दिल्ली के केंद्र में शुष्क और हरेभरे जंगल या क्षेत्र को रिज एरिया कहा जाता है. (पीटीआई फाइल फोटो)
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि दिल्ली का रिज वाला इलाका फेफड़े की तरह काम करता है और शहर के लोगों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराता है. न्यायालय ने दिल्ली विकास प्रधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिया कि वह रिज वाले इलाके में ऐसी कोई जमीन आवंटित ना करे जिसे सुरक्षित/संरक्षित क्षेत्र के रूप में अधिूसचित माना जाता है. न्यायालय ने यह माना कि रिज के उन क्षेत्रों की पहचान करने में कुछ दिक्कतें आ रही हैं जो अधिसूचित नहीं है, लेकिन उनकी विशेषताएं रिज जैसी ही हैं.
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह न्यूनतम संयुक्त सचिव स्तर के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी, दिल्ली वन विभाग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और डीडीए के एक-एक प्रतिनिधियों तथा रिज प्रबंधन बोर्ड के एक नामित सदस्य को लेकर समिति का गठन करे जो अधिसूचित रिज के रूप में संरक्षित क्षेत्र की पहचान तय करने का तरीका तलाशेंगे.
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न्यायालय ने कहा कि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी समिति के अध्यक्ष और संयोजक होंगे और यह समिति 15 मार्च को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपेगी. पीठ ने कहा, ‘इसपर संदेह नहीं किया जा सकता है कि दिल्ली में रिज फेंफड़े की तरह काम करता है जो दिल्ली के लोगों को ऑक्सीजन देता है. इस अदालत ने अपने… तारीख के आदेश में यह कहा था कि ना सिर्फ अधिसूचित रिज, बल्कि उसकी विशेषताओं से युक्त अन्य इलाकों को भी संरक्षित किया जाए और वहां निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.’
पीठ ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि रिज के उन क्षेत्रों की पहचान करने में कुछ दिक्कतें आ रही हैं जो अधिसूचित नहीं हैं लेकिन उनकी विशेषताएं (रिज के) सामान हैं.’ पीठ ने कहा, ‘हम यह भी निर्देश देते हैं कि अगले आदेशों तक, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) उन क्षेत्रों में निर्माण की अनुमति नहीं देगा जिन्हें अधिसूचित करने पर विचार किया जा रहा है.’
दरअसल, वित्त मंत्रालय के राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने वसंत कुंज में डीआरआई मुख्यालय के कार्यालय भवन के निर्माण के लिए 6,200 वर्ग मीटर मोफरेलॉजिकल रिज क्षेत्र के डायवर्जन की अनुमति के लिए एक आवेदन दायर किया था और डीडीए ने डीआरआई को जमीन आवंटित की थी. डीआरआई के वकील ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल, सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी ने उस पर 500 पेड़ लगाने की शर्त रखी है और उसके निर्देश हैं कि वे 1,000 पेड़ लगाने के लिए तैयार हैं. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने डीआरआई द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया.
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