केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया के निर्देश के बाद जांच एजेंसियों ने इन दवा कंपनियों की जांच शुरू कर दी है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. दुनिया में कोरोना (Coronavirus) के बढ़ते मामले के बीच केंद्र सरकार ने देश के कुछ दवा बनाने वाली कंपनियों (Pharmaceutical Companies) पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया (Dr Mansukh Mandaviya) के निर्देश के बाद जांच एजेंसियों ने इन दवा कंपनियों की जांच शुरू कर दी है. केंद्रीय औषधि एवं मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) कई राज्यों के एजेंसियों के साथ मिलकर कंपनियों का निरक्षण शुरू कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक फिलहाल इन कंपनियों के दवाओं की गुणवत्ता मानकों को परखा जा रहा है. अगर इन दवा कंपनियों पर आरोप सही पाये जाते हैं तो कार्रवाई के साथ-साथ मुकदमा भी चलेगा.
बता दें कि हाल ही गांबिया में भारतीय दवाओं के इस्तेमाल के बाद उत्पन्न विवाद और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई है. केंद्र सरकार ने इन दवा बनाने वाली कंपनियों के नाम और संख्या बताने से इंकार किया है. केंद्र सरकार ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की है, जबकि कुछ ही दिनों पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारतीय कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स को उन दवाओं के निर्यात के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसकी वजह से कथित तौर पर गांबिया में बच्चों की मौत हुई थी.
कई दवा कंपनियां सरकार के निशाने पर
इसी साल अगस्त महीने में भी इन दवा कंपनियों और डॉक्टरों के गठजोड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह जवाब फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेंजेंटिटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया के द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद मांगा था. इस याचिका में दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को बांटे जाने वाले उपहारों के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने भी अख्तियार किया था सख्त रुख
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका डोलो- 650 (Dolo- 650mg Tablet) बनाने वाली दवा कंपनी के खिलाफ दायर की गई थी. एफएमआरएआई ने इस फार्मा कंपनियों पर पर अनैतिक रूप से डॉक्टरों को उपहार देकर दवा लिखवाने का आरोप लगाया है. यह संगठन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार को लागू करने की मांग कर रहा है. संगठन ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों के द्वारा यह दवा ज्यादा लिखने के कारण इसके दाम बढ़ते हैं और इससे आम आदमी का स्वास्थ्य प्रभावित होता है.
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स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के बाद दवा निर्माताओं के केंद्र के रूप में सबसे अहम स्थान रखने वाले वाले हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा छापेमारी की गई है. हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ पंजाब और दिल्ली-एनसीआर में भी दवा बनाने वाली कई कंपनियों के इकाइयों पर छापेमारी की प्रक्रिया चल रही है. जांच करने वाली एजेंसियां उन कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर रही है, जहां दवा निर्माण की प्रक्रिया का उल्लंघन पाया गया था.
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