आरआरटीएस ने शुरू किया बिजली का उत्पादन.
नई दिल्ली. कभी कभार यह खबर पढ़ने मिल जाती है कि फलां जगह ग्रिड फेल होने से स्टेशन में अंधेरा हो गया. लेकिन देश की पहली रैपिड रेल के स्टेशनों में इस तरह समस्या नहीं होगी. क्योंकि आरआरटीएस दो तिहाई बिजली का उत्पादन स्वयं करेगा. इसका उत्पादन शुरू भी हो गया है. केवल 30 फीसदी बिजली बाहर से लेने की जरूरत होगी.
एनसीआरटीसी के अनुसार दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की कुल बिजली आवश्यकता का 70 फीसदी घरेलू सौर संयंत्रों और बाहरी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करेगी. इसको ध्यान में रखते हुए एनसीआरटीसी के पहले सोलर पावर प्लांट से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया है.
यह सोलर पावर प्लांट गाजियाबाद रिसीविंग सब-स्टेशन (आरएसएस) की छत पर लगाया गया है और इसकी छत पर कुल 54 सोलर पैनल लगाए गए हैं. इन पैनलों का आकार लगभग 1×2 मीटर है. इन सोलर पैनल से हर साल करीब 25000 यूनिट बिजली पैदा की जा सकती है.
एनसीआरटीसी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के स्टेशनों और इमारतों की छत पर लगभग 11 मेगावाट संभावित सौर ऊर्जा उत्पन्न करेगा. अनुमान है कि इन संयंत्रों से लगभग 10 मिलियन यूनिट सौर ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिसका उपयोग एनसीआरटीसी द्वारा स्टेशनों/भवनों आदि की सहायक खपत को पूरा करने के लिए किया जाएगा. एनसीआरटीसी ने कुल ऊर्जा का लगभग 70 फीसदी प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है. अक्षय ऊर्जा स्रोतों से आरआरटीएस कॉरिडोर के स्टेशनों, डिपो व अन्य स्थानों पर सोलर पैनल लगाने का कार्य चल रहा है.
सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग एनसीआरटीसी द्वारा रेस्को मॉडल के तहत किया जा रहा है. इस मॉडल के तहत सेवा प्रदाता कंपनी उपलब्ध कराए गए स्थानों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर ऊर्जा का उत्पादन करती है.
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