नई दिल्ली. कहते हैं पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है, 93 साल की कृष्णा सक्सेना ने इस बात को सच साबित किया है. जिस उम्र में लोग रिटायर के बाद घर पर आराम करते हैं, उस उम्र में वह किताब के जरिए लोगों को जिंदगी जीने की राह दिखा रही हैं. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने उनके जज्बे को सलाम किया है. उन्होंने डॉ कृष्णा सक्सेना की किताब ‘लाइफ’ का विमोचन किया. बता दें कि वह लखनऊ विश्वविद्यालय से पहली महिला पीएचडी हैं.
अंग्रेजी में लिखी गई इस किताब के जरिए मशहूर लेखिका कृष्णा सक्सेना ने जीवन जीने के असली मकसद बताया है. किताब में कृष्णा सक्सेना ने बताया है कि जिंदगी में तरक्की विदेश जाने या इसमें नहीं कि कितना धन दौलत कमाया बल्कि मां बाप की सेवा करना, बड़ों की इज्जत करना और ठीक आचरण रखना जरूरी है.
वित्त राज्य मंत्री ने राष्ट्र को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के बारे में बताते हुए कहा कि सबका साथ-सबका विकास के नारे को चरितार्थ करते हुए मोदी सरकार समाज के हर वर्ग के कल्याण और उत्थान के लिए बिना किसी भेदभाव और पक्षपात के काम कर रही है.
समाज की बेहतरी और अपनी खुशी के लिए दूसरों की मदद करना जरूरी: लेखिका
किताब की लेखिका डॉ कृष्णा सक्सेना ने इसके लोकार्पण के लिए केंद्रीय मंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस पुस्तक में विभिन्न पहलुओं द्वारा जीवन के उतार-चढ़ावों का बहुत ही सरल भाषा में गहराई से वर्णन किया गया है. उन्होंने कहा कि सभी को अपने चरित्र , व्यवहार और जीवन मूल्यों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. कृष्णा सक्सेना ने समाज की बेहतरी और अपनी खुशी के लिए सभी को सदैव दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहने की बात भी कही.
कृष्णा सक्सेना अंग्रेजी की प्रोफेसर रही हैं और जब वो इससे रिटायर हुईं तो किताबें लिखना शुरू किया. 60 साल उम्र से लिखने का सिलसिला अभी भी जारी है. बता दें कि पुस्तक की लेखिका 94 वर्षीय डॉ कृष्णा सक्सेना, महिला सशक्तिकरण, माता-पिता के रिश्ते, समाज के बदलते चेहरे जैसे सामाजिक मुद्दों पर अब तक 13 किताबें लिख चुकी हैं.
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