दिल्ली में एक महीने तक मचेगा पानी के लिए हाहाकार, राष्ट्रपति भवन-PM House सभी होंगे प्रभावित!

दिल्ली को ब्यास नदी से मिलने वाले 496 क्यूसेक पानी की सप्लाई बंद किए जाने तैयारी है. (फाइल फोटो)
दिल्ली में गर्मियों में अगर 25 प्रतिशत दिल्ली में जलापूर्ति कम होती है, तो दिल्ली के अंदर कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के बड़े-बड़े संस्थान भी हैं, इससे उनके यहां भी पानी आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है. जैसे कि राष्ट्रपति का कार्यालय, निवास और राष्ट्रपति भवन (Rastrapati Bhavan) दिल्ली के बीचोंबीच है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और निवास भी दिल्ली के बीचोंबीच है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और सारे अंतरराष्ट्रीय दूतावास आदि ये सभी दिल्ली में हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: February 25, 2021, 5:11 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली (Delhi) में मार्च माह में पानी को लेकर बड़ा संकट खड़ा होने जा रहा है. दिल्ली को ब्यास नदी से मिलने वाले 496 क्यूसेक पानी की सप्लाई बंद किए जाने तैयारी है. इसके बाद दिल्ली में 25 फ़ीसदी पानी की सप्लाई कम हो जाएगी, जिसके बाद वीवीआईपी, वीआईपी एरिया से लेकर दिल्ली के तमाम हिस्सों में पानी को लेकर कोहराम मचने की संभावना है.
दरअसल, दिल्ली के कुल जलापूर्ति का 25 प्रतिशत हिस्सा ब्यास नदी के पानी का है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की एजेंसी भांखड़ा नांगल मैनेजमेंट बोर्ड रिपेयर मेंटेनेंस के चलते अब 25 मार्च से 24 अप्रैल तक ब्यास हाइडल चैनल बंद करने जा रही है. इसके बाद दिल्ली में पानी को लेकर आने वाले समय में हाहाकार मचने की आशंका है.
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र सरकार, ब्यास नदी से दिल्ली को मिल रहा 496 क्यूसेक पानी, जोकि ट्रीट होकर 232 एमजीडी बनता है, उसको एक महीने के लिए रोकने जा रही है. ऐसा होने पर दिल्ली में त्राहि-त्राहि मच जाएगी. दिल्ली वाले यमुना, गंगा और रावी-ब्यास नदी के साथ भूमिगत पानी पर निर्भर हैं.
केंद्र पर हरियाणा सरकार के साथ बोर्ड को लिखी संबंध में जल बोर्ड ने चिट्ठीचड्ढा ने कहा कि इस संबंध में केंद्र और हरियाणा सरकार के साथ बोर्ड को चिट्ठी लिख कर मेंटेनेंस का कार्य स्थगित करने, दिल्ली में जलापूर्ति कम न करने और इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ बैठक बुलाने की मांग की है. केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) दिल्ली को जल संकट से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और जरूरत पड़ने पर हम सभी दरवाजे को खटखटाएंगे, ताकि दिल्ली वालों को न्याय मिल सके.
दिल्ली की नहीं है अपनी वाटर बॉडी, दूसरों पर है निर्भर
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा (Raghav Chaddha) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दिल्ली एक ऐसा राज्य है, जिसके चारों तरफ राज्य हैं और जमीन से घिरा हुआ है. हमारी अपनी कोई वाटर बॉडी नहीं है, जिसके चलते दिल्ली वालों को अपनी जलापूर्ति के लिए चार स्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है. इन चार स्रोतों से जो पानी आता है, उसी पानी को हम दिल्ली के घर-घर तक पहुंचाते हैं.
इन चार स्रोतों में पहला- यमुना नदी का पानी है, जो मुख्य तौर पर हरियाणा से होकर आता है. दूसरा, गंगा नदी का पानी है, जो मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश से होकर आता है. तीसरा, रावी-व्यास नदी का पानी है, जो नांगल से होकर आता है और चौथा, भूमिगत पानी है, जिसे हम रिचार्ज करते हैं और फिर उसे निकाल कर घर-घर तक दिल्ली में पहुंच जाते हैं. हम इन चार बड़े स्रोतों से दिल्ली के घर-घर तक पानी की आपूर्ति करते हैं.
राष्ट्रपति भवन, पीएमओ व अन्य होंगे प्रभावित
दिल्ली में गर्मियों में अगर 25 प्रतिशत दिल्ली में जलापूर्ति कम होती है, तो दिल्ली के अंदर कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के बड़े-बड़े संस्थान भी हैं, इससे उनके यहां भी पानी आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है. जैसे कि राष्ट्रपति का कार्यालय, निवास और राष्ट्रपति भवन (Rastrapati Bhavan) दिल्ली के बीचोंबीच है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और निवास भी दिल्ली के बीचोंबीच है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और सारे अंतरराष्ट्रीय दूतावास आदि ये सभी दिल्ली में हैं.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से की मीटिंग बुलाने की मांग
चड्ढा ने बताया कि हमने चिट्ठी में यह भी कहा है कि इस संबंध में जल्द से जल्द एक बैठक बुलाई जाए. हम केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से अनुरोध करते हैं कि आप एक बैठक बुलाएं और इस बैठक में सारे हितधारकों (स्टेक होल्डर) को निमंत्रित करें.
गर्मी के दौरान बढ़ जाती है दिल्ली में पानी की खपत
चड्ढा ने कहा कि जब गर्मी का पीक समय आता है, तब दिल्ली में पानी की खपत बढ़ जाती है. उसी के चलते हम लोग इस मौजूदा स्रोतों को और कैसे बढ़ाया जाए और इनसे ज्यादा से ज्यादा पानी कैसे लिया जाए, इसे लेकर जद्दोजहद करते हैं. इस दिशा में दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के निर्देशानुसार काम करता है. इसमें से एक स्रोत, जिसे हम व्यास नदी का पानी कहते हैं, जो नांगल नदी से होकर आता है, उस स्रोत से दिल्ली में कुल पानी का करीब 25 प्रतिशत हिस्सा होता है.
हरियाणा सरकार ने 12 फरवरी को लिखी थी नांगल हाइडल चैनल बंद करने की चिट्ठी
राघव चड्ढा ने कहा कि हमें 12 फरवरी 2021 को हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा एक चिट्ठी लिखी गई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 25 मार्च 2021 से 24 अप्रैल 2021 यानि पूरे एक महीने तक यह नांगल हाइडल चैनल बंद रहेगा.
इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड ने 19 फरवरी 2021 को एक चिट्ठी लिखी है. हमनें इस चिट्ठी में साफ तौर से केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और भांखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड को लिखकर यह कहा है कि दिल्ली वाले अपनी जलापूर्ति के लिए रावी व्यास नदी के इस पानी पर यह निर्भर हैं और आप इस पानी की आपूर्ति को कतई न कम करें. उनसे अनुरोध किया गया है कि वे किसी और समय रिपेयर मेंटेनेंस का काम करें और ऐसे समय में करें जब दिल्ली में जलापूर्ति प्रभावित न हो.
दरअसल, दिल्ली के कुल जलापूर्ति का 25 प्रतिशत हिस्सा ब्यास नदी के पानी का है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की एजेंसी भांखड़ा नांगल मैनेजमेंट बोर्ड रिपेयर मेंटेनेंस के चलते अब 25 मार्च से 24 अप्रैल तक ब्यास हाइडल चैनल बंद करने जा रही है. इसके बाद दिल्ली में पानी को लेकर आने वाले समय में हाहाकार मचने की आशंका है.
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र सरकार, ब्यास नदी से दिल्ली को मिल रहा 496 क्यूसेक पानी, जोकि ट्रीट होकर 232 एमजीडी बनता है, उसको एक महीने के लिए रोकने जा रही है. ऐसा होने पर दिल्ली में त्राहि-त्राहि मच जाएगी. दिल्ली वाले यमुना, गंगा और रावी-ब्यास नदी के साथ भूमिगत पानी पर निर्भर हैं.
दिल्ली की नहीं है अपनी वाटर बॉडी, दूसरों पर है निर्भर
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा (Raghav Chaddha) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दिल्ली एक ऐसा राज्य है, जिसके चारों तरफ राज्य हैं और जमीन से घिरा हुआ है. हमारी अपनी कोई वाटर बॉडी नहीं है, जिसके चलते दिल्ली वालों को अपनी जलापूर्ति के लिए चार स्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है. इन चार स्रोतों से जो पानी आता है, उसी पानी को हम दिल्ली के घर-घर तक पहुंचाते हैं.
इन चार स्रोतों में पहला- यमुना नदी का पानी है, जो मुख्य तौर पर हरियाणा से होकर आता है. दूसरा, गंगा नदी का पानी है, जो मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश से होकर आता है. तीसरा, रावी-व्यास नदी का पानी है, जो नांगल से होकर आता है और चौथा, भूमिगत पानी है, जिसे हम रिचार्ज करते हैं और फिर उसे निकाल कर घर-घर तक दिल्ली में पहुंच जाते हैं. हम इन चार बड़े स्रोतों से दिल्ली के घर-घर तक पानी की आपूर्ति करते हैं.
राष्ट्रपति भवन, पीएमओ व अन्य होंगे प्रभावित
दिल्ली में गर्मियों में अगर 25 प्रतिशत दिल्ली में जलापूर्ति कम होती है, तो दिल्ली के अंदर कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के बड़े-बड़े संस्थान भी हैं, इससे उनके यहां भी पानी आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है. जैसे कि राष्ट्रपति का कार्यालय, निवास और राष्ट्रपति भवन (Rastrapati Bhavan) दिल्ली के बीचोंबीच है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और निवास भी दिल्ली के बीचोंबीच है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और सारे अंतरराष्ट्रीय दूतावास आदि ये सभी दिल्ली में हैं.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से की मीटिंग बुलाने की मांग
चड्ढा ने बताया कि हमने चिट्ठी में यह भी कहा है कि इस संबंध में जल्द से जल्द एक बैठक बुलाई जाए. हम केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से अनुरोध करते हैं कि आप एक बैठक बुलाएं और इस बैठक में सारे हितधारकों (स्टेक होल्डर) को निमंत्रित करें.
गर्मी के दौरान बढ़ जाती है दिल्ली में पानी की खपत
चड्ढा ने कहा कि जब गर्मी का पीक समय आता है, तब दिल्ली में पानी की खपत बढ़ जाती है. उसी के चलते हम लोग इस मौजूदा स्रोतों को और कैसे बढ़ाया जाए और इनसे ज्यादा से ज्यादा पानी कैसे लिया जाए, इसे लेकर जद्दोजहद करते हैं. इस दिशा में दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के निर्देशानुसार काम करता है. इसमें से एक स्रोत, जिसे हम व्यास नदी का पानी कहते हैं, जो नांगल नदी से होकर आता है, उस स्रोत से दिल्ली में कुल पानी का करीब 25 प्रतिशत हिस्सा होता है.
हरियाणा सरकार ने 12 फरवरी को लिखी थी नांगल हाइडल चैनल बंद करने की चिट्ठी
राघव चड्ढा ने कहा कि हमें 12 फरवरी 2021 को हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा एक चिट्ठी लिखी गई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 25 मार्च 2021 से 24 अप्रैल 2021 यानि पूरे एक महीने तक यह नांगल हाइडल चैनल बंद रहेगा.
इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड ने 19 फरवरी 2021 को एक चिट्ठी लिखी है. हमनें इस चिट्ठी में साफ तौर से केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और भांखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड को लिखकर यह कहा है कि दिल्ली वाले अपनी जलापूर्ति के लिए रावी व्यास नदी के इस पानी पर यह निर्भर हैं और आप इस पानी की आपूर्ति को कतई न कम करें. उनसे अनुरोध किया गया है कि वे किसी और समय रिपेयर मेंटेनेंस का काम करें और ऐसे समय में करें जब दिल्ली में जलापूर्ति प्रभावित न हो.