संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने स्पष्टीकरण दिया है कि यह आह्वान उसकी ओर से नहीं बुलाया गया है.
नई दिल्ली. दिल्ली के जंतर मंतर पर बुलाई किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) को लेकर अब किसान यूनियनों के आह्वान को लेकर भी सवाल उठने लग गया है. किसान महापंचायत की वजह से पूरी दिल्ली हलकान है. दिल्ली के बॉर्डरों पर भीषण जाम की स्थिति पैदा हो गई है. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (Samyukta Kisan Morcha) का बड़ा बयान आया है. एसकेएम ने स्पष्टीकरण दिया है कि यह आह्वान उसकी ओर से नहीं बुलाया गया है.
एसकेएम ने मीडिया को जारी एक स्पष्टीकरण में साफ किया है कि आज सोमवार को जंतर-मंतर पर बुलाई किसान महापंचायत या विरोध संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का आह्वान नहीं है. यह आह्वान 2020-21 के किसानों के विरोध के दौरान एसकेएम का हिस्सा रही कुछ किसान यूनियनों की ओर से किया गया है. बीकेयू एकता सिद्धूपुर के जगजीत सिंह दल्लेवाल इस विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि बाकी किसान संघ और नेता इसका हिस्सा नहीं हैं.
बताते चलें कि महापंचायत के लिए अलग-अलग राज्यों से किसानों का जत्था दिल्ली रवाना हो चुका है. दिल्ली पुलिस ने इसके लिए इजाजत नहीं दी है. इसको लेकर दिल्ली के तमाम बॉर्डरों पर ट्रेफिक जाम की स्थिति बनी हुई. दिल्ली ट्रेफिक पुलिस की ओर से अपने ट्विटर हैंडल पर ट्रेफिक एडवाइजरी जारी कर लोगों को इन रास्तों से बचने के लिए भी सलाह दी है. बावजूद इसके ट्रेफिक की हालत तमाम जगहों पर काफी खराब हो गई. लोग घंटों जाम में फंसे हुए हैं. करीब 4000 से ज्यादा पुलिस पर्सनल को तमाम बॉर्डरों और अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है.
इन मांगों को लेकर बुलाई है किसान यूनियनों ने महापंचायत
इस बीच किसानों की महापंचायत की मांगों की बात करें तो इसमें किसान लखीमपुर खीरी नरसंहार के पीड़ित किसान परिवारों को इंसाफ की मांग को प्रमुखता से उठाने वाले हैं. इसके अलावा जेलों में बंद किसानों की रिहाई व नरसंहार के मुख्य दोषी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी की मांग भी कर रहे हैं.
इसके अलावा किसान स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार एमएसपीी की गारंटी का कानून बनाया जाने की भी मांग कर रहे हैं. वहीं देश के सभी किसानों को कर्जमुक्त करने, बिजली बिल 2022 रद्द करने, गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाने और गन्ने की बकाया राशि का भुगतान तुरंत करने की मांग के लिए ही किसान महापंचायत का आह्वान किया गया है.
किसानों का कहना है कि वह पंचायत के समापन के बाद राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा अराजनैतिक का कहना है कि यदि सरकार किसी भी तरह का व्यवधान डालने का प्रयास करेगी तो उसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेदार होगी.
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