नई दिल्ली. जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष (Ishi Ghosh) जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (jamia millia islamia) पहुंचीं और यहां उन्होंने विवादित बयान दिया है. इस बार आइशी ने कश्मीर के बारे में बोला है. आइशी ने कहा कि ये कश्मीर के हक की लड़ाई है, इससे पीछे नहीं हटा जा सकता है. हमारे संघर्ष के बीच हम कश्मीर को नहीं भूल सकते है. वहां के लोगों के साथ जो हो रहा है वो गलत है. हम हर मंच से उनके हक की बात करेंगे.
'हम सावरकर और गोडसे का इतिहास नहीं पढ़ेंगे'
आइशी ने कहा
कि इस लड़ाई में कश्मीर को पीछे नहीं छोड़ सकते, कश्मीर को अलग करके आंदोलन नहीं जीत सकते. इस सरकार ने संविधान से छेड़छाड़ कश्मीर से ही शुरू की थी. अगर हम इतिहास पढ़ेंगे तो राम प्रसाद बिस्मिल को याद करेंगे. गोडसे, सावरकर ने माफी मांगी वैसा इतिहास नहीं पढ़ेंगे.
पहले भी हो चुका है हंगामा
बता दें कि पिछले दिनों सीएए को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्र हाथ में 'फ्री कश्मीर' लिखे हुए पोस्टर लेकर खड़े थे, जिस पर विवाद शुरू हो गया. बाद में जेएनयू छात्रों ने कहा कि वो कश्मीर में फ्री इंटरनेट को लेकर लिखा गया था. अब आइशी खुद खुलकर कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद के हालातों पर मुखर हो गईं हैं.
बता दें, जेएनयू में ये सारा विवाद तब शुरू हुआ जब सीएए को लेकर दो गुट आपस में भिड़ गए. इस हिंसक झड़प में दोनों गुटों के छात्रों को चोटें आईं. इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने छात्रों के खिलाफ केस दर्ज किया, जिसमें आइशी घोष भी शामिल हैं.
आइशी ने मीडिया से बताई थी सच्चाई
हालांकि घोष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रविवार को पूरी घटना के बारे में बताया था. घोष ने कहा, 'ये हमला जो जेएनयू में हुआ है. ये पहली बार नहीं है. जामिया में भी हो चुका है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हो चुका है. पिछले 4-5 दिनों से कैंपस में हिंसा हो रही थी. आरएसएस (RSS) समर्थक प्रोफेसर इसको चला रहे थे. मेरे सामने जनरल सेक्रेटरी सतीश को लिंच करने जा रहे थे. मेरे सामने 2 दिन पहले प्रोफेसर उपाध्याय खुलेआम धमकी दे रहे थे. हम कल जब साबरमती पर इकठ्ठा हुए तो क्लियर था कि हिंसा नहीं होनी चाहिए.'
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Tags: Article 370, Delhi, Jammu kashmir, JNU violence
FIRST PUBLISHED : January 15, 2020, 18:22 IST