आखिर क्यों हुआ किसानों का हुड़दंग और किसने किया अच्छा काम, जानिए दिल्ली के इन 4 पूर्व कमिश्नरों की राय

दिल्ली के कई पूर्व पुलिस कमिश्नरों ने दिल्ली पुलिस की जमकर तारीफ की है.(फाइल फोटो)
दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा (Ajay Raj Sharma), आरएस गुप्ता (RS Gupta), नीरज कुमार (Neeraj Kumar) और भीमसेन बस्सी (Bhim Sain Bassi) जैसे पूर्व आईपीएस अधिकारियों (IPS Officers) ने न्यूज 18 हिंदी से 26 जनवरी की घटना पर अपने पूर्व के अनुभवों के साथ विस्तार से बात की.
- News18Hindi
- Last Updated: January 28, 2021, 11:31 PM IST
नई दिल्ली. 26 जनवरी को राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर परेड (Farmers Tractor Parade) के दौरान हुई हिंसा (Violence) को लेकर लगातार प्रतिक्रयाएं आ रही हैं. खासकर लाल किले (Red Fort) पर तिरंगे (Tricolor) के अपमान पर लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. इस बीच दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की भूमिका को लेकर भी तरह-तरह की बातें हो रही हैं. किसान संगठनों और विपक्षी नेताओं ने जहां दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं दिल्ली के कई पूर्व पुलिस कमिश्नरों (Commissioner of Police, Delhi) ने दिल्ली पुलिस की जमकर तारीफ की है. हालांकि, कुछ पूर्व कमिश्नरों का मानना है कि दिल्ली पुलिस और बेहतर तरीके से स्थिति को कंट्रोल कर सकती थी. दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा (Ajay Raj Sharma), आरएस गुप्ता (RS Gupta), नीरज कुमार (Neeraj Kumar) और भीमसेन बस्सी (Bhim Sain Bassi) जैसे पूर्व आईपीएस अधिकारियों (IPS Officers) ने न्यूज 18 हिंदी से 26 जनवरी की घटना पर अपने पूर्व के अनुभवों के साथ विस्तार से बात की.
अजय राज शर्मा- तय समय से पहले परेड नहीं निकलने दी जाती तो हालात नहीं बिगड़ते
'दिल्ली पुलिस बहुत ही मुश्किल प्रोग्राम को डील कर रही थी. जो हालात थे वह बहुत ही मु्श्किल थे. दिल्ली पुलिस खुलकर कार्रवाई नहीं कर सकती थी. पुलिस अगर गोली चला देती तो उसके परिणाम बहुत खराब होते. दिल्ली पुलिस ने काफी संतुलन बनाए रखा. बहुत चोटें खाईं मगर अपना संयम नहीं खोया ये तो दिल्ली पुलिस की तारीफ की बात हुई. लेकिन एक बार खटक रही है कि जब दिल्ली पुलिस का किसान संगठनों से समझौता हो गया था 12 बजे जुलूस निकलेगा तो सवेरे 8.30 बजे से 9 बजे के बीच कैसे निकल गया? पूरी गलती तो आंदोलनकारी किसानों की है, जिन्होंने जो समझौता किया वह तोड़ दिया. मगर दिल्ली पुलिस का भी काम था न कि जो किसान पहले निकले हैं उनको रोके.'
नीरज कुमार- आंदोलन अगर अब खत्म हो जाता है तो बहुत बड़ा श्रेय दिल्ली पुलिस को जाएगा
'दिल्ली पुलिस ने अपने आप पर बहुत ही नियत्रंण रखा. दिल्ली पुलिस ने कभी भी कोई ऐसा फोर्स इस्तेमाल नहीं किया जो जरूरत से ज्यादा हो. अगर जरा सी चूक हो जाती जैसे गोली चला दी गई होती या किसी को बहुत ज्यादा मारपीट दिया गया होता तो फिर पूरा पुलिस एक्शन डिसक्रेडिट हो जाता. दिल्ली पुलिस के जवान खुद ही लाठी खाते रहे और अपनी जान बचाते रहे. दिल्ली पुलिस के कई जवानों को चोट आई हैं यह एक उदाहरण है. अगर यह आंदोलन खत्म हो जाता है तो बहुत बड़ा श्रेय दिल्ली पुलिस को जाएगा.'
बीएस बस्सी- दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को बहुत ही सराहनीय काम किया
'दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को जिस तरह से स्थिति को नियंत्रित किया है वह वाकई में सराहनीय काम है. दिल्ली पुलिस की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है'

आरएस गुप्ता- किसानों ने जवानों के साथ बहुत ज्यादतियां की
'दिल्ली पुलिस ने किसानों को बड़ी इज्जत देते हुए संयम भी बरता, लेकिन किसानों ने जवानों के साथ बहुत ज्यादती की. मैं समझता हूं अक्सर पुलिस की ज्यादतियां सुनने को आती है, लेकिन 26 जनवरी को हमारे समाज के एक महत्वपूर्ण अंग हैं उनकी ज्यादतियां देखने को मिलीं. दिल्ली पुलिस ने सारी ज्यादतियों को सहा. मैं समझता हूं कि यह काफी मैच्योर डिसीजन था यह काफी सराहनीय है.'
ये भी पढ़ें: Driving License: अब तत्काल सेवा से बनाएं ड्राइविंग लाइसेंस, रेल टिकट और पासपोर्ट की तरह घर बैठे बनेगा DL
मौजूदा पुलिस कमिश्नर ने कही यह बात
कुल मिलाकर 26 जनवरी की घटना को लेकर कई पूर्व पुलिस कमिश्नरों ने दिल्ली पुलिस की सराहना की है. दिल्ली पुलिस ने भी 26 जनवरी को भड़की हिंसा को लेकर बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति को स्पष्ट कर दिया. दिल्ली पुलिस के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने घटना के बारे में बताया कि आखिर हिंसा कब और कैसे भड़की? उन्होंने किसानों से समझौता तोड़ने सहित कई और भी आरोप लगाए. साथ ही कहा कि किसानों ने 26 जनवरी को पुलिस के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर पुलिस बैरिकेड को तोड़कर हिंसक घटनाएं को अंजाम दिया जो अक्षम्य है.
अजय राज शर्मा- तय समय से पहले परेड नहीं निकलने दी जाती तो हालात नहीं बिगड़ते
'दिल्ली पुलिस बहुत ही मुश्किल प्रोग्राम को डील कर रही थी. जो हालात थे वह बहुत ही मु्श्किल थे. दिल्ली पुलिस खुलकर कार्रवाई नहीं कर सकती थी. पुलिस अगर गोली चला देती तो उसके परिणाम बहुत खराब होते. दिल्ली पुलिस ने काफी संतुलन बनाए रखा. बहुत चोटें खाईं मगर अपना संयम नहीं खोया ये तो दिल्ली पुलिस की तारीफ की बात हुई. लेकिन एक बार खटक रही है कि जब दिल्ली पुलिस का किसान संगठनों से समझौता हो गया था 12 बजे जुलूस निकलेगा तो सवेरे 8.30 बजे से 9 बजे के बीच कैसे निकल गया? पूरी गलती तो आंदोलनकारी किसानों की है, जिन्होंने जो समझौता किया वह तोड़ दिया. मगर दिल्ली पुलिस का भी काम था न कि जो किसान पहले निकले हैं उनको रोके.'

दिल्ली हिंसा की तस्वीर (AP)
'दिल्ली पुलिस ने अपने आप पर बहुत ही नियत्रंण रखा. दिल्ली पुलिस ने कभी भी कोई ऐसा फोर्स इस्तेमाल नहीं किया जो जरूरत से ज्यादा हो. अगर जरा सी चूक हो जाती जैसे गोली चला दी गई होती या किसी को बहुत ज्यादा मारपीट दिया गया होता तो फिर पूरा पुलिस एक्शन डिसक्रेडिट हो जाता. दिल्ली पुलिस के जवान खुद ही लाठी खाते रहे और अपनी जान बचाते रहे. दिल्ली पुलिस के कई जवानों को चोट आई हैं यह एक उदाहरण है. अगर यह आंदोलन खत्म हो जाता है तो बहुत बड़ा श्रेय दिल्ली पुलिस को जाएगा.'
बीएस बस्सी- दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को बहुत ही सराहनीय काम किया
'दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को जिस तरह से स्थिति को नियंत्रित किया है वह वाकई में सराहनीय काम है. दिल्ली पुलिस की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है'

उपद्रवियों से बचने के लिए कई फीट लंबी दीवार से कूदते दिखे पुलिसकर्मी (Photo- Videograb)
आरएस गुप्ता- किसानों ने जवानों के साथ बहुत ज्यादतियां की
'दिल्ली पुलिस ने किसानों को बड़ी इज्जत देते हुए संयम भी बरता, लेकिन किसानों ने जवानों के साथ बहुत ज्यादती की. मैं समझता हूं अक्सर पुलिस की ज्यादतियां सुनने को आती है, लेकिन 26 जनवरी को हमारे समाज के एक महत्वपूर्ण अंग हैं उनकी ज्यादतियां देखने को मिलीं. दिल्ली पुलिस ने सारी ज्यादतियों को सहा. मैं समझता हूं कि यह काफी मैच्योर डिसीजन था यह काफी सराहनीय है.'
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मौजूदा पुलिस कमिश्नर ने कही यह बात
कुल मिलाकर 26 जनवरी की घटना को लेकर कई पूर्व पुलिस कमिश्नरों ने दिल्ली पुलिस की सराहना की है. दिल्ली पुलिस ने भी 26 जनवरी को भड़की हिंसा को लेकर बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति को स्पष्ट कर दिया. दिल्ली पुलिस के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने घटना के बारे में बताया कि आखिर हिंसा कब और कैसे भड़की? उन्होंने किसानों से समझौता तोड़ने सहित कई और भी आरोप लगाए. साथ ही कहा कि किसानों ने 26 जनवरी को पुलिस के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर पुलिस बैरिकेड को तोड़कर हिंसक घटनाएं को अंजाम दिया जो अक्षम्य है.