10 माह का बच्चा स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी (एसएमए) टाइप वन नाम की गंभीर बीमारी से ग्रसित है.
दिल्ली. 10 माह का मासूम ऐसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है कि उसके इलाज के लिए 17.5 करोड़ रुपये की दरकार है. इन रुपये से एक इंजेक्शन खरीदा जाएगा और इजेंक्शन लगाने के बाद कानव की जान बच पाएगी. मामला दिल्ली का है.
10 माह का बच्चा कानव स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी (एसएमए) टाइप वन नाम की गंभीर बीमारी से ग्रसित है. 10 महीने के इस मासूम को यह बीमारी धीरे-धीरे परेशान कर रही है और उसके पास सिर्फ़ 2 साल का वक्त है .
क्या इस बीमारी का पता प्रेग्नेंसी के वक्त लग सकता है? क्या इस बीमारी से बचा जा सकता है? क्या यह बीमारी क्यूरेबल है और अगर ऐसी बीमारी है तो इसकी जानकारी लोगों तक क्यों नहीं जा रही है? इन सारे सवालों के जवाब का जानने के लिए कानव माता-पिता से न्यूज़ 18 ने बातचीत की.
तीन महीने का हुआ कान्हा तो पता चलाः मां
कानव की मां ने न्यूज18 से बात करते हुए बताया कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी एक ऐसी बीमारी है, जिसका पता उन्हें तब लगा, जब उनका बच्चा 3 महीने का हो गया था. वो और बच्चों की तरह उठता बैठता नहीं था. अब धीरे-धीरे कानव के पैर साथ नहीं दे रहे हैं. अगर ऐसा ही रहा तो उसका बचना मुश्किल है. इसके लिए तमाम सामाजिक संगठन और कई लोग कानव की मदद में जुटे हैं और अब तक देश और विदेश से लोगों ने 77 लाख रुपए दान किए हैं.कानव के पिता का कहना है कि अब तक लोगों के सहयोग से 77 लाख रुपये एकत्र हो गए हैं. काफी लोगों का सहयोग सामने आए हैं औऱ संघर्ष लगातार जारी है. अगर कानों को वक्त पर इंजेक्शन नहीं मिला तो उसको बचाना बहुत मुश्किल है. न्यूज18 के जरिये अपील करते हुए माता-पिता ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग सामने आएं और उसके लिए डोनेट करें. यह लड़ाई हम सब की है. क्योंकि, एक नन्ही सी जान खतरे में है.
लोगों को जागरूक करने का वक्त
कानव के माता-पिता ने न्यूज़ 18 से अपील करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि लोगों में इसकी जागरूकता बढ़े, ताकि लोगों को पता चले कि ऐसी भी कोई बीमारी है. क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान अगर टेस्ट होता है और उसमें यह पता लग जाता है. बहुत से ऐसे लोग हैं जो 17.5 करोड़ रुपये का इंजेक्शन नहीं लगा सकते हैं.
सुल्तानपुर के अन्मय को भी हो चुकी है यह बीमारी
यह बीमारी पहले सुल्तानपुर के अन्मय को भी हो चूकी है, लेकिन सब के सहयोग से उसका इलाज हो पाया और आज वह बिल्कुल ठीक है. इसी आस में कानव के माता-पिता भी चाहते हैं कि उनके बच्चे के लिए लोग मदद करें और आगे आएं.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी क्या है यह बीमारी ?
मस्कुलर अट्रॉफी यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें धीरे-धीरे बॉडी पैरालाइज होने लगती है और 2 से ढाई साल में इंसान खत्म हो जाता है. यह नन्हें बच्चों को होती है और वक्त लगते अगर इनको इंजेक्शन ना लगे तो इनकी मृत्यु हो सकती है. हालांकि यह बीमारी बहुत ही ज्यादा रेयर है. इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है.
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Tags: Aiims delhi, Free Treatment, Spinal Muscular Atrophy
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