किसान आंदोलन खत्म होने के बाद टेंट और तंबू उखाड़ने जा रहे हैं. (फोटो- ANI)
बहादुरगढ़/नई दिल्ली. केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर शुरू हुआ किसान आंदोलन एक साल 14 दिन बाद खत्म (kisan Andolan End today) हो रहा है. इसके साथ किसान आंदोलन में शामिल पंजाब, हरियाणा और यूपी समेत अन्य प्रदेशों के लोग अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो जाएगे. इसके साथ 11 दिसंबर से दिल्ली के टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) और यूपी-गाजीपुर बॉर्डर (Delhi-UP Ghazipur Border) से गुजरने वालों को बड़ी राहत मिल जाएगी, जो कि ट्रैफिक जाम की वजह से अपने घर या फिर दफ्तर देर से पहुंच रहे थे.
यही नहीं, दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे आंदोलन को खत्म करने का ऐलान संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से होते ही टीकरी, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर जश्न शुरू हो गया है. बॉर्डर पर किसान खुशी में जमकर डांस कर रहे हैं. यही नहीं, इस बीच किसानों ने टेंट और झोपड़ी सड़क से उखाड़कर सामान समेटना शुरू कर दिया है. किसान अपना सामान ट्रैक्टर और अन्य वाहनों में लाद रहे हैं, ताकि घर वापसी की जा सके. हालांकि दिल्ली बॉर्डर पर हाईवे को पूरी तरह साफ होने में अभी 4 से 5 दिन का समय लग सकता है, क्योंकि 15 किमी तक किसानों के टेंट और झोपड़ियां बनी हुई हैं. इनमें बहुत सी पक्की झोपड़ियां भी शामिल हैं.
टिकरी, सिंघु और यूपी-गाजीपुर बॉर्डर पर जीत का जश्न
सिंघु बॉर्डर पर किसानों में जीत की खुशी बनी हुई है. पहले से ज्यादा भीड़ जमा है. किसानों ने खुशी-खुशी वापसी के लिए तैयारी शुरू कर दी. किसानों ने अपने साधन और साथियों को बुला लिया है, जो जीत का जश्न मना रहे हैं. इनमें से कुछ अपने तंबुओं को समेटने में लग गए हैं. खासकर पंजाब के किसानों ने अपना सामान पैक कर लिया है. वहीं, दिल्ली और यूपी के गाजीपुर बॉर्डर से भी किसानों के जश्न के वीडियो सामने आए हैं. यहां पर भी टेंट और तंबू उखाड़ने का काम शुरू हो गया है.
#WATCH किसानों द्वारा किसान आंदोलन की वापसी के ऐलान के बाद गाज़ीपुर बॉर्डर पर महिलाओं ने कबड्डी खेल खेला। pic.twitter.com/NJ5qNdZJcV
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 9, 2021
बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों की वापसी सहित कुछ अन्य मांगों को लेकर पिछले साल 26 नवंबर को सिंघु, गाजीपुर और टीकर बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था. एक साल से भी ज्यादा समय तक चले इस आंदोलन में किसानों ने एक तरह से बॉर्डर ही अपने घर बसा लिए थे. वहीं, तमाम सुविधाओं से लैस झोपड़ी और टेंटों में रहकर किसानों ने लंबा संघर्ष किया और अब कृषि कानूनों की वापसी होने के साथ ही किसानों की अन्य मांगों पर संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच सहमति बन चुकी है.
एक साथ घर वापसी संभव नहीं
किसानों की तरफ से सामान समेटना शुरू किया गया है. हालांकि अभी किसानों की एक साथ घर वापसी संभव नहीं है, क्योंकि पक्के तंबू और टेंटों को हटाने में अभी 4 से 5 दिन का समय लग सकता है. गुरुवार को बहादुरगढ़ के श्रीराम शर्मा मेट्रो स्टेशन के नीचे किसानों ने अपने टेंट और झोपड़ी हटानी शुरू कर दी. इसके अलावा भी कुछ अन्य जगह किसान झोपड़ी और टेंट हटाकर सामान ट्रैक्टर में डाल रहे हैं. वहीं, पंजाब के किसान बोहा मंडी में रुकेंगे, फिर यहां से अपने-अपने जिलों में जाएंगे. संयुक्त मोर्चा ने कहा है कि वे 11 दिसंबर को रवानगी करेंगे और 13 दिसंबर को जलियांवाला बाग में मत्था टेकेंगे. आंदोलन के कारण जिन लोगों को दिक्कत हुई उनसे हाथ जोड़कर माफी मांगेंगे.
बॉर्डर पर महिलाओं की संख्या हुई कम
दूसरी तरफ महिलाओं की संख्या बॉर्डर पर बहुत कम हो गई है. रोजाना होने वाली सभा और मंच गुरुवार को तो सजा, लेकिन आज यानी शुक्रवार को बॉर्डर पर सभा नहीं हुई. किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद एमएसपी पर कमेटी बनाने और एक साल में दर्ज हुए मुकदमों पर लिखित आश्वासन पर सहमति बन गई है. वहीं, किसानों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था भी गई है, जो किसानों के जत्थे के साथ-साथ चलेगी.
बॉर्डर खुलने से मिलेगी राहत
एक साल से टिकरी बॉर्डर बंद होने से स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि बहादुरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा है. रास्तों को खुलवाने के लिए उद्योगपतियों को मानव अधिकार आयोग से लेकर कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा, लेकिन अब आंदोलन खत्म हो रहा था. ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ-साथ उद्योगपतियों को भी फिर से काम पटरी पर लौटने की उम्मीद है. हालांकि पूरी तरह रास्ता साफ होने में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं. किसानों की तरफ से कहा गया है कि वह सड़क को पूरी तरह साफ करके ही घर लौटेंगे. जबकि ऐसा ही हाल सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर का था. अब तीनों बॉर्डर के लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत मिल जाएगी.
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Tags: Delhi Singhu Border, Delhi UP Ghazipur Border, Farm laws, Kisan Andolan, Narendra Singh Tomar, Rakesh Tikait, Samyukt Kisan Morcha, Singhu Border
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