नोएडा. कोरोना महामारी (Corona Epidemic) से निपटने के लिए विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) ने कमर कस ली है. समाज के विभिन्न तबकों, समाजसेवी संस्थाओं और राजनीतिक पार्टियां जहां कोरोना महामारी से निपटने और लोगों को मदद पहुंचाने के लिए कदम उठा रही हैं, वहीं विश्व हिंदू परिषद ने कोरोना से युद्ध की देशव्यापी तैयारी शुरू कर दी है. विश्व हिंदू परिषद ने कोरोना की वैश्विक महामारी से जूझते लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना बनाई है.
वीएचपी ने कोरोना से लड़ाई की शुरुआत करते हुए इस कार्यक्रम में संगठन के कार्यकर्ताओं को सभी मठ-मंदिरों, गुरुद्वारों, संतों, धर्माचार्यों व स्वयं-सेवी संस्थाओं को साथ लेकर पूरी तरह से जुटने का आह्वान किया है. वीएचपी ने इस अभियान को मुख्यतया चार भागों में बांटा है. पहला रोग से बचाने के उपाय. दूसरा, रोगियों की सेवा तथा उन्हें बचाने के प्रयास. तीसरा, पीड़ित परिवारों की संबल और सहायता करना. चौथा, अंतिम यात्रा व मोक्ष के उपाय. कोरोना से बचाने के उपायों में वीएचपी कार्यकर्ता जगह-जगह लोगों को जागरूक कर टीकाकरण अभियान से अधिकाधिक लोगों को शीघ्रता से शामिल कराने में बड़ा रोल निभाएंगे.
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पहले तरह की सेवा में दो गज दूरी व मास्क जरूरी, के साथ, हाथ-मुंह की स्वच्छता के प्रति जागरूकता, मास्क व सेनेटाइजर, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और सिद्ध मेडिसिन के यथा योग्य वितरण, सामाजिक अनुशासन, धैर्य और मनोबल हेतु यौगिक क्रियाओं का संचालन तथा हेल्प लाइन नंबर के माध्यम से विषय विशेषज्ञों के साथ परामर्श व सहायता शामिल है.
दूसरे प्रकार की सेवा में चिकित्सकों व वैद्यों से परामर्श, रोगी वाहन (एम्बुलेंस), ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयों, प्लाज्मा, रक्त, ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर यूनिट, दवाओं तथा ऑक्सीमीटर इत्यादि की उपलब्धता कराई जाएगी. इसके साथ ही पृथक आवास केन्द्र (Isolation Centres), मरीजों व परिजनों के भोजन, उनके अकेले परिजनों की घरों और अस्पतालों में सहायता व चिकित्सा कर्मियों का सहयोग इत्यादि प्रमुख हैं.
तीसरे प्रकार की सेवा में मजदूरों, व निम्न आय वर्ग के लोगों के अतिरिक्त पीड़ित परिवारों को भोजन-पानी दवाओं और राशन वितरण, अकेले बुजुर्गों, छात्र-छात्राओं व बच्चों की देखभाल, गोवंश एवं अन्य प्राणियों हेतु आहार, पलायन को मजबूर यात्रियों को भोजन-पानी व दवाई की व्यवस्था आदि प्रमुख हैं.
चौथे प्रकार की सेवा अत्यंत कठिन व चुनौती पूर्ण है. कोरोना के ग्रास बने शवों को अस्पताल से मोक्ष द्वार तक पहुंचाने हेतु शव वाहन, अंतिम संस्कार की व्यवस्था, उससे जुड़ी सामग्री की व्यवस्था जैसे कार्य सामिल हैं. जिनके लिए कोरोना पीड़ित शवों के परिजन भी कई बार राजी नहीं होते. साथ ही कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से गंभीर संक्रमण का खतरा सदैव मंडराता रहता है.undefined
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FIRST PUBLISHED : April 28, 2021, 15:41 IST