नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के तेजी से फैलने के बाद एंटी-वायरल ड्रग रेमडेसिविर (Remdesivir) की भारी किल्लत हो गई है. रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत के कई कारण सामने आ रहे हैं. इसमें एक कारण यह भी है कि बीते दो-तीन महीनों से इस दवा के उत्पादन में काफी कमी आ गई थी. रही सही कसर देश में कोरोना की दूसरी लहर ने पूरी कर दी है. डॉक्टरों के मुताबिक, रेमडेसिविर कोरोना बीमारी की अवधि कम करता है, लेकिन मौत की दर को घटा नहीं सकता. यह एक जरूरी ड्रग है और संक्रमण अधिक फैलने से लंग्स खराब होने की स्थिति में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इसी वजह से आजकल बाजार में इस दवाई की किल्लत बढ़ गई है. अगर दवाई मिल भी रही है तो काफी महंगे दामों में मिल रही है. इसलिए केंद्र सरकार ने पिछले दिनों इस दवाई की निर्यात पर पाबंदी लगा दी है और अब कई राज्य सरकारों ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है.
रेमडेसिविर की मांग में क्यों कमी आ गई थी
फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को मानना है कि दिसंबर 2020 के बाद से कोविड-19 के मामलों में कमी के कारण रेमडेसिविर की मांग में कमी आ गई थी. इस कारण से इस दवाई को बनाने वाली कंपनियों ने इसका उत्पादन कम कर दिया था. जनवरी और फरवरी महीने में भी उत्पादन पहले की तुलना में काफी कम हुई. अब, जबकि इसकी मांग एक बार फिर से बढ़ गई है तो कंपनियों ने उत्पादन तेज कर दी है. सरकार और कंपनी दोनों दावा कर रही है कि अगले चार-पांच दिनों में स्थितियां काफी बेहतर हो जाएंगी.

रेमडेसिविर दवा की अवधि 6 से 8 महीने की होती है.(फाइल फोटो)
रेमडेसिविर दवा की अवधि कितने दिनों तक रहती है
बता दें के रेमडेसिविर दवा की अवधि 6 से 8 महीने की होती है. डॉक्टर कहते हैं कि कोरोना की पहली लहर रेमडेसिविर की मांग दिल्ली, मुंबई, वेंगलुरु, चैन्नई, अहमदाबाद, सूरत, जयपुर और लखनऊ जैसे महानगरों और बड़े शहरों तक सीमित थी, लेकिन दूसरी लहर में इस दवा की मांग बड़े शहर से लेकर छोटे शहरों और गांव-देहात में भी होने लगी है. इस कारण बनाने वाली कंपनी मांग के हिसाब से सप्लाई नहीं कर पा रही है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
नोएडा फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ डी के गुप्ता न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं. 'रेमडेसिविर एंटी-वायरल ड्रग है. यह मुख्य रुप से कमजोरी को कम करती है. अगर कोरोना के शुरुआती लक्षणों और शुरुआती दो-तीन दिनों के बीच इस दवाई को दी जाए तो मरीज के लिए यह कारगर दवाई है. कोरोना मरीज जब दूसरे सप्ताह में पहुंच जाता है तो फिर यह दवाई उतना कारगर साबित नहीं होता है. इस दवाई से डेथ रेट को भी कम नहीं किया जा सकता है. यह दवा कारगर है इससे इनकार नहीं कर सकते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि यह दवा नहीं होने से या नहीं देने से मरीज बच नहीं सकता?

कुछ डॉक्टरों का मानना है कि रेमडेसिवीर कोरोना के लिए बेहद उपयोगी दवा है. (सांकेतिक तस्वीर)
क्यों कोरोना के लिए बेहद उपयोगी है?
वहीं, दूसरे कुछ डॉक्टरों का मानना है कि रेमडेसिवीर कोरोना के लिए बेहद उपयोगी दवा है, लेकिन इसका इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से ही करना चाहिए. बिना डॉक्टरी सलाह पर हाई एंड एंटीवाइरल ड्रग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. जानकारों का मानना है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन 100 में से 70-75 कोरोना मरीजों पर ही काम करता है. जिस मरीज का लंग्स कोरोना की बीमारी की वजह से प्रभावित हुआ है, उसको यह दवाई दिया जा सकता है. अगर किसी रोगी को अगर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है तो तब रेमडेसिवीर नहीं दिया जाता है.
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कौन-कौन सी कंपनियां रेमडेसिविर बनाती है
बता दें कि रेमडेसिविर बनाने का अधिकार या पेटेंट अमेरिकी कंपनी गिलेड लाइफ साइंस (Gilead Life science) के पास है. भारत की कुछ कंपनियां, जैसे जाइडस (Zydus), केडिला (Cadila), ड़ॉ रेड्डी लेबोरटिरीज (Dr Reddy’s Laboratories), हेटेरो ड्रग्स (Hetero Drugs), जुबलिएंट लाइफ साइंसेज (Jubliant Life Sciences), सिप्ला लि. (Cipla Ltd) और बिक़ॉन ग्रुप (Biocon Group) की गिलेड के साथ करार है. अमेरिकी कंपनी माइलन (Mylan) की भी भारतीय यूनिट्स में इसका उत्पादन होता है. भारतीय कंपनियां हर महीने कुल 34 लाख यूनिट रेमडेसिविर बनाती हैं, जिसका निर्यात दुनिया के 120 से अधिक देशों में किया जाता है.undefined
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Tags: Corona patients, Remdesivir, Remdesivir export, Remdesivir injection, Remdesivir shortage
FIRST PUBLISHED : April 14, 2021, 15:33 IST