बेशक सऊदी अरब और भारत सरकार ने महिलाओं को बिना मेहरम के हज यात्रा करने की छूट दे दी है. लेकिन इसके बाद भी हर एक मुस्लिम महिला बिना मेहरम के हज यात्रा नहीं कर पाएगी. क्योंकि सरकार ने छूट देने के साथ ही एक शर्त भी लगा दी है. ये शर्त होगी अपने मसलक (वर्ग) से अनुमति लेने की. गौरतलब रहे कि मुसलमान चार स्कूल ऑफ थॉट को मानते हैं.
भारत सरकार ने महिलाओं को बिना मेहरम के हज यात्रा की अनुमति देते हुए कहा है कि हज यात्रा के लिए आवेदन करते वक्त महिलाओं को अपने मसलक का अनुमति पत्र भी लगाना होगा. इस अनुमति पत्र में खुलासा किया जाएगा कि वो महिला को बिना मेहरम के हज यात्रा की अनुमति देते हैं.
मुसलमान चार स्कूल ऑफ थॉट शाफई, हनफी, अम्बली और मालकी को मानते हैं. लेकिन इनमें से सिर्फ शाफई मसलक ही अपने यहां महिलाओं को बिना मेहरम के हज यात्रा की अनुमति देता है. बाकी के तीन मसलक में महिलाओं को बिना मेहरम के हज यात्रा की अनुमति नहीं है.
जिसके चलते सभी मुस्लिम महिलाएं भारत और सऊदी अरब सरकार की दी हुई इस राहत का फायदा नहीं ले सकेंगी. गौरतलब रहे कि शाफई मसलक को मानने वाले सबसे ज्यादा केरल, कोंकड़ और पश्चिम बंगाल में रहते हैं. ये ही वजह है कि बिना मेहरम के हज यात्रा पर जाने की ख्वाहिश रखने वाली सबसे ज्यादा महिलाओं के 1124 आवेदन केरल से आए हैं. गुजरात से एक भी आवेदन नहीं आया है.
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FIRST PUBLISHED : January 18, 2018, 16:51 IST