वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को जज बनाने के फैसले पर विवाद.
नई दिल्ली. एक दुर्लभ घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट की न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करने का फैसला किया है. शीर्ष अदालत के फैसले के ठीक पहले केंद्र ने गौरी की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को अधिसूचित किया. न्यायालय गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 10 फरवरी को सुनवाई करने पर सहमत हुआ था. हालांकि, मामले का फिर से उल्लेख किए जाने पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने मंगलवार को इस पर सुनवाई करने का फैसला किया. पीठ ने कहा कि केंद्र को गौरी के नाम की सिफारिश किए जाने के बाद कॉलेजियम ने कुछ घटनाक्रम पर गौर किया है. पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी थे.
याचिकाकर्ता वकीलों, अन्ना मैथ्यू, सुधा रामलिंगम और डी नागसैला ने अपनी याचिका में गौरी द्वारा मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ की गई कथित घृणास्पद टिप्पणियों का उल्लेख किया. वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने मामले का फिर से उल्लेख करते हुए गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त करने वाली केंद्र की अधिसूचना से अदालत को अवगत कराया और तुरंत हस्तक्षेप का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि मुद्दा पात्रता का है, न कि उपयुक्तता का है. महत्वपूर्ण जानकारी कॉलेजियम के सामने नहीं थी, जिससे बाधा उत्पन्न हुई. उन्होंने याचिका में 1992 के एक फैसले का भी हवाला दिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि शीर्ष अदालत ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें नियुक्त व्यक्ति को गौहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने और पद ग्रहण करने से रोक दिया गया था. याचिका में कहा गया, ‘याचिकाकर्ता न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरे को देखते हुए चौथे प्रतिवादी (गौरी) को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ लेने से रोकने के लिए उचित अंतरिम आदेश की मांग कर रहे हैं.
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने दी बधाई
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ के समक्ष केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला वकील को पदोन्नत करने का प्रस्ताव कथित तौर पर तब विवादास्पद हो गया, जब उनकी भाजपा से कथित संबद्धता के बारे में खबरें सामने आईं. वहीं कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने ट्विटर पर न्यायाधीशों की नई नियुक्तियों की घोषणा की और उन्हें शुभकामनाएं दीं. वकील गौरी सहित कुल 11 अधिवक्ताओं और दो न्यायिक अधिकारियों को सोमवार को इलाहाबाद, कर्नाटक और मद्रास के उच्च न्यायालयों में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.
मद्रास उच्च न्यायालय के बार के कुछ सदस्यों ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर गौरी को उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश को वापस लेने की मांग की थी. पत्र में आरोप लगाया गया था कि गौरी ने ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली टिप्पणी की थी. सोमवार को दायर याचिका में कहा गया कि गौरी को उनकी अयोग्यता के कारण न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से रोका जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों के दौरान नागरिकों के खिलाफ उनके धार्मिक जुड़ाव के आधार पर मजबूत पूर्वाग्रह’ दिखाया है. याचिका में कहा गया है कि उनकी पदोन्नति एक सवाल उठाती है कि क्या धार्मिक आस्था के आधार पर नागरिकों के खिलाफ मजबूत पूर्वाग्रह के साथ किसी न्यायाधीश की नियुक्ति से न्याय तक पहुंच के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है.
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Tags: Delhi news, Madras high court, Supreme Court
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