दिल्ली एम्स में हाल ही में साइबर अटैक में करीब 4 करोड़ मरीजों का डेटा चोरी हो गया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. हाल ही में दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का ऑनलाइन सिस्टम हैकरों का शिकार बन गया. अस्पताल में ऑनलाइन सिस्टम पर साइबर अटैक कर करीब 4 करोड़ मरीजों का डेटा चोरी कर लिया गया. जिन मरीजों का डेटा चोरी किया गया है, उनमें ओपीडी मरीजों के अलावा एम्स में इलाज करा चुके देश के पूर्व प्रधानमंत्री के अलावा मौजूदा नेताओं के इलाज का डेटा भी शामिल है. अब तक का सबसे बड़ा मेडिकल हैक होने के कारण सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि क्या इससे एम्स में इलाज करा रहे मरीजों को दिक्कत होगी?
दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र न्यूज18 हिंदी से बातचीत में बताते हैं कि करीब 8 साल पहले दिल्ली एम्स के डेटा को डिजिटल करने का काम शुरू हुआ था. अभी तक ओपीडी के सभी आंकड़ों का डिजिटलीकरण कर लिया गया था. इतना ही नहीं अब जो रोजाना ओपीडी के केसेज आ रहे थे वे भी सभी डिजिटली दर्ज थे. हालांकि जानकारी के मुताबिक अभी तक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होने वाले मरीजों का डेटा डिजिटल नहीं किया जा सका.
डॉ. मिश्रा कहते हैं कि ओपीडी के लिए आए मरीजों की बेसिक जानकारी इस डेटा में रहती है, उनके उपचार संबंधी जानकारी उनके ओपीडी कार्ड पर ही होती है, ऐसे में चिकित्सा और इलाज के लिहाज से तो यहां पहले से इलाज करा रहे ओपीडी मरीजों को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, जिनका डेटा चोरी हुआ है लेकिन उनकी पर्सनल डिटेल्स और फोन नंबर आदि रहते हैं तो वे चोरी हुए हैं तो इसका जो भी नुकसान है वह हो सकता है. साथ ही मरीजों को अपॉइंटमेंट आदि करने में भी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
पूर्व निदेशक कहते हैं कि चूंकि भर्ती होने वाले सभी मरीजों के डेटा में उनकी बीमारी के अलावा, जांच और इलाज की पूरी हिस्ट्री और रिपोर्ट रहती हैं, मरीज की पूरी जानकारी होती है, लिहाजा अगर वह डेटा चोरी होता है तो मरीज को इलाज में दिक्कतें हो सकती हैं लेकिन चूंकि एडमिशन वाले मरीजों के डेटा का अभी डिजिटलीकरण नहीं हुआ है और वह अभी भी मैनुअली ही इस्तेमाल किया जा रहा है तो उन्हें इस साइबर अटैक से खास नुकसान नहीं होगा.
डॉ. मिश्रा कहते है इस डेटा के चोरी होने से एम्स प्रशासन और कर्मचारियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ सकती है. कितने लंबे समय से एम्स प्रशासन डिजिटलीकरण कराकर आंकड़ों को सुरक्षित कर रहा है, अब फिर से डेटा दर्ज तो करना ही पड़ेगा, ऊपर से मेनुअली डेटा से काम चलाना होगा, लिहाजा यह घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए.
बता दें कि इस मामले में गुरुवार को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसे लेकर दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये साइबर आतंक से जुड़ा मामला हो सकता है. इस साइबर अटैक की वजह से पिछले दो दिनों से एम्स का सर्वर भी डाउन है और मरीजों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में परेशानियां हो रही हैं.
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