इस पायलट परियोजना के तहत पहले फेज में सेंट्रल रिज के 10 हेक्टेयर भूमि पर कार्य शुरू किया जाएगा.
नई दिल्ली. दिल्ली में आबोहवा को नुकसान पहुंचा रहे विलायती कीकर (Kikar Tree) की अब खैर नहीं. दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Gopal Rai) ने विदेशी कीकर को हटाने का फैसला किया है. गोपाल राय ने बुधवार को जैव विविधता संवर्धन के माध्यम से पारिस्थितकी बहाली के कार्य की समीक्षा के लिए सेंट्रल रिज का दौरा किया. इस मौके पर राय ने कहा कि आज हम प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. दिल्ली में बढ़ रही विदेशी कीकर को हटाकर स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाने का काम आज से शुरू किया जा रहा है. इस परियोजना में कैनोपी लिफ्टिंग विधि से विदेशी कीकर को हटाने का कार्य किया जाएगा. इस पायलट परियोजना के तहत पहले फेज में सेंट्रल रिज के 10 हेक्टेयर भूमि पर कार्य शुरू किया जाएगा.
दिल्ली के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए विभाग की ओर से इस कार्य की शुरुआत पहले चरण में 10 हेक्टेयर भूमि पर की जा रही हैं. आगे इस अभियान के तहत साढ़े सात हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्बहाल किया जाएगा. इस मौके पर गोपाल राय ने बताया कि परियोजना के तहत सबसे पहले सेंट्रल रिज क्षेत्र को कट रुट स्टॉक विधि के द्वारा विलायती किकर से मुक्त किया जाएगा, क्योंकि यह देखा गया है कि विदेशी प्रजातियों का विस्तार आक्रामक रूप से बढ़ रहा हैं. इस विस्तार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए विदेशी कीकर को हटाकर स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाने का काम आज से शुरू कर दिया गया है.
विलायती कीकर कितना नुकसानदेह है?
विलायती कीकर धरती और जल का ही नहीं बल्कि इंसान और बेजुबानों जानवरों का भी बड़ा दुश्मन है. दिल्ली- एनसीआर में बहुतायात में मिलने के कारण यह आबोहवा में ही घुलकर दिल्लीवासियों को श्वास और एलर्जी सरीखी बीमारियों का शिकार बना रहा है. यह और इसी प्रजाति के अन्य पेड़- पौधे इलेलोपैथी नाम का रसायन छोड़ते हैं. यह रसायन आस-पास किसी अन्य वनस्पति के पेड़-पौधे को पनपने ही नहीं देते. इस रसायन से जमीन की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित होती है और भूजल का स्तर भी नीचे चला जाता है.
विदेशी कीकर की जगह ये पौधे लगाए जाएंगे
बता दें कि दिल्ली में जिन स्थानों पर विलायती कीकर नहीं हैं, वहां पर स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाने का काम भी शुरू कर दिया गया है. इसमें मुख्य रूप से हिंगोट, बरगद, बहेड़ा, गोभी, चमरौद, पिलखन, अमलतास, शहतूत, पलाश, देशी बबूल, खैर, करेली, गूलर, हरसिंगार जैसे पौधे शामिल हैं. साथ ही घटबोड़, कड़ीपत्ता, शतावरी, करोंदा, अश्वगंधा, झरबेरे, कढीपत्ता इत्यादि झाड़ियां भी लगाई जाएंगी. दिल्ली में 14 नर्सरी हैं, जहां सेंट्रल रिज के लिए पेड़ों, झाड़ियों, जड़ी-बूटियों की लगभग 60 पौधों की प्रजातियों को तैयार किया जाएगा.
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गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर में आबोहवा को नुकसान पहुंचा रहे विलायती कीकर सहित अन्य हानिकारक विदेशी पेड़-पौधों को लेकर केंद्र सरकार ने हाल ही में एक विशेष कमेटी का गठन किया था. यह कमेटी अपनी रिपोर्ट में इन सभी हानिकारक पेड़-पौधों से वनस्पति और जलवायु बचाने के लिए रिपोर्ट और कार्ययोजना दोनों तैयार कर रही है.
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