नई दिल्ली. तापमान बढ़ने के कारण भीषण गर्मी पड़ रही है. यही वजह है कि गर्मी संबंधी बीमारियां जैसे हीट इनलेस, हीट स्ट्रोक या लू लगने के मरीज अस्पतालों में लगातार आ रहे हैं. इतना ही नहीं देश में एक बार फिर कोरोना के मामलों में भी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं. खास बात है कि जिन लोगों को कोरोना हो रहा है उनमें एक लक्षण बुखार का भी दिखाई दे रहा है. इसके साथ ही गर्मी की वजह से बीमार पड़ रहे लोगों को भी बहुत तेज बुखार की शिकायत रहती है. जिसकी वजह से कई बार लोगों में बीमारी को लेकर कन्फ्यूजन हो रहा है. बीमारी की सही जानकारी न होने के चलते लोगों के इलाज में भी देरी हो जाती है और स्थिति काफी गंभीर भी हो जाती है. ऐसे में सबसे पहले कोरोना के बुखार और गर्मी के बुखार के बीच अंतर समझना बेहद जरूरी है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना होने पर आने वाले बुखार और भीषण गर्मी की वजह से आने वाले बुखार में शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से इन दोनों ही स्थितियों में इलाज भी अलग-अलग तरीकों से दिया जाता है. वहीं अच्छी बात ये है कि अगर मरीज की हालत क्रिटिकल नहीं है तो दोनों ही स्थितियों में घर पर ही प्राथमिक इलाज देकर मरीज को ठीक भी किया जा सकता है.
दिल्ली स्थित जीबी पंत अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. सुनील एम रहेजा न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि इस मौसम में फिलहाल दो चीजों से लोगों को बचाव की जरूरत है. एक तो कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के तरीके अपनाए जाने की जरूरत है. वहीं दूसरा भयंकर गर्मी की चपेट में आने से बचना जरूरी है. हीट स्ट्रोक, हीट इलनेस हो या फिर कोरोना दोनों ही बीमारियों के लक्षण भी लगभग एक जैसे हैं. ऐसे में कई बार ये पहचान कर पाना मुश्किल होता है कि मरीज को दोनों में से किस वजह से बुखार आया है. हालांकि अगर कुछ चीजों का ध्यान रखें तो इन दोनों का अंतर पता किया जा सकता है.
ऐसे पहचानें कोरोना और हीट स्ट्रोक के बुखार में अंतर
.मरीज को अगर 104,105, 106 डिग्री फारेनहाइट या इससे भी ज्यादा तेज बुखार चढ़े तो इसका मतलब है कि मरीज को गर्मी लगी है. लू लगने या हीट स्ट्रोक की वजह से ही शरीर का तापमान इतना ऊंचा पहुंच जाता है.
. बुखार के साथ अगर मरीज को पेट या मांसपेशियों में क्रेंप या खिंचाव महसूस हो, बेचैनी हो, सोचने-समझने की क्षमता बिगड़ जाए, शरीर एकदम गर्म और त्वचार पर लाल चकत्ते पड़ जाएं, थकान, उल्टी, सरदर्द, बेहोशी या दौरे पड़ने लगें तो इसका मतलब है कि मरीज को हीट स्ट्रोक या हीट इलनेस हुई है.
. मरीज को बार-बार प्यास लग रही है. बार बार यूरिन जाने की शिकायत हो रही है. शरीर और मुंह में सूखापन महसूस हो रहा है तो उसे गर्मी की वजह से बुखार आया है.
. वहीं अगर मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री या संपर्क हिस्ट्री रही है, बुखा बहुत ज्यादा तेज नहीं है, बुखार की दवाएं देने पर बुखार उतर रहा है फिर से चढ़ रहा है तो यह कोरोना की वजह से बुखार आया है.
. गर्मी में शरीर के अंदर मौजूद कूलिंग सिस्टम काम करना बंद कर देता है. इस बुखार में दवाएं देने पर भी पसीना नहीं आता. जबकि कोरोना के दौरान आने वाले बुखार में सिर्फ शरीर का तापमान बढ़ता है, इसमें पसीना आ सकता है.
कोरोना से आए बुखार में करें ये काम
. अगर व्यक्ति को कोरोना संक्रमण की वजह से बुखार आया है और माइल्ड लक्षण हैं तो उसे घर पर ही पैरासीटामोल देकर ठीक किया जा सकता है. कोरोना संक्रमित व्यक्ति के साथ कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करें. उसे खाने में लिक्विड और हल्का खाना दें. मास्क पहन कर रखें. पर्याप्त वेंटीलेशन वाले कमरे में उसे रखें. व्यक्ति का बुखार और ऑक्सीजन सेचुरेशन नापते रहें. सांस लेने में दिक्कत होने, ऑक्सीजन स्तर 94 से नीचे घटने या लक्षण मॉडरेट होने पर अस्पताल ले जाएं.
हीट स्ट्रोक में आए बुखार में करें ये काम
. अगर किसी को हीट स्ट्रोक हुआ है तो उसे तत्काल ठंडी जगह पर ले जाएं. जहां एसी या कूलर चल रहा हो. उसे ठंडे पानी से नहला दें या हाथ मुंह धुलवाएं.
. ठंडा पानी, ओआरएस का घोल, नींबू या नारियल पानी, ताजा फलों का जूस पीने के लिए दें.
. सूती कपड़े पहनाएं. आराम करने दें.
. अगर मरीज की हालत गंभीर हो रही है या बुखार 105 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर बढ़ रहा है तो उसे अस्पताल ले जाएं.
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