उत्तर प्रदेश में विधानसभा उप चुनावों के लिए ये है बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक!

यूपी में 13 सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों के लिए बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक.
पार्टी के प्रदेश नेतृत्व और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा उप चुनावों में किसी तरह का खतरा नहीं लेना चाहते. इसलिए पार्टी ने सबसे पहले अपने सवर्ण-ओबीसी गठजोड़ को मजबूत कर लिया है.
- News18Hindi
- Last Updated: July 31, 2019, 12:11 PM IST
उत्तर प्रदेश में 13 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनावों से पहले पार्टी सवर्ण-ओबीसी गठजोड़ को मजबूत करने में लगी है. लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मिली बड़ी सफलता के बाद विधानसभा उप चुनाव में सभी सीटों को बचाना पार्टी की नाक का सवाल बना हुआ है क्योंकि 13 की 13 सीटें बीजेपी विधायकों के इस्तीफे से रिक्त हुई हैं. इनमें 11 विधायक सांसद बन गए थे. जबकि बीजेपी विधायक अशोक सिंह चंदेल को सजा के बाद विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था. घोसी के बीजेपी विधायक फागु चौहान ने भी बिहार का राज्यपाल बनने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.
बीजेपी के पक्ष में मजबूत हुआ सवर्ण-ओबीसी गठजोड़
2018 में हुए दो लोकसभा उपचुनावों में हार के बाद योगी सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी. ऐसे में पार्टी के प्रदेश नेतृत्व और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा उप चुनावों में किसी तरह का खतरा नहीं लेना चाहते. इसलिए पार्टी ने सबसे पहले अपने सवर्ण-ओबीसी गठजोड़ को मजबूत कर लिया है. पार्टी ने जहां कलराज मिश्र जैसे वरिष्ठ ब्राह्मण चेहरे को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया वहीं नीरज शेखर और संजय सिंह जैसे ठाकुर नेताओं को अपने पाले में कर सवर्ण मतदाताओं को एकमुश्त अपने साथ कर लिया. दूसरी ओर स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देने के साथ-साथ वरिष्ठ बीजेपी नेता और बीजेपी की कई सरकारों में मंत्री रहे फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाकर ओबीसी को अपने साथ कर लिया.
आखिर क्यों पड़ी इसकी जरुरतदरअसल योगी सरकार के 21 कैबिनेट मंत्रियों में आधे से ज्यादा सवर्ण हैं. साथ ही नौकरशाही में भी मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव गृह जैसे महत्वपूर्ण विभाग सवर्ण अधिकारियों के पास हैं. ऐसे में ओबीसी का एक बड़ा तबका नाराज चल रहा था. भले ही लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर इस चेहरे ने बीजेपी को वोट दे दिया हो लेकिन विधानसभा उपचुनाव से पहले इस नाराजगी को कम करना जरूरी था. दूसरी ओर एसपी-और कांग्रेस के एक-एक राज्यसभा सदस्य के इस्तीफे के बाद बीजेपी राज्यसभा में अपने को मजबूत कर लेगी क्योंकि इन दोनों सीटों पर जब भी चुनाव होंगे ये दोनों राज्यसभा सीटें बीजेपी के पाले में ही जाएंगी.
उपचुनावों से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार
विधानसभा उपचुनवों से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल का विस्तार भी करने वाले हैं क्योंकि 3 मंत्रियों के सांसद बनने और एक मंत्री के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चा जोर पकड़ रही है. माना जा रहा है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में भी पार्टी ऐसे नेताओं को जगह देगी जिनके बहाने विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके.
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बीजेपी के पक्ष में मजबूत हुआ सवर्ण-ओबीसी गठजोड़
2018 में हुए दो लोकसभा उपचुनावों में हार के बाद योगी सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी. ऐसे में पार्टी के प्रदेश नेतृत्व और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा उप चुनावों में किसी तरह का खतरा नहीं लेना चाहते. इसलिए पार्टी ने सबसे पहले अपने सवर्ण-ओबीसी गठजोड़ को मजबूत कर लिया है. पार्टी ने जहां कलराज मिश्र जैसे वरिष्ठ ब्राह्मण चेहरे को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया वहीं नीरज शेखर और संजय सिंह जैसे ठाकुर नेताओं को अपने पाले में कर सवर्ण मतदाताओं को एकमुश्त अपने साथ कर लिया. दूसरी ओर स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देने के साथ-साथ वरिष्ठ बीजेपी नेता और बीजेपी की कई सरकारों में मंत्री रहे फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाकर ओबीसी को अपने साथ कर लिया.
आखिर क्यों पड़ी इसकी जरुरतदरअसल योगी सरकार के 21 कैबिनेट मंत्रियों में आधे से ज्यादा सवर्ण हैं. साथ ही नौकरशाही में भी मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव गृह जैसे महत्वपूर्ण विभाग सवर्ण अधिकारियों के पास हैं. ऐसे में ओबीसी का एक बड़ा तबका नाराज चल रहा था. भले ही लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर इस चेहरे ने बीजेपी को वोट दे दिया हो लेकिन विधानसभा उपचुनाव से पहले इस नाराजगी को कम करना जरूरी था. दूसरी ओर एसपी-और कांग्रेस के एक-एक राज्यसभा सदस्य के इस्तीफे के बाद बीजेपी राज्यसभा में अपने को मजबूत कर लेगी क्योंकि इन दोनों सीटों पर जब भी चुनाव होंगे ये दोनों राज्यसभा सीटें बीजेपी के पाले में ही जाएंगी.
उपचुनावों से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार
विधानसभा उपचुनवों से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल का विस्तार भी करने वाले हैं क्योंकि 3 मंत्रियों के सांसद बनने और एक मंत्री के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चा जोर पकड़ रही है. माना जा रहा है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में भी पार्टी ऐसे नेताओं को जगह देगी जिनके बहाने विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके.
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