दिल्ली नगर निगम ने खाली प्लॉटों पर पार्किंग के नाम पर चल रही व्यावसायिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है.
नई दिल्ली. दिल्ली में खाली प्लॉट या जमीन पर गाड़ियों का पार्किंग (Parking on Vacant Plots) करना अब आपके लिए मुसीबत का सबब बन सकता है. दिल्ली नगर निगम (MCD) ने खाली प्लॉटों पर पार्किंग के नाम पर चल रही व्यावसायिक गतिविधियों (Commercial Activities) पर अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. दिल्ली नगर निगम ने अब इन खाली प्लॉटों के संचालकों से कर वसूलने का फैसला किया है. इसके लिए एमसीडी ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है. एमसीडी ने सभी जोन के उपायुक्तों को आदेश दिए हैं कि वह खाली प्लॉटों में चल रही गैरकानूनी तरीके से पार्किंग के साथ-साथ अन्य व्यावसायिक गतिविधियों की सूची बना कर टैक्स वसूले.
आपको बता दें कि पिछले कई दिनों से एमसीडी संपत्ति कर जमा न कराने वाले मालिकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. इस दौरान खाली प्लॉटों पर चल रहे गैरकानूनी तरीके से पार्किंग और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को भी टैक्स के दायरे में लाने के लिए उपायुक्तों को निर्देश मिले हैं. निगम अब एक शहर और एक टैक्स पर काम शुरू कर दिया है. ऐसे में दिल्ली नगर निगम के 12 जोन में यह कार्रवाई शुरू की गई है.
खाली प्लॉट पर पार्किंग करना अब महंगा पड़ेगा
एमसीडी पिछले दिनों ही दक्षिणी दिल्ली में स्थित डीएलएफ छतरपुर इलाके में एक फार्महाउस को सील कर दिया था. इस फार्महाउस पर करीब 1.09 करोड़ रुपये का संपत्ति कर बकाया था. एमसीडी ने कहा है कि इस तरह की कार्रवाई से बचने के लिए संपत्ति कर बकाएदारों को सलाह दी जाती है कि वे 31 मार्च को या उससे पहले अपनी बकाया राशि का भुगतान करें और एमसीडी द्वारा शुरू की गई समृद्धि एमनेस्टी योजना का लाभ उठाएं.
प्रॉपर्टी टैक्स के दायरे में आएंगे
गौरतलब है कि पिछले कई सालों से राजधानी के सैंकड़ों व्यवसायिक संपत्तियों का प्रॉपर्टी टैक्स नहीं जमा हुआ है. इन संपत्तियों पर करोड़ों रुपये का संपत्ति कर बकाया है. 31 मार्च 2023 तक संपत्ति कर जमा कराने पर निगम के तरफ से छूट मिली हुई है. इसके बाद भी सैंकड़ों व्यवसायिक संपत्तियों का प्रॉपर्टी टैक्स अभी तक जमा नहीं हुआ है.
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पिछले साल पांचवीं म्युनिसिपल वैल्यूएशन कमेटी ने प्रॉपर्टी की सालाना वैल्यू कैल्कुलेट करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले छह फैक्टर्स में बढ़ोतरी की सिफारिश की गई थी. कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट एमसीडी को सौंप दी थी. अगर इन सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इससे पूरे शहर में प्रॉपर्टी टैक्स और बढ़ सकता है. इनमें रेजिडेंशियल कॉलोनीज भी शामिल हैं.
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