नई दिल्ली. दिल्ली की तिहाड़ जेल (Tihar Jail News) कभी कैदियों की मौत, तो कभी जेल के अंदर से ठगी का धंधा चलाए जाने को लेकर चर्चा में रहती है. इस बीच 47 अधिकारियों का बायोमेट्रिक सत्यापन में मिलान (Biometric Mismatch) नहीं होने के बाद उनका वेतन रोकने का मामला सामने आया है. इसके साथ सवाल उठ रहा है कि क्या दिल्ली की तिहाड़ जेल में फर्जी कैंडिडेट्स की भर्ती हुई है? हालांकि जेल प्रशासन ने तत्काल और अंतरिम उपाय के रूप में इन सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन को रोक दिया गया है. इसके साथ सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
वहीं, तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल (Sandeep Goyal) ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की जांच जारी है. इसके साथ उन्होंने कहा कि दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की फाइनल रिपोर्ट आने पर सख्त एक्शन लिया जाएगा. जबकि इस मामले के उजागर होने के बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में फर्जी कैंडिडेट्स की भर्तियां होने की आशंका जताई जा रही है, जिसमें परीक्षा किसी और ने दी और भर्ती किसी और हुई.
जानें कैसे पता लगा फर्जी कर्मचारियों का पता?
बता दें कि दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) ने नवंबर के अंतिम सप्ताह में जेल विभाग में बायोमेट्रिक सत्यापन अभियान चलाया था. इस दौरान जेल में कई कर्मचारियों के साथ अधिकारियों का बायोमेट्रिक सत्यापन में मिलान नहीं हुआ और इसके बाद उनका वेतन रोक दिया है. साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
तिहाड़ जेल के एक अधिकारी ने कहा कि जो लोग 2019 के बाद से दिल्ली जेल विभाग में वार्डर और सहायक अधीक्षक रैंक में डीएसएसएसबी द्वारा आयोजित परीक्षाओं के माध्यम से भर्ती हुए थे, उनके बायोमेट्रिक का मिलान भर्ती के समय संरक्षित डेटा के साथ किया गया. इस दौरान 47 बेमेल मामलों का पता चला है.
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