स्टडी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पॉल्यूशन का लेवल बढ़ते ही बच्चे लगातार घुटन महसूस करते हैं और विंटर सीजन में ये बढ़ जाती है. (File Photo)
नई दिल्ली. दिल्ली में एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) पर लगाम लगाने और उसको कम करने के लिए दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने अभी से कई बड़े फैसलों पर काम करना शुरू कर दिया है. दिल्ली में विंटर एक्शन प्लान (Winter Action Plan) भी लागू हो गया जिसके अंतर्गत 10 प्वाइंटों पर काम किया जा रहा है. लेकिन ऐसे समय में एक बड़ी ही चौकानें और हैरान करने वाली स्टडी सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि विंटर शुरू होने के साथ ही दिल्ली की आबोहवा इतनी खराब हो जाती है कि उसमें बच्चों और बुजुर्गों का सांस लेना दुभर हो जाता है. यह आबोहवा इतनी खतरनाक हो जाती है कि उसमें बच्चों का दम घुटने लगता है.
द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) की हाल ही स्टडी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पॉल्यूशन का लेवल बढ़ते ही बच्चे लगातार घुटन महसूस करते हैं और विंटर सीजन में ये बढ़ जाती है. स्टडी में यह दावा किया गया है कि 75.4% ने सांस फूलने की शिकायत की. वहीं, 24.2% ने आंखों में खुजली की शिकायत, 22.3% ने नियमित रूप से छींकने या नाक बहने की शिकायत, 20.9% बच्चों ने सुबह खांसी की शिकायत की है.
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देश के छह शहरों में एयर पॉल्यूशन स्थिति का पता लगाने को हुई स्टडी
स्टडी में वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 14-17 साल की आयु वर्ग के बीच के 413 बच्चों का डिटेल्ड हेल्थ सर्वे किया है. टेरी की स्टडी में कहा गया है कि दिल्ली की हवा में उच्च सांद्रता है, जो राजधानीवासियों खासकर बच्चों को सांस की बीमारी और हृदय रोगों की तरफ धकेल रही है. ये स्टडी भारत के 6 सिटी में एयर पॉल्यूशन के हालातों का पता लगाने के लिए की गई है. इसमें दिल्ली, लुधियाना, पटियाला, पंचकुला, विशाखापत्तनम और जैसलमेर शामिल हैं.
स्टडी में यह भी खुलासा किया है कि इसमें जिंक और लेड की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. इस स्टडी में अक्टूबर 2019 में वायु गुणवत्ता के स्तर का विश्लेषण किया गया है. अध्ययन से पता चला है कि अक्टूबर 2019 में जब दिल्ली का पॉल्यूशन लेवल खराब होने लगा था तब शहर के पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कण) में जिंक की सांद्रता 379 एनजी/एम3 (वायु के नैनोग्राम प्रति घन मीटर) थी. सितंबर 2020 में बढ़कर 615 एनजी/एम3 (वायु के नैनोग्राम प्रति घन मीटर) हो गया.
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इसी तरह, दिल्ली की हवा में लेड की मात्रा 2019 में 233एनजी/एम3 (वायु के नैनोग्राम प्रति घन मीटर) थी, जो 2020 में बढ़कर 406 एनजी/एम3 (वायु के नैनोग्राम प्रति घन मीटर) हो गई, आर्सेनिक की मात्रा 3 एनजी/एम3 (वायु के नैनोग्राम प्रति घन मीटर) से बढ़कर 11 एनजी/एम3 (वायु के नैनोग्राम प्रति घन मीटर) और कैडमियम 8 एनजी/एम3 (वायु के नैनोग्राम प्रति घन मीटर) से बढ़ाकर 21 एनजी/एम3 (वायु के नैनोग्राम प्रति घन मीटर) हो गई.
बताया जाता है कि इनमें से कुछ धातुएं मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद ही जहरीली थीं और इसके नियमित संपर्क से स्वास्थ्य पर बेहद ही खतरनाक परिणाम हो सकते हैं. हवा में कैडमियम और आर्सेनिक की मात्रा में वृद्धि से समय के साथ कैंसर, गुर्दे की समस्या और हाई ब्लड प्रेशर, डाइबटीज और हार्ट डिसीज का खतरा बढ़ सकता है.
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विशेषज्ञों का भी मानना-ट्रैफिक जाम व इंडस्ट्रीज धुआं दिल्ली के लिए खतरनाक
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की हवा में धातुओं का प्राथमिक स्रोत ट्रैफिक जाम और पड़ोसी राज्यों में इंडस्ट्रीज से निकलने वाला धुआं है. स्टडी में यह भी खुलासा किया है कि विंटर सीजन के दौरान बच्चों में सुबह के समय स्किन में लाल चकत्ते निकलना, अस्थमा और खांसी के साथ कफ आदि निकलने की शिकायत भी सबसे ज्यादा सामने आती है.
रेड लाइट ऑन-गाडी ऑफ करने से 20 फीसदी तक कम हो सकता है पॉल्यूशन
बताते चलें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी में 18 अक्टूबर से रेड लाइट ऑन-गाडी ऑफ कैंपेन शुरू होने की घोषणा की है. यह दिल्ली के अपने हिस्से के पॉल्यूशन को कम करने में बड़ा मददगार साबित हो सकता है.
एक आंकड़े के मुताबिक गाड़ी को अगर रेड लाइड पर ऑफ किया जाता है तो इससे शहर में 13 से 20 फीसदी तक पॉल्यूशन को कम किया जा सकता है. इतना ही नहीं इससे करीब 250 करोड़ रुपये सालाना की बचत का भी अनुमान लगाया गया है जिसको फ्लू की बर्बादी से बचेगा. यह कैंपेन विंटर सीजन के शुरू होते ही पॉल्यूशन के बढ़ने की समस्या के समाधान की दिशा में ही शुरू किया जा रहा है.
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केजरीवाल सरकार ने चलाया हुआ है एंटी डस्ट कैंपेन, ग्रीन ऐप भी लॉन्च
इसके अलावा दिल्ली सरकार की ओर से एंटी डस्ट कैंपेन भी चलाया हुआ है जिसके तहत कंस्ट्रक्शन कंपनियां विंटर एक्शन प्लान के तहत ही कार्य करेंगी. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो उन पर भारी भरकम जुर्माना भी लगाया जा रहा है. वहीं कूड़ा जलाने या प्रदूषण से जुड़ी हर शिकायत के लिए केजरीवाल सरकार ने ग्रीन ऐप भी लॉन्च किया किया है जिस पर अब तक 23 हजार से ज्यादा मिली शिकायतों को निपटारा किया जा चुका है. और पराली जलने से रोकने के लिए डीकंपोजर छिडकाव भी शुरू कर दिया गया है. सरकार को भी दावा है कि उसने इन सभी प्रयासों से दिल्ली में 25 फीसदी पॉल्यूशन को कम किया है.
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