नई दिल्ली. कोरोना के दौरान भारत ने ही बल्कि बल्कि पूरे विश्व ने आयुर्वेदिक उपायों और जीवनशैली को बेहद रुचि के साथ अपनाया. आम आदमी की रसोई में मौजूद मसालों और उत्पादों के इस्तेमाल से लेकर आयुर्वेदिक श्रेणी में आने वाले उत्पादों का भरपूर इस्तेमााल हुआ. यही वजह है कि आयुर्वेदिक उत्पादों (Ayurvedic Products) को लेकर लोगों की रुचि ही नहीं बल्कि उत्पादन और बिक्री भी काफी बढ़ी है लेकिन अब आयुष मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) मिलकर लोगों को आयुर्वेद आहार (Ayurveda Aahara) नाम से आयुर्वेदिक उत्पाद उपलब्ध कराने जा रहे हैं. ये सभी उत्पाद ‘आयुर्वेद आहार’ श्रेणी के तहत ही बाजार में बेचे जाएंगे.
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय (Ministry of Ayush) और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की ओर से हाल ही में खाद्य पदार्थों की इस श्रेणी के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता मानक तैयार किए गए हैं. इससे न केवल लोगों को बेहतर क्वालिटी के आयुर्वेद उत्पाद मिल सकेंगे. बल्कि मेक इन इंडिया (Make in India) उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार (International Market) का विस्तार भी हो सकेगा.
आयुष मंत्रायल का कहना है कि खाद्य सुरक्षा क्वालिटी (Food Safety Quality) तैयार करने वाले निर्माताओं और उपभोक्ताओं के बीच एक साझा जिम्मेदारी है और हमारे द्वारा उपभोग किए जाने वाले भोजन को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने में भी सभी की भूमिका है. इसी को ध्यान में रखते हुए कोविड-19 महामारी के फिर से शुरू होने के बाद भोजन (Food), पोषण, स्वास्थ्य (Health), प्रतिरक्षा और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के बाद इसे और मजबूत किया गया है.
आयुर्वेद खाद्य पदार्थों को लेकर सख्त होंगे नियम
विनियमों के अनुसार, ‘आयुर्वेद आहार’ उत्पादों का उत्पादन और बिक्री अब सख्त खाद्य सुरक्षा और मानक (आयुर्वेद आहार) विनियम, 2022 के नियमों का पालन करने के बाद ही हो सकेगा. कोई भी आयुर्वेदिक उत्पाद अब एफएसएसएआई से लाइसेंस या अनुमोदन मिल जाने के बाद ही बाजार में उपलब्ध होगा. आयुर्वेद आहार श्रेणी के लिए एक विशेष लोगो बनाया गया है, जो हर आयुर्वेद खाद्य उत्पाद पर लगा रहेगा और लोग आसानी से इसकी गुणवत्ता की पहचान कर सकेंगे.
कौन-कौन से उत्पाद होंगे आयुर्वेद आहार में शामिल
नियमों के अनुसार, आयुर्वेद की आधिकारिक पुस्तकों में दर्ज व्यंजनों, मसालों या अवयवों और आयुर्वेदिक प्रक्रियाओं से तैयार किए गए भोजन या खाद्य पदार्थों को आयुर्वेद आहार माना जाएगा. ये सभी वे उत्पाद होंगे जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देंगे. इसके अलावा विशेष प्रकार की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने वाले, किसी विशेष प्रकार की बीमारी के दौरान या बाद में इस्तेमाल किए जाने वाले भोज्य पदार्थ, या पथ्य आदि किसी भी प्रकार के डिसऑर्डर्स (Disorders) में आयुर्वेद की ओर से इस्तेमाल के लिए बताए जाने वाले खाद्य पदार्थ इन नियमों के तहत आएंगे.
आयुर्वेद आहारों पर ऐसी होगी लेबलिंग
आयुष की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि आयुर्वेद आहारों के पैक पर लेबलिंग की जाएगी. जिसमें कुछ विशेष जानकारियां दर्ज होंगी. इनमें आहार को लेने का उद्धेश्य, कौन-कौन इस आहार का उपयोग कर सकता है, किस अवधि में इस आयुर्वेद आहार का इस्तेमाल किया जा सकता है और अन्य कई जरूरी चीजें इन आहारों के पैक पर दर्ज होंगी. इससे लोगों को इनके इस्तेमाल में सहूलियत होगी.
आयुर्वेद आहार में दवा, कॉस्मेटिक्स आदि नहीं होंगे शामिल
‘आयुर्वेद आहार’ की अलग-अलग श्रेणियों में स्वास्थ्य को लेकर दावे, बीमारी (Disease) को घटाने या रिस्क घटाने के दावे और इनकी स्वीकृति प्रक्रिया नियमों में दी गई जरूरतों के आधार पर होगी. हालांकि, ‘आयुर्वेद आहार’ में आयुर्वेदिक दवाएं (Ayurvedic Drugs) या प्रोपराइटरी आयुर्वेदिक दवाएं और औषधीय प्रोडक्ट, सौंदर्य प्रसाधन, नारकोटिक या साइकॉट्रॉपिक पदार्थ और जड़ी-बूटियां शामिल नहीं होंगी. वहीं खास बात है कि 2 साल से कम उम्र के छोटे बच्चों के लिए आयुर्वेद आहार की सिफारिश भी नहीं की जा रही है. उन बच्चों को आयुर्वेद आहार न दें.
बनाई जा रही है कमेटी
‘आयुर्वेद आहार’ को पूर्व स्वीकृति की जरूरत है. यह खाद्य सुरक्षा और मानकों (गैर-विशिष्ट खाद्य और खाद्य सामग्री के लिए अनुमोदन) विनियम, 2017 के अनुसार होगा. एफएसएसएआई आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर एक एक्सपर्ट कमेटी गठित करने जा रहा है. यह समिति आयुर्वेद आहार से संबंधित पंजीकरण या लाइसेंस, प्रमाणन, प्रयोगशाला मान्यता या परीक्षण या गुणवत्ता के मुद्दों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए कार्य करेगी. खाद्य व्यवसाय संचालक को खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमों, प्रासंगिक बीआईएस विनिर्देशों के तहत परिभाषित मानदंडों के अनुसार सामग्री के लिए गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा.
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