जेल अधीक्षकों तथा उनके प्रतिनिधियों के कार्यालयों के अंदर भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की सिफारिश. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. दिल्ली में स्थित तिहाड़ जेल के अंदर ‘विशेष सुविधाएं’ मिलने के आरोपों की जांच के लिए गठित एक समिति ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने और जेल अधीक्षकों तथा उनके प्रतिनिधियों के कार्यालयों के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाने की सिफारिश की है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी है. तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को कथित तौर पर वीआईपी सुविधाएं मिलने संबंधी मामले की जांच के लिए प्रमुख सचिव (गृह) की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था.
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जैन के खिलाफ दर्ज धन शोधन के एक मामले में वह छह महीने से अधिक समय से जेल में बंद हैं. हाल ही में जैन के कई वीडियो सामने आए थे जिसमें उन्हें जेल के अंदर मालिश जैसी विशेष सुविधाएं कथित तौर पर मिलती दिख रही थीं. ईडी ने अदालत में जैन के जेल प्रकोष्ठ से सीसीटीवी फुटेज भी पेश किया था.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि महानिदेशक (जेल) को एक मानक संचालन प्रक्रिया लागू करनी चाहिए और दुरुपयोग खत्म करने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली का उपयोग करना चाहिए. यह आरोप लगाया गया था कि प्रभावशाली कैदी जेल कार्ड का इस्तेमाल जेल के अंदर अपने लिए विभिन्न सामान खरीदने के लिए करते थे.
रिपोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगाने का सुझाव देते हुए कहा गया है कि जेल अधीक्षक और उनके अधीनस्थों के कार्यालयों में जेल नियमों के उल्लंघन में कुछ गतिविधियां हो सकती हैं या इसकी योजना बनाई जा सकती है. इसलिए कार्यालयों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की आवश्यकता है. हालांकि समिति ने अपनी रिपोर्ट में जेल के डीजी और एआईजी कार्यालयों को सीसीटीवी कैमरे की कवरेज से बाहर रखने का सुझाव दिया है.
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