दिल्ली के निजी स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. दिल्ली के निजी स्कूल (Private School) के शिक्षकों और कर्मचारियों (Teachers and Employees) के लिए अच्छी खबर है. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर निजी स्कूल किसी शिक्षक या कर्मचारी को अनुशासनहीनता (Indiscipline) के आरोप में निलंबित (Suspends) करता है तो दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय से मंजूरी लेनी होगी. हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर निजी स्कूल 15 दिन में मंजूरी नहीं ली तो निलंबन का आदेश रद्द माना जाएगा.
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीष चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली शिक्षा अधिनियम की धारा 8 के बिंदु 4 और 5 के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए यह फैसला सुनाया.
निजी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला
हाईकोर्ट ने एक शिक्षिका के याचिका पर यह फैसला सुनाया. शिक्षिका एक निजी स्कूल में कार्यरत थीं. फरवरी 2020 में शिक्षिका को स्कूल प्रबंधन ने निलंबित कर दिया था. निलंबन के एक साल बाद शिक्षा निदेशालय ने निलंबन को मंजूरी दी थी.
शिक्षिका को इसलिए हटा दिया गया था
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि शिक्षिका का निलंबन जारी नहीं रखा जा सकता है. इससे पहले एकल पीठ ने भी शिक्षिका के हक में फैसला सुनाया था. जिस पर स्कूल प्रबंधन ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी.
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गौरतलब है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारका ने एक शिक्षिका को निलंबित कर 4 दिन बाद निलंबन की जानकारी दी थी. शिक्षिका ने स्कूल प्रबंधन के इस फैसले को उच्च न्यायलय में चुनौती थी और कहा था कि शिक्षा निदेशालय के मंजूरी के बिना ही स्कूल प्रबंधन ने निलंबन का आदेश पारित किया.
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