवा चलने, उद्योगों के बंद होने और लोगों तथा वाहनों की आवाजाही कम हो जाने से दिल्ली-हरियाणा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कई भोजनालयों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है. सिंघू बॉर्डर पर सडक़ के किनारे स्थित राजपूताना रेस्तरां के मालिक को लगने लगा कि वह कोविड-19 महामारी के सबसे खराब आर्थिक संकट से उबर चुके हैं, लेकिन उसी दौरान तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन शुरू हो जाने के बाद बॉर्डर पर लंगर सेवा चलने लगी. इसके बाद इस रेस्तरां के साथ साथ स्थानीय होटल पुन: आर्थिक संकट से गुजरने लगे.
तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है
होटल मालिक का यह कहना है
राजपूताना होटल के मालिक ओम प्रकाश राजपूत कहते हैं, 'लोग यहाँ भोजन करने क्यों आएंगे, जब उन्हें लंगरों में मुफ्त भोजन मिल रहा है? कैसा व्यवसाय? कोई भी नहीं आता है. मैं इस दुकान के लिए 35,000 रुपये किराए का भुगतान कर रहा हूं और यहां आठ कर्मचारी हैं. बिना किसी आय के मैं कब तक कर्मचारियों के वेतन और किराए का प्रबंध कर सकता हूं? यदि यह स्थिति बनी रही, तो मेरे पास इसे बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा?'
भोजनालय बंद करने को लेकर कही यह बात रेस्तरां के एक रसोइए, बिहार निवासी मोहम्मद अहसान की मानें तो होटल के मालिक राजपूत ने उन्हें बताया कि वह अगले महीने भोजनालय बंद कर देंगे. एहसान का वेतन 17,000 रुपये से घटकर 14,000 रुपये हो गया है और अब वह नई नौकरी की तलाश कर रहा है.
हजारों किसान 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
ऐसी ही हालत एक अन्य छोटे भोजनालय पंजाबी जायका की है, जिसकी हर दिन की बिक्री 1,200 रुपये से भी कम हो गई है. इस होटल के भविष्य पर भी तलवार लटकने लगी है. ऐसे एक दो भोजनालय नहीं हैं. यहां पर कई भोजनालयों का यही हाल है.
कृषि कानून के विरोध में बैठे हैं किसान हजारों किसान 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं. किसानों की मांग है कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए. यहां किसानों के समर्थन में कई संगठनों ने अपने लंगर लगा दिए हैं. इन्हीं में किसानों को भरपूर भोजन की व्यवस्था की गई है. इन्हीं लंगरों में दिल्ली और आस पास के लोग भी भोजन करने पहुंच रहे हैं. किसी को भी भोजन करने से नहीं रोका जा रहा है. यही करण है कि भोजनालयों में कोई खाने खने नहीं पहुंच रहा है.