Kisan Andolan: किसान 40 दिन पहले ही तय कर चुके हैं आंदोलन से जुड़ी यह तीन बातें

कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार 10वे दिन शनिवार को भी किसानों का प्रदर्शन जारी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर-AP)
दिल्ली के बॉर्डर प्वाइंट पर पंजाब (Punjab), हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों का प्रदर्शन (Farmer Protest) लगातार 10वें दिन भी जारी है. किसान नेताओं और सरकार के बीच गुरुवार को हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका था.
- News18Hindi
- Last Updated: December 5, 2020, 11:56 AM IST
नई दिल्ली. दिल्ली के बॉर्डर (Delhi Border) पर किसान आंदोलन का बेशक आज 10वां दिन है, लेकिन दिल्ली के अंदर और बॉर्डर पर होने वाले आंदोलन की स्क्रिप्ट 40 दिन पहले ही लिखी जा चुकी है. खास बात यह है कि ये स्क्रिप्ट बहुत ज़्यादा लंबी-चौड़ी न होकर सिर्फ तीन लाइनों की है. इसी तीन लाइन पर किसान आंदोलन (Kisan Andolan) चल रहा है और आगे भी चलना है. ऐसा उस मीटिंग में तय हो चुका है, जहां यह स्क्रिप्ट लिखी गई थी. यही वजह है कि स्क्रिप्ट के मुताबिक ही किसान (Farmer) अपने साथ 6 महीने का राशन साथ लेकर चले हैं.
26 अक्टूबर को दिल्ली में लिखी गई थी स्क्रिप्ट
किसान आंदोलन से जुड़े एक नेता के मुताबिक, 26 अक्टूबर को दिल्ली में किसानों की एक मीटिंग बुलाई गई थी. मीटिंग में सभी अलग-अलग किसान संगठनों के 240 लोग जमा हुए थे. इसी मीटिंग में 26 नवंबर से शुरू होने वाले आंदोलन को लेकर कुछ अहम बातें चर्चा में आई थी. मीटिंग के दौरान ही तय हुआ था कि आंदोलन के दौरान सरकार के साथ होने वाली किसी भी स्तर की बातचीत में 3-4 नहीं कम से कम 30-40 लोग जाएंगे.
बड़ी खबर: दिल्ली में बचा है सिर्फ 3 से 4 दिन का स्टॉक, कीमतों में आ सकती है जोरदार तेजीइसके साथ ही तय हुआ कि किसान सिर्फ सरकार की वहीं बात मानेंगे जिसमें वो कहेगी कि हम किसानों की मांग ज्यों की त्यों मान रहे हैं. और तीसरी सबसे अहम यह बात रखी गई थी कि मांग न माने जाने पर हमें किसी भी हाल में पीछे नहीं हटना है. इसके लिए हम कम से कम 6 महीने का राशन साथ लेकर चलेंगे.
एमएसपी पर सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह किसान यूनियनों द्वारा की गई मांगों पर विचार कर रहा है और शनिवार को होने वाली पांचवें दौर की वार्ता में सफलता का विश्वास व्यक्त किया है. बैठक की पूर्व संध्या पर अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए, आंदोलनकारी किसानों ने 8 दिसंबर को 'भारत बंद' की घोषणा की और विरोध प्रदर्शन तेज करने की धमकी दी.

News18 को दिए एक साक्षात्कार में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'मैं किसानों को विश्वास दिलाता हूं कि एमएसपी में कोई बदलाव नहीं होगा. अगर किसान संघ चाहे तो हम इसे लिखित रूप में देने के लिए तैयार हैं. कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) को मजबूत करना भी हमारी प्राथमिकता है.'
26 अक्टूबर को दिल्ली में लिखी गई थी स्क्रिप्ट
किसान आंदोलन से जुड़े एक नेता के मुताबिक, 26 अक्टूबर को दिल्ली में किसानों की एक मीटिंग बुलाई गई थी. मीटिंग में सभी अलग-अलग किसान संगठनों के 240 लोग जमा हुए थे. इसी मीटिंग में 26 नवंबर से शुरू होने वाले आंदोलन को लेकर कुछ अहम बातें चर्चा में आई थी. मीटिंग के दौरान ही तय हुआ था कि आंदोलन के दौरान सरकार के साथ होने वाली किसी भी स्तर की बातचीत में 3-4 नहीं कम से कम 30-40 लोग जाएंगे.
बड़ी खबर: दिल्ली में बचा है सिर्फ 3 से 4 दिन का स्टॉक, कीमतों में आ सकती है जोरदार तेजीइसके साथ ही तय हुआ कि किसान सिर्फ सरकार की वहीं बात मानेंगे जिसमें वो कहेगी कि हम किसानों की मांग ज्यों की त्यों मान रहे हैं. और तीसरी सबसे अहम यह बात रखी गई थी कि मांग न माने जाने पर हमें किसी भी हाल में पीछे नहीं हटना है. इसके लिए हम कम से कम 6 महीने का राशन साथ लेकर चलेंगे.
एमएसपी पर सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह किसान यूनियनों द्वारा की गई मांगों पर विचार कर रहा है और शनिवार को होने वाली पांचवें दौर की वार्ता में सफलता का विश्वास व्यक्त किया है. बैठक की पूर्व संध्या पर अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए, आंदोलनकारी किसानों ने 8 दिसंबर को 'भारत बंद' की घोषणा की और विरोध प्रदर्शन तेज करने की धमकी दी.
News18 को दिए एक साक्षात्कार में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'मैं किसानों को विश्वास दिलाता हूं कि एमएसपी में कोई बदलाव नहीं होगा. अगर किसान संघ चाहे तो हम इसे लिखित रूप में देने के लिए तैयार हैं. कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) को मजबूत करना भी हमारी प्राथमिकता है.'