नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर (J&K Government) में कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट (Kashmiri Pandits Rahul Bhat) की हत्या के मामले को लेकर आज दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) में याचिका दायर की है. प्रदेश कांग्रेस के विधिक एवं मानवाधिकार विभाग के चेयरमैन एडवोकेट सुनील कुमार की अगुआई में याचिका संबंधी ज्ञापन एनएचआरसी (NHRC) के सेक्रेटरी जनरल आईएएस देवेन्द्र कुमार सिंह को सौंपा.
विधिक एवं मानवाधिकार विभाग चेयरमैन एडवोकेट सुनील कुमार ने बताया कि 12 मई 2022 को जम्मू -कश्मीर राज्य के बडगाम जिले के चदूरा शहर में तहसील कार्यालय के अंदर एक सरकारी कर्मचारी व कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी.
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का मुख्य उद्देश्य कश्मीरी हिन्दुओं व पण्डितों में भय पैदा कर कश्मीरी हिन्दुओं व पण्डितों को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर करना था. उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी एक सुरक्षित जगह पर काम कर रहे थे, वहां आतंकवादी हमला हुआ है. इससे कश्मीरी पण्डितों में अपनी सुरक्षा को लेकर भय का माहौल पैदा हो गया है.
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सुनील कुमार ने आयोग को अवगत कराया कि वर्ष 2019 से मार्च वर्ष 2022 तक 14 कश्मीरी पंण्डितों को कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादियों ने गोली मार कर हत्याऐं की हैं जोकि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री योजना के तहत 2010 में कश्मीरी पण्डितों को वहां बसाया गया था और उनकों नौकरी देने के साथ-साथ उनकी व उनके परिवार को सुरक्षा दी जानी सुनिश्चित की गई थी. लेकिन जो स्थान सुरक्षा की दृष्टि से सर्वोत्तम समझा जाता था, आज वहां पर भी आतंकवादी अंदर घुसकर सरकारी कर्मचारियों पर हमला कर रहे हैं. यह सरकार की सुरक्षा में बहुत बड़ी चूक व लापरवाही का सबूत है.
संगठन ने अपनी याचिका में मांग कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करके व जम्मू-कशमीर दौरा कर, विस्तृत रूप से यह सुझाव दे कि किस प्रकार जम्मू-कश्मीर के सरकारी विभागों में काम कर रहे कश्मीरी पण्डितों व उनके परिवार को कैसे सुरक्षा मुहैया कराई जाए. उनकों सुरक्षित रहने की सुविधाएं दी जाएं तथा उनकी पोस्टिंग ऐसे जिलों में की जाए, जहां पर आतंकवादी गतिविधियां कम हो.
एडवोकेट सुनील कुमार ने कहा कि राज्य सरकार मृतक राहुत भट्ट की धर्मपत्नी को नौकरी व 5 लाख रुपए बतौर मुआवजा दे रही है, लेकिन ये सब पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि मृतक राहुत भट्ट की एक 7 साल की पुत्री है. ऐसे में मृतक की पत्नी अपने बच्चों का पालन पोषण कैसे करेगी.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार को मृतक की पत्नी को लगभग 1 करोड़ रुपए तक मुआवजा व उचित सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए. एडवोकेट सुनील कुमार ने आयोग से आग्रह किया कि वे इस मामले में संज्ञान लेते हुए बतौर मुआवजा व सुरक्षा के संबंध में कुछ और बेहतर करने की कोशिश करें. प्रतिनिधिमंडल में विभाग के चेयरमैन के अलावा एडवोकेट एडवोकेट हरीश गोला, एडवोकेट साजिद चौधरी (आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी) समेत अन्य प्रमुख रूप से शामिल रहे.
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