नई दिल्ली. दिल्ली की तीनों नगर निगमों को एक करने के कानून को राष्ट्रपति (President) रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पारित दिल्ली नगर निगम अधिनियम (संशोधन) -2022 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद अब केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय (विधि विभाग) (Ministry of Law and Justice) (Law Department) की ओर से अधिसूचित कर दिया गया है. इस कानून के अधिसूचित करने के बाद दिल्ली के सभी 272 निगम पार्षद अब पूर्व पार्षद हो गए हैं. हालांकि निगमों का कार्याकाल 18 मई को समाप्त हो रहा है. निगमों का संचालन अब विशेष कार्याधिकारी के पास चला गया है जिसकी नियुक्ति किया जाना बाकी है.
कानून मंत्रालय की सेक्रेटरी डॉ. रीता वशिष्ठ की ओर से 18 अप्रैल, 2022 को जारी किए गए इस गजट नोटिफिकेशन के बाद दिल्ली में एक मेयर और एक कमिश्नर की व्यवस्था होगी. इसके साथ ही वार्डों की संख्या को परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया जाएगा. वर्तमान में एमसीडी वार्डों की संख्या 272 हैं. वहीं, नए कानून में इसका प्रावधान अधिकतम 250 निर्धारित किया गया है. यानी अब निगम वार्डों का परिसीमन करके जनंसख्या के आधार पर इनको 250 वार्ड किया जाएगा.
दिल्ली के तीनों नगर निगमों के 272 वार्डों की स्थिति की बात करें तो अभी नॉर्थ और साउथ एमसीडी में 104-104 वार्ड हैं जबकि ईस्ट एमसीडी में इनकी संख्या 64 है. इनमें से 180 सीटों पर भाजपा पार्षदों का कब्जा है. लेकिन अब नए कानून के बाद जनसंख्या के आधार पर अधिकतम वार्ड संख्या 250 की जाएगी. कानून के मुताबिक इनकी संख्या को 250 से नीचे ही रखा जाना है. यह सबकुछ निगम वार्ड परिसीमन के बाद ही तय होगा.
वार्डों के परिसीमन पूरा होने के बाद हो सकेंगे निगम चुनाव
निगम सूत्र बताते हैं कि इन वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही एमसीडी के चुनावों का रास्ता साफ हो पाएगा. फिलहाल छह माह तक के लिए चुनावों को टाल दिया गया है. निगम की ओर से अब एकीकरण की प्रक्रिया पर काम किया जाएगा. कानून के मुताबिक इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब दो साल का वक्त भी लग सकता है. इस अवधि का प्रावधान किए जाने का जिक्र भी कानून में किया गया है.
नए कानून के लागू होने के बाद होंगे ये खास प्रावधान
नए कानून के लागू होने के बाद एमसीडी पर पूरी तरह से दिल्ली सरकार का हस्तक्षेप समाप्त कर दिया गया है. अधिनियम में, धारा 514क के स्थान पर रखी धारा का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया है कि उससे जुड़ा हर शब्द का मतलब केंद्र सरकार होगा. अर्थात्:-
“514ए. इस निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022 में किसी बात के होते हुए भी, केंद्र सरकार यदि आवश्यक हो, तो विशेष अधिकारी कहलाने के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है. उस तारीख तक जिस तारीख को पहली निगम की बैठक दिल्ली नगर निगम के शुरू होने के बाद होती है.
514एए. दिल्ली नगर निगम के प्रारंभ होने पर और उसके बाद से (संशोधन) अधिनियम, 2022,-
(ए) उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (इसके बाद के रूप में संदर्भित)
पूर्ववर्ती निगमों) के साथ सम्मिलित किया जाएगा, और दिल्ली नगर निगम का हिस्सा बन जाएगा.
(बी) किसी भी अनुबंध या अन्य में पूर्ववर्ती निगमों के लिए कोई संदर्भ साधन को नगर निगम के संदर्भ के रूप में दिल्ली समझा जाएगा.
(सी) सभी संपत्तियां, चल और अचल, या पूर्ववर्ती से संबंधित निगम दिल्ली नगर निगम में निहित होंगे.
(डी) पूर्ववर्ती निगमों के सभी अधिकार और दायित्व होंगे. नगर निगम को हस्तांतरित, और उसके अधिकार और दायित्व दिल्ली होंगे.
(ई) किसी भी अनुशासनात्मक, मध्यस्थता सहित कोई लंबित कार्यवाही, अपील या अन्य कानूनी कार्यवाही, जो भी प्रकृति की, पूर्ववर्ती द्वारा या उसके विरुद्ध नगर निगम द्वारा या उसके विरुद्ध निगमों को जारी रखा जाएगा या लागू किया जाएगा,
दिल्ली निगम कहलाएगा.
(च) ऐसे प्रारंभ से पहले बनाए गए कोई भी नियम, विनियम और उपनियम,
जहां तक वे अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हैं, नए नियम, विनियम और उपनियम बनाए जाने तक लागू रहेंगे, वह सभी लागू रहेंगे. इस सभी को लेकर करीब दो वर्ष का समय इस पूरी प्रक्रिया को अमल में लाने का निर्धारित किया गया है.
लोकसभा चुनाव के साथ एमसीडी चुनाव की ज्यादा संभावना
निगम सूत्रों की माने तो प्रक्रिया को पूरा करने में लंबा वक्त लगने के चलते निगम चुनावों को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के साथ कराने की भी प्रबल संभावना जताई जा रही है. नए कानून में इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने में करीब दो वक्त के समय लगने का भी जिक्र किया गया है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि एमसीडी चुनावों को लोकसभा चुनाव के साथ ही करवाया जा सकता है.
एमसीडी के वित्तीय हालातों में होगा सुधार
माना जा रहा है कि दिल्ली में एक निगम होने से उसकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा. साथ ही अनावश्यक खर्चों पर भी बड़ी लगाम लग सकेगी. इस कानून के अमल में आने के बाद अब दिल्ली सरकार को पूरी तरह से हस्तक्षेप समाप्त कर दिया गया है. अब जो निगम से संबंधित तथ्य या आदेश होंगे, वह सभी सीधे तौर पर केंद्र सरकार से संबंधित रहेंगे. इससे एमसीडी और दिल्ली सरकार के बीच रहने वाली तनातनी समाप्त हो सकेगी. वहीं जनहित से जुड़े मुद्दों पर और तेजी से काम हो सकेंगे.
अब सिर्फ एमसीडी अधिकारी व कर्मचारी कहलाएंगे तीनों निगमों के स्टॉफ
दिल्ली की तीनों नगर निगमों नॉर्थ, ईस्ट और साउथ दिल्ली नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी अब तत्काल प्रभाव से दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी कहलाएंगे. अभी तक निगमों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों की बात करें तो यह अलग-अलग निगमों के अधीनस्थ होते थे. लेकिन अब नए कानून के अमल में आने की तारीख से यह सिर्फ एमसीडी अधिकारी व कर्मचारी होंगे.
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