Air Quality Index: इस साल दिल्ली मेंं सिर्फ 2 दिन थी अच्छी हवा, आखिर कौन फैला रहा प्रदूषण?

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को दावा किया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रयासों से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम हुआ है. (File Photo)
इस साल दिल्ली में सिर्फ 17 और 18 अगस्त को हवा की गुणवत्ता अच्छी थी. इस दौरान एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) को ‘गुड’ मार्क मिला था. जबकि अन्य दिनों में ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री और धूल से साल भर रहता है प्रदूषण, लेकिन चिंता सिर्फ 15 दिन की जाती है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 15, 2019, 3:28 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली (Delhi) के नेता, नौकरशाह और पर्यावरणविद् पिछले 15 दिन से प्रदूषण (Pollution) के लिए किसानों (Farmers) को कोस रहे हैं. लेकिन उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि राजधानी की ओबो-हवा साल भर खराब रहती है. यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट बता रही है. यकीन मानिए दिल्ली में इस साल सिर्फ दो ही ऐसे दिन थे जब हवा जीने लायक थी. प्रदूषण से बचाव की परीक्षा में दो ही दिन दिल्ली को ‘गुड’ मार्क मिला है.
साफ हवा को लेकर ये दोनों दिन बारिश के मौसम में आए थे. ये तारीख थी 17 और 18 अगस्त. पर्यावरण मसलों को बड़े नजरिए देखने वाले लोगों का कहना है कि यह दिल्ली के लिए शर्म का विषय हो सकता है कि उनके शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) साल के 363 दिन खराब स्तर पर रहता है.
सीपीसीबी की ओर से रोजाना जारी होने वाले प्रदूषण के आंकड़ों का हमने विश्लेषण किया तो पाया कि जनवरी, मार्च, मई में एक भी दिन दिल्ली की हवा संतोषजनक नहीं थी. नवंबर में अब तक तो हवा अपने खतरनाक स्तर पर बनी हुई है. जबकि फरवरी, अप्रैल और जून में सिर्फ एक-एक दिन ही हवा ऐसी थी, जिसे हम संतोषजनक कह पाएंगे. वर्ष 2018 में एक भी दिन हवा ‘गुड क्वालिटी’ की नहीं थी.
दिल्ली में प्रदूषण की जड़ें
वायु प्रदूषण की निगरानी करने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था ‘सफर’ (SAFAR) ने 2018 में दिल्ली के प्रदूषण पर एक विस्तृत रिपोर्ट दी है. इसमें प्रदूषण के 26 कारण बताए गए हैं. जिसमें से ये तीन मुख्य हैं...
>>सफर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर गुफरान बेग की ओर से तैयार की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री और डस्ट यहां पर वाहन प्रदूषण के सबसे बड़े कारण हैं.
>>रिपोर्ट के मुताबिक ओला, उबर की हर टैक्सी सालाना औसतन 1.45 लाख किलोमीटर चलती है.
>> दिल्ली की प्रमुख सड़कों पर वाहनों की औसत गति सिर्फ 20 से 30 किमी प्रति घंटे ही रह गई है. जिससे प्रदूषण बढ़ता है.
>>अन्य राज्यों से दिल्ली के आठ अलग-अलग एंट्री-पॉइंट से हर दिन लगभग 11 लाख गाड़ियां यहां आती-जाती हैं.
इस रिपोर्ट में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों द्वारा वर्ष 2006 में की गई एक स्टडी का भी जिक्र है. जिसमें रोड डस्ट, वाहन, इंडस्ट्री और कंस्ट्रक्शन को प्रदूषण का बड़ा कारण माना गया है.

सिर्फ किसानों को दोष देने वाले क्या करेंगे?
पर्यावरणविद् एन. शिवकुमार कहते हैं कि जब हम अपनी राजधानी को साफ-सुथरा नहीं रख सकते तो हम दूसरे शहरों के लिए क्या कर पाएंगे? नेताओं के एजेंडे में कभी यह सब होता ही नहीं है. वो सिर्फ किसानों को दोष देकर निकल जाते हैं.
पराली की आड़ में बचना चाहते हैं कुछ लोग!
दूसरी ओर न्रजब पराली जलनी बंद हो जाती है तब भी यहां की हवा प्रदूषित रहती है लेकिन उस पर कोई विचार-विमर्श नहीं होता.

एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या होता है
एयर क्वालिटी इंडेक्स इंडेक्स प्रदूषण की समस्या मापने के लिए बनाया गया है. यह आठ प्रदूषकों से बनता है. इंडेक्स बताता है कि हवा में पीएम 10, 2.5, PM10, PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए मानकों के तहत है या नहीं.
ये भी पढ़ें:
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छलनी हो गया दिल्ली का सुरक्षा 'कवच', खत्म हो रहे जंगल, कैसे कम होगा प्रदूषण?
साफ हवा को लेकर ये दोनों दिन बारिश के मौसम में आए थे. ये तारीख थी 17 और 18 अगस्त. पर्यावरण मसलों को बड़े नजरिए देखने वाले लोगों का कहना है कि यह दिल्ली के लिए शर्म का विषय हो सकता है कि उनके शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) साल के 363 दिन खराब स्तर पर रहता है.
सीपीसीबी की ओर से रोजाना जारी होने वाले प्रदूषण के आंकड़ों का हमने विश्लेषण किया तो पाया कि जनवरी, मार्च, मई में एक भी दिन दिल्ली की हवा संतोषजनक नहीं थी. नवंबर में अब तक तो हवा अपने खतरनाक स्तर पर बनी हुई है. जबकि फरवरी, अप्रैल और जून में सिर्फ एक-एक दिन ही हवा ऐसी थी, जिसे हम संतोषजनक कह पाएंगे. वर्ष 2018 में एक भी दिन हवा ‘गुड क्वालिटी’ की नहीं थी.

इस साल अब तक दिल्लीवालों को सिर्फ दो दिन अच्छी हवा नसीब हुई है
वायु प्रदूषण की निगरानी करने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था ‘सफर’ (SAFAR) ने 2018 में दिल्ली के प्रदूषण पर एक विस्तृत रिपोर्ट दी है. इसमें प्रदूषण के 26 कारण बताए गए हैं. जिसमें से ये तीन मुख्य हैं...
>>सफर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर गुफरान बेग की ओर से तैयार की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री और डस्ट यहां पर वाहन प्रदूषण के सबसे बड़े कारण हैं.
>>रिपोर्ट के मुताबिक ओला, उबर की हर टैक्सी सालाना औसतन 1.45 लाख किलोमीटर चलती है.
>> दिल्ली की प्रमुख सड़कों पर वाहनों की औसत गति सिर्फ 20 से 30 किमी प्रति घंटे ही रह गई है. जिससे प्रदूषण बढ़ता है.
>>अन्य राज्यों से दिल्ली के आठ अलग-अलग एंट्री-पॉइंट से हर दिन लगभग 11 लाख गाड़ियां यहां आती-जाती हैं.
इस रिपोर्ट में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों द्वारा वर्ष 2006 में की गई एक स्टडी का भी जिक्र है. जिसमें रोड डस्ट, वाहन, इंडस्ट्री और कंस्ट्रक्शन को प्रदूषण का बड़ा कारण माना गया है.

2019: जब दिल्ली में संतोषजनक थी हवा
सिर्फ किसानों को दोष देने वाले क्या करेंगे?
पर्यावरणविद् एन. शिवकुमार कहते हैं कि जब हम अपनी राजधानी को साफ-सुथरा नहीं रख सकते तो हम दूसरे शहरों के लिए क्या कर पाएंगे? नेताओं के एजेंडे में कभी यह सब होता ही नहीं है. वो सिर्फ किसानों को दोष देकर निकल जाते हैं.
पराली की आड़ में बचना चाहते हैं कुछ लोग!
दूसरी ओर न्रजब पराली जलनी बंद हो जाती है तब भी यहां की हवा प्रदूषित रहती है लेकिन उस पर कोई विचार-विमर्श नहीं होता.

भारत सरकार के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण की जड़ें
एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या होता है
एयर क्वालिटी इंडेक्स इंडेक्स प्रदूषण की समस्या मापने के लिए बनाया गया है. यह आठ प्रदूषकों से बनता है. इंडेक्स बताता है कि हवा में पीएम 10, 2.5, PM10, PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए मानकों के तहत है या नहीं.
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