मेव पंचायत 200 बड़े गौतस्करों की सूची बनाकर उनका नाम सार्वजनिक करेगी. ताकि पता चले कि 40 लाख मेवों की इमेज खराब करने वालों के असली गुनहगार कौन हैं. ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार होगा.
मेव पंचायत के संरक्षक शेर मोहम्मद ने कहा कि "बार-बार आगाह करने के बावजूद कुछ लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं, इसलिए अब समय आ गया कि इन्हें बेनकाब किया जाय."
पिछले एक माह में ही दो कथित गौ तस्करों को मारा गया है, जो मेवात क्षेत्र के रहने वाले थे. 11 दिसंबर को भी मेवात के एक गौ तस्कर उमर खान को अलवर पुलिस ने पकड़ा है.
उधर, मेवात के उलेमाओं, मौलानाओं और पंच-सरपंचों ने पुन्हाना क्षेत्र के गांव जखोकर में एक पंचायत कर गौ तस्करों और उनका समर्थन करने वालों पर 21 हजार का जुर्माना लगाने का एलान किया है. यही नहीं जुर्म साबित होने पर आरोपी का हुक्का-पानी बंद कर सभी रिश्ते खत्म करने की भी धमकी दी है. गौ तस्करी की घटनाओं के बीच ही मेव समाज से सकारात्मक आवाज भी उठ रही है.
गोवंश से भरा ट्राला, इस तरह भरकर गाय ले जाते हैं तस्कर
मेवात के पत्रकार युनूस अलवी बताते हैं कि "यहां लोगों का मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है. जिले में पांच सौ से अधिक परिवार ऐसे हैं जिनके पास 50 से लेकर 100 गायें हैं. मुस्लिम बहुल इस जिले के फिरोजपुर झिरका कस्बे के पास एक गांव है पाटखोरी. इसमें करीब एक हजार गायों का पालन पोषण हो रहा है." जबकि गुरुग्राम से अलवर तक फैला यह क्षेत्र गायों की तस्करी के लिए बदनाम है.
अलवर की तहसील रामगढ़ के रघुनाथगढ़ गांव में 36 गायों की गोकशी की वारदात करने वाले सूबेदार खान और दीनदार खान का हमने सामाजिक बहिष्कार किया था. तभी से आरोपी का बहिष्कार जारी है. यह परिवार अब हरियाणा में रह रहा है. इस मामले में आरोपियों के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में वकील भी खड़ा किया था. सोमवार को अलवर पुलिस ने मुठभेड़ में पल्ला गांव नूंह, हरियाणा निवासी उमर खान को भी गौ तस्करी में गिरफ्तार किया है. उसके खिलाफ भी वकील खड़ा करुंगा.
— शेर मोहम्मद, मेव पंचायत के संरक्षक
मोहम्मद कहते हैं, "हम एनकाउंटर के खिलाफ हैं. कोई गौ तस्करी कर रहा है तो सरकार उसे पकड़े और जितने साल की सजा का प्रावधान है उतने साल तक जेल में रखे. अलवर पुलिस थोड़ा धैर्य रखती तो तालिम हुसैन को उमर खान की तरह पकड़ा जा सकता था."
लोग दूध निकालने के बाद गायों को सड़क पर छोड़ देते हैं
शेर मोहम्मद कहते हैं कि "यदि पहलू खान जैसे किसी गोपालकको मारा जाएगा तो हम उस परिवार के साथ खड़े होंगे. उसकी ओर से सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे. अक्टूबर में अलवर के साहूबास गांव (किशनगढ़ बास थाना) निवासी दूध कारोबारी सुब्बा मेव को गौ तस्कर बताकर हिन्दूवादी संगठन के लोगों ने उसकी 51 गायें छीन ली थीं. गायों को गौशाला में पहुंचा दिया था. इसमें पुलिस की भी मिलीभगत थी. इस ज्यादती के खिलाफ लड़ाई लड़कर उसे सभी गायें वापस दिलाई गई हैं.
मेवात के जखोकर में गोहत्या के खिलाफ पंचायत (file)
क्यों गाय संबंधित हिंसा का केंद्र बन रहा अलवर
अलवर (राजस्थान) क्यों गाय संबंधित हिंसा का बड़ा केंद्र बन रहा है? इस सवाल के जवाब में शेर मोहम्मद ने बताया, "यह क्षेत्र मेवात और भरतपुर से सटा है, जहां मेव बहुत हैं. इसमें से कुछ लोग गौ तस्करी का काम करते हैं. अलवर में गायों को रखने का पर्याप्त इंतजाम नहीं है. जो गोशालाएं हैं उनमें भी ठीक इंतजाम नहीं है. गायें सड़क पर आवारा घूमती रहती हैं. प्रशासन इनके लिए इंतजाम करे मैं खुद 6 माह के लिए चारा का पैसा दिलाऊंगा."
वसुंधरा राजे सरकार सबसे ज्यादा 13 सौ से अधिक गोशालाएं चला रही है. यहां पर देश में पहली बार गौरक्षा मंत्रालय और मंत्री बनाया गया है. यहांं गौरक्षा मामलों का एक मंत्री है. लेकिन यहांं गौशालाओं में गायों की जो हालत है उसे हिंगोनिया के उदाहरण से समझा जा सकता है जहां हजारोंं गायें बदइंतजामी की वजह से दम तोड़ चुकी हैं.
लोग दूध निकालने के बाद उन्हें सड़क पर छोड़ देते हैं. यहांं से गायों उठाना और मेवात ले आना काफी आसान है.
गोतस्कर क्यों नहीं मान रहे कानून और समाज की नसीहत
शेर मोहम्मद कहते हैं कि गौ तस्करों को इस काम में कोई लागत नहीं लगानी पड़ती. उन्हें गाय उठाने में फायदा ही फायदा दिखता है. एक गाय का चमड़ा ही असानी से 15 हजार रुपये में बिक जाता है, जबकि तीन-चार हजार रुपये का मांस बिक जाता है. इस अवैध धंधे में मोटे पैसे की वजह से गोतस्कर अपना काम नहीं छोड़ रहे हैं.
अलवर में गायों से संबंधित हिंसा बढ़ रही है
'पंचायत अब लगाए तालिम और उमर पर जुर्माना'
गाय केयर अभियान मेवात के अध्यक्ष राजुद्दीन कहते हैं कि जो लोग पंचायत करके गोतस्करों पर 21 हजार का जुर्माना लगाने की बात करते हैं वही अपनी बात पर अमल नहीं कर रहे हैं. उन्हें गौ तस्करी के आरोप में मारे गए तालिम हुसैन और पकड़े गए उमर खान के घर जाना चाहिए. 21-21 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर समाज से बहिष्कृत कर देना चाहिए. जो प्रोफेशनल गौ तस्कर हैं उन सभी की पहचान करके उनके साथ ऐसा ही किया जाना चाहिए. लेकिन वे ऐसा करेंगे नहीं. क्योंकि पंचायत करने वालों की कथनी और करनी में अंतर है.