नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद से जुड़े कई मामलों में गुरुवार को सुनवाई करते हुए सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाले ऐसे आयोजनों पर चिंता जताई. सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टि विक्रम नाथ की बेंच ने कहा, ‘जो लोग दूसरों को संवेदनशील बनाना चाहते हैं, उन्हें पहले खुद बनना चाहिए. वो खुद संवेदनशीलता को नहीं समझ रहे. यही कारण है कि पूरा माहौल बिगड़ रहा है.’ इस तरह की टिप्पणियों के साथ बेंच ने उत्तराखंड में हुई धर्म संसद के मामले में ज़मानत याचिका को लेकर सुनवाई भी की.
हरिद्वार धर्म संसद में मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के मामले में आरोपी द्वारा ज़मानत के लिए याचिका दाखिल किए जाने पर बेंच ने उत्तराखंड सरकार से रुख साफ़ करने को कहा. पीटीआई की खबर के मुताबिक जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार समेत अन्य पक्षों को नोटिस जारी किए. त्यागी की तरफ़ से कोर्ट में वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उन्होंने वीडियो देखे हैं, जिनमें कई लोग एक साथ भाषण देते हुए दिखते हैं.
लूथरा ने दलील दी कि त्यागी करीब छह महीने से हिरासत में हैं और उनकी सेहत खराब हो रही है. उन्होंने कहा, इस मामले में अधिकतम 3 साल की सज़ा का प्रावधान है. दूसरी तरफ, शिकायतकर्ता के वकील ने इस बेल याचिका का विरोध करते हुए कहा कि त्यागी ने यही साबित करने की कोशिश की थी कि वह कानून से डरते नहीं हैं. बता दें कि इसी साल मार्च में हाई कोर्ट ने बेल याचिका खारिज की थी, जिसके बाद त्यागी ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली.
क्या है मामला और क्या हुई कार्रवाई?
हरिद्वार ज़िले में इस साल 2 जनवरी को नदीम अली ने एफआईआर दर्ज करवाकर आरोप लगाया था कि 17 से 19 दिसंबर 2021 को हुई धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आक्रामक, अभद्र, असंगत और भड़काऊ बयानबाज़ी की गई. इसके वीडियो भी वायरल हुए, जिसके आधार पर त्यागी व अन्य के खिलाफ एक के बाद एक FIR दर्ज हुईं. नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वागमी आनंद स्वरूप, अश्वनी उपाध्याय, सुरेश चवाण और स्वामी प्रबोधानंद के खिलाफ हेट स्पीच के केस दर्ज हुए थे.
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