जेल से फोटो वायरल होने के बाद रामपुर से बरेली जेल भेजी गईं शबनम.
नई दिल्ली. अपने ही परिवार के सात लोगों के मर्डर (Murder) की दोषी शबनम की फांसी (Hanging) क्या टल सकती है? फांसी को टालने के लिए शबनम और उसके वकीलों ने फिर से कोशिश की है. एक बार पहले खारिज हो चुकी दया याचिका के बाद दोबारा से राष्ट्रपति (President) के यहां दया याचिका भेजी गई है. इस मामले में शबनम (Shabnam) के वकीलों ने रामपुर जेल पहुंचकर शबनम से कुछ कागज तैयार कराए. दया याचिका पर भी उसके साइन लिए. इसके बाद दया याचिका को जेल (Jail) अधीक्षक को सौंप दिया गया.
गौरतलब रहे शबनम के बेटे ताज ने भी राष्ट्रपति से अपनी मां शबनम की फांसी को टालने और उसे उम्र कैद में बदलने की गुहार लगाई है. बुधवार को ही ताज ने इस तरह की याचिका राष्ट्रपति भवन भेजी है. मौजूदा वक्त में ताज बुलंदशहर में शबनम के एक जानने वाले के यहां रह रहा है. वहीं गुरुवार को शबनम ने दोबारा से दया याचिका भेजी है.
मथुरा की जेल के आधा बीघा एरिया में बने इस फांसी घर में सिर्फ महिलाओं को ही फांसी दी जाएगी. “महिला और पुरुष को फांसी देने के तरीके में कोई फर्क नहीं है, सिवाय इसके कि पुरुष को पुलिस वाले पकड़कर लाते हैं और महिला को महिला कांस्टेबल पकड़कर लाती हैं. तो फिर ऐसा क्यों कि इस फांसी घर में सिर्फ महिलाओं को ही फांसी दी जाएगी.” यह सवाल पवन जल्लाद मथुरा जेल के अधिकारियों से कर चुका है, लेकिन उसके इस सवाल का किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया.
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महिला फांसी घर के बारे मेंं यह कहता है जेल मैन्यूल 1956
पूर्व जेल अधिकारी आरपी सिंह बताते हैं कि जेल मैन्यूल 1956 में मथुरा की जेल में बने इस महिला फांसी घर का जिक्र किया गया है. जेल मैन्यूल में यह कहा गया है कि मथुरा जेल में बने इस महिला फांसी घर में सिर्फ महिलाओं को ही फांसी दी जाएगी. यह अलग बात है कि अभी तक फांसी किसी को नहीं दी गई है. ऐन वक्त पर रामकली की फांसी को उम्र कैद में बदल दिया गया था. वर्ना वो पहली महिला होती जिसे फांसी दी जाती.
बवाल के चलते राजधानी से बहार बनाया था
आगरा सिटी जेल के पास रहने वाले जमाल थोड़ा बहुत ह पढ़े-लिखे हैं. लेकिन इतिहास के मामले में उनकी जानकारी के आगे अच्छे-अच्छे चक्कर लगाते हैं. आगरा में तैनात रहे एक आईपीएस तो मुगल इतिहास को खंगालने के लिए अक्सर जमाल के साथ ही देखे जाते थे.
फांसी घर के बारे में जमाल का कहना है कि अंग्रेजों के जमाने में भी महिलाओं को कम ही फांसी दी जाती थी, उसकी वजह थी कि लोग महिलाओं को फांसी देने के विरोध में रहते थे. आगरा और दिल्ली राजधानी थीं और राजधानी में किसी तरह का कोई बवाल न हो, इसके लिए आगरा से 50 किमी दूर और दिल्ली से 150 किमी दूर मथुरा में महिला फांसी घर बनवाया गया था.
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