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दिल्ली में शुरू हुआ ‘साहित्योत्सव 2021’, कोरोना काल में 540 वर्चुअल कार्यक्रम का बनाया रिकॉर्ड!

साहित्य अकादमी की ओर से साहित्योत्सव का आयोजन किया गया है.

साहित्य अकादमी की ओर से साहित्योत्सव का आयोजन किया गया है.

हर साल की भांति इस बार भी साहित्योत्सव का आयोजन किया गया है. तीन दिवसीय ‘साहित्योत्सव 2021’ का शुभारंभ आज अकादमी की वर् ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. साहित्य अकादमी की ओर से हर साल की भांति इस बार भी साहित्योत्सव का आयोजन किया गया है. तीन दिवसीय ‘साहित्योत्सव 2021’ का शुभारंंभ आज वर्षभर की गतिविधियों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी 2020 से हुआ. इसका उद्घाटन साहित्य अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने किया.

    प्रदर्शनी के उद्घाटन से पूर्व साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने पिछले वर्ष साहित्य अकादमी द्वारा किए गए महत्त्वपूर्ण कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण आई रुकावटों के बावजूद अकादमी द्वारा पिछले वर्ष 540 वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किए गए जिन्हें यूट्यूब पर लगभग 2 लाख, फेसबुक पर 7 लाख 10 हजार एवं ट्वीटर पर 17 लाख साहित्य प्रेमियों ने देखा. इस बीच 235 पुस्तकों का भी प्रकाशन किया गया.

    Sahitya Academi Fesitival

    साहित्य अकादमी की ओर से साहित्योत्सव का आयोजन किया गया है.
    प्रदर्शनी में साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित दस भारतीय कालजयी कृतियों के रूसी एवं चीनी अनुवाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पत्रों का अंग्रेज़ी, हिंदी एवं बाङ्ला में प्रकाशन तथा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ योजना के अंतर्गत प्रकाशित पुस्तकों और आयोजित कार्यक्रमों की सूचनाओं को भी प्रदर्शित किया गया है.
    इसके अतिरिक्त अंतराष्ट्रीय कविता दिवस, अंतराष्ट्रीय स्वदेशी भाषा दिवस, महात्मा गाँधी के 150वें जयंती वर्ष पर अकादेमी द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रमों की जानकारी भी प्रदर्शित की गई है.
    प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक, सामान्य परिषद् के सदस्यों के अतिरिक्त अन्य लेखक एवं विद्वान भी उपस्थित रहे.

    प्रख्यात हिंदी कवि, आलोचक, साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में महत्तर सदस्य विश्वनाथ प्रसाद ने प्रतिष्ठित संवत्सर व्याख्यान प्रस्तुत किया.

    Sahitya Academi, Sahityotsav 2021

    साहित्य अकादमी की ओर से साहित्योत्सव का आयोजन किया गया है.
    ‘कविता और सर्जनात्मक साहित्य का स्व भाव’ शीर्षक से दिए गए अपने व्याख्यान में विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि भाषा अपने आप में मनुष्य की सर्जनात्मक चेतना का सबसे बड़ा चमत्कार है. इसीलिए कवि रचनाकार के साथ तो भाषा का संबंध जल और वीचि जैसा है. अर्थवान शब्द देने की क्षमता के अतिरिक्त लेखक के पास दूसरी कोई पूँजी नहीं होती.
    उन्होंने कहा कि ‘देखने’ और ‘कहने’ के अनोखे अंदाज़ में ही कवि और रचनाकार की सर्जनात्मकता सिद्ध होती है. कवि जब देखता है तो सामान्य को भी विशिष्ट बना देता है. फ़िराक़ गोरखपुरी कहते थे कि लोग बड़ी-बड़ी चीज़ें देख लेते हैं पर यह नहीं देख पाते कि उनके पैरों के नीचे की घास कैसे सिर उठाती है. कबीर अपने एक पद में कहते हैं, ‘‘चींटी के पग रुनझुन बाजे, सो भी साईं सुनता है.’’ कवि भी ईश्वर की ही तरह सब कुछ सुनता और देखता है.
    विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अपने विस्तृत व्याख्यान के दौरान कई पश्चिमी एवं भारतीय लेखकों एवं आलोचकों के सूत्र वाक्यों का उल्लेख करते हुए अपनी बात रखी. व्याख्यान की समाप्ति केे बाद इसकी पुस्तकाकार प्रति का लोकार्पण अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार द्वारा किया गया. इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक भी उपस्थित थे.
    व्याख्यान के आरंभ में अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने उनका स्वागत शॉल और पुस्तकें भेंट करके किया और कहा कि विश्वनाथ प्रसाद तिवारी केवल हिंदी ही नहीं बल्कि आधुनिक भारतीय भाषाओं के बड़े कवि हैं. मैंने उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में पाँच वर्ष उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए उनकी बहुमुखी प्रतिभा को बहुत अच्छे से जाना समझा है. इससे पहले पूर्व साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने सवंत्सर व्याख्यान के बारे में बताते हुए कहा कि यह अकादमी की प्रतिष्ठित व्याख्यान शृंखला की पैंतीसवीं कड़ी है. इस व्याख्यान को देश के प्रमुख विद्वान प्रस्तुत करते रहे हैं, जिनमें कुछ प्रमुख नाम अज्ञेय, निर्मल वर्मा, विजय तेंदुलकर, गिरीश कर्नाड, विंदा करंदिकर, गोपीचंद नारंग, रामचंद्र गुहा एवं प्रणव मुखर्जी आदि के हैं.

    Tags: Academy Awards, Books, Delhi-NCR News

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