सब इंस्पेक्टर (Sub Inspector) रैंगो और उनकी टीम के विक्टर, ब्रावो का क्लीयरेंस मिलने के बाद ही दिल्ली-मुंबई (Delhi-Mumbai) रेलवे (Indian Railway) रूट पर ट्रेन आगे बढाई जाती है. इंस्पेक्टर रैंगो और उनकी टीम रेलवे ट्रैक का चप्पा-चप्पा छानते हैं, जबकि सुल्तान का काम रेलवे की प्रॉपर्टी चुराने वालों को पकड़ना है. एक बार अगर सुल्तान ने अपराधियों की गंध पकड़ ली तो फिर उनका बचना मुश्किल है. बीते 5 साल से इंस्पेक्टर रैंगो रेलवे पुलिस फोर्स (RPF) के डॉग स्क्वायड में बखूबी इस काम को अंजाम दे रही है. कुछ खास केस खोलने के लिए सिविल पुलिस भी रेलवे के डॉग स्क्वायड की मदद लेती है.
इंस्पेक्टर रैंगो और उनकी टीम के सदस्य विक्टर और ब्रावो आरडीएक्स और उस जैसे दूसरे विस्फोटकों को तलाशने के एक्सपर्ट हैं. किसी भी तरह का विस्फोटक हो वो रैंगो और उनकी टीम से बच नहीं सकता. इस टीम में रैंगो सबसे ज्यादा 5 साल पुरानी है. उसकी रैंक सब इंस्पेक्टर की है. विक्टर और ब्रावो कुछ वक्त पहले ही उनकी टीम में शामिल हुए हैं.
टीम के हैंडलर की मानें तो जब ट्रैक पर कोई विस्फोटक छिपा होता है तो यह उसे सूंघ लेते हैं. कहां विस्फोटक छिपाया गया है, यह इशारा देने के लिए रैंगो और उनकी टीम के सदस्य विस्फोटक के पास बैठ जाते हैं.
इंस्पेक्टर रैंगो की टीम में शामिल सुल्तान एक ट्रैकर है. सुल्तान रेलवे की प्रॉपर्टी चुराने वालों के लिए शामत है. सुल्तान के हैंडलर के मुताबिक जब भी कहीं रेलवे की प्रॉपर्टी चोरी होती है तो सुल्तान को ही याद किया जाता है. सुल्तान को क्राइम स्पॉट पर ले जाया जाता है. वो स्पॉट से अपराधी की गंध लेकर उसका पीछा शुरू कर देता है. कुछ ही केस ऐसे होंगे जहां सुल्तान अपराधी तक न पहुंचा हो वरना तो सुल्तान अपराधी के न मिलने तक उसकी गंध के साथ पीछा करता रहता है.
जानकारों के मुताबिक तमिलनाडु में आरपीएफ के डॉग स्क्वायड की ट्रेनिंग एकेडमी है. इसी में इंस्पेक्टर रैंगो और उनकी टीम को भी ट्रेंड किया गया है. एकेडमी में स्निफर और ट्रैकर कैटेगरी में डॉग स्क्वायड तैयार किए जाते हैं. आमतौर पर यह ट्रेनिंग 9 महीने की होती है, लेकिन कुछ खास मामलों में यह एक साल तक की भी हो सकती है. आरपीएफ स्क्वायड के लिए अलग-अलग कमरे में रहने रहने और खाने का इंतजाम करता है.
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FIRST PUBLISHED : September 04, 2020, 06:28 IST