कोरोन के मामलों के कम होने के बावजूद स्वास्थ्य विशेषज्ञ अनलॉक नहीं चाहते.
नई दिल्ली. देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब कोरोना के मामलों (Covid 19 Cases) में कमी देखी जा रही है. आज देशभर में दो लाख से भी कम नए कोरोना मरीजों के मामले सामने आए हैं. वहीं दिल्ली सहित कई राज्यों में कोविड मरीजों (Covid Patients) का आंकड़ा काफी घट गया है. लिहाजा कई राज्यों में पहले से चल रहे लॉकडाउन (Lock Down) को हटाने या सीमित अनलॉक (Unlock) करने के लिए भी विचार-विमर्श चल रहा है.
कोरोना की पहली लहर (Covid First Wave) के बाद दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों के चपेट में आने और उसी दर से लोगों के मौतों के बाद अब पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट राज्य सरकारों को लॉकडाउन (Lockdown) न खोलने की सलाह दे रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के मामले एक लाख से कम भी आते हैं तब भी जून में अनलॉक (Unlock) नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो कोरोना का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र कहते हैं कि फिलहाल राज्य सरकारों को लॉकडाउन खोलने को लेकर विचार भी नहीं करना चाहिए. अगर इस वक्त लॉकडाउन खोल दिया गया तो बीमारी की एक तबाही देखने के बाद जो हालात अब हालात सामान्य होने जा रहे हैं, वे बहुत तेजी से बिगड़ जाएंगे.
डॉ. मिश्र कहते हैं कि अगर पिछले साल से तुलना करें तो अभी भी कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पहली लहर के मुकाबले दोगुना है. हालांकि दूसरी लहर में चार लाख से ऊपर पहुंचने के बाद मामलों का घटना थोड़ा राहत भरा है लेकिन अभी भी इन आंकड़ों पर खुश नहीं हुआ जा सकता. पौने दो लाख से ज्यादा लोगों का रोजाना पॉजिटिव आना अभी भी चिंता की ही बात है.
नेशनल काउंसिल फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) से रिटायर्ड पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सतपाल कहते हैं कि बीमारी पर नियंत्रण करने के लिए इस वक्त जरूरी है कि लॉकडाउन को पूरी तरह खोलकर लोगों को छूट न दी जाए. हां एक फीसदी से भी कम संक्रमण दर आने पर कुछ उपाय किए जा सकते हैं कि बाजारों से लेकर अनवार्य सेवाएं भी चलती रहें और पाबंदियां भी लगी रहें.
डॉ. सतपाल कहते हैं कि पहली लहर के दौरान ही अगर अनलॉक के लिए योजनाएं बना ली जातीं तो दूसरी लहर इतनी भयावह नहीं होती. केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे समय का बंटवारा सही तरीके से करें और सीमित स्तर पर सुविधाओं को शुरू करें. हालांकि अभी जब केसों में कमी आ रही है तो सीधे अनलॉक करना खतरे को बढ़ाने जैसा ही है.
दूसरी लहर में पहले लग जाता लॉकडाउन तो नहीं होता नुकसान
डॉ. एमसी मिश्र आगे कहते हैं कि अभी प्रीमैच्योर हालात है, अगर इसी समय लॉकडाउन को हटा दिया जाता है तो जो मामले पौने दो लाख पर आए हैं वे एकाएक दूसरी लहर की अधिकतम संख्या को भी पीछे छोड़ सकते हैं. पहली लहर में लॉकडाउन समय से लगाया गया था लेकिन इस बार लॉकडाउन लगाने में देर की गई. केंद्र की ओर से लॉकडाउन का फैसला राज्यों पर छोड़ने के बाद इसपर कोई फैसला जल्दी नहीं लिया गया और स्थितियां बिगड़ गईं.
दिल्ली सहित केरल, महाराष्ट्र आदि कई राज्यों में अप्रैल के शुरू में ही लॉकडाउन लग जाना चाहिए था. यहां तक कि पंजाब, राजस्थान, एमपी, यूपी आदि कई राज्यों ने लॉकडाउन लगाने में देर की. अब जब तक संक्रमण दर एक-दो फीसदी पर न आ जाए तब तक लॉकडाउन रहना चाहिए.
जुलाई तक रहा लॉकडाउन तो तीसरी लहर भी होगी नियंत्रित
डॉ. मिश्र कहते हैं कि अगर लॉकडाउन सिर्फ जून ही नहीं बल्कि जुलाई तक सरकारें रखती हैं तो इससे कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को भी खत्म किया जा सकता है. जिसमें कि बच्चों और युवाओं के प्रभावित होने की बात कही जा रही है. जल्दबाजी में लॉकडाउन खोलने का फैसला नुकसान दे सकता है.
जुलाई तक लॉकडाउन रखने के पीछे वैक्सिनेशन को और भी ज्यादा तेज करने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को कवर करने की जरूरत भी एक वजह है. अब मई के आंकड़े आएंगे जिनमें साफ होगा कि कितने लोगों ने एक महीने में टीका लगवाया. इस वक्त कम से कम 50 लाख लोगों को एक महीने में वैक्सीन लगना चाहिए. वहीं जून और जुलाई तक टीकाकरण का यह आंकड़ा और बढ़ना चाहिए.
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