ढाबे पर रोटी मांगने पहुंचे भिखारी की आवाज में थी 19 साल पुरानी याद, सामने चाचा को देख झूम उठा भतीजा

उन्नीस साल बाद एक भीख मांगते हुए आदमी को उसके भतीजे ने पहचान लिया (प्रतीकात्मक फोटो)
बिहार (Bihar) से लापता एक व्यक्ति को 19 साल बाद उसकी आवाज (Voice) से उसके भतीजे ने पहचान लिया. वह एक ढाबे पर रोटी मांगने पहुंचा था. भतीजे ने चाचा को पहचानने के बाद चाचा (Uncle) के बेटे को भी खबर दी. अब वह उसे गांव ले जाने की तैयारी में हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 18, 2021, 7:46 PM IST
लुधियाना. वह उन्नीस साल पहले बिहार (Bihar) के एक गांव से निकला था. उसके बाद फिर वापस नहीं लौटा. पूरे परिवार के लोग उसे खोज-खोजकर थक गए. लौटने की उम्मीद छोडक़र घर बैठ गए. लेकिन 19 साल बाद लुधियाना के एक ढाबे पर भूख से तडफ़ रहे अधेड़ ने रोटी मांगी. ढाबे पर काम कर रहे लडक़े को इस आवाज पुरानी स्मृति ताजा होते दिखी.
उसने दाड़ी और बड़े बालों में बेहाल रोटी मांगने वाले से नाम पूछ लिया और फिर जो आवाज आई उसके बाद वह चाचा, चाचा कहकर उछलने लगा. उसकी खुशी का ठिकाना न था. ये उसके चाचा थे जो 19 साल पहले लापता हो गए थे. पास में ही चाचा का बेटा भी हलवाई का काम करता था. उसे बुलाकर जब उसके सामने खड़ा किया गया तो उसकी आंखों से आंसुओं की धार बह चली.
लुधियाना के एक ढाबे पर अनायास जो घटा वो फिल्मों जैसा ही सीन था. 19 वर्ष बिहार निवासी व्यक्ति घर से लापता हो गया था. परिवार वालों ने उसकी कई जगह तलाश की, लेकिन व्यक्ति का कहीं पता नहीं चला. लुधियाना के ढाबे पर उसने पहुंचकर रोटी की भीख मांगी. उसकी आवाज सुन युवक को लगा जैसे वह इस आवाज को पहचानता है. दिमाग पर जोर डालने पर उसे महसूस हुआ ऐसी आवाज तो उसकी चाचा की थी. बस फिर क्या था. भिखारी से नाम पता पूछा तो वह उसका चाचा ही निकला. वह उसे देखकर हैरान रह गया.
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री का ऐलान- किसी भी जरूरतमंद से नहीं लेंगे कोरोना की वैक्सीन का पैसाशिव पुरी निवासी सिया राम मुखिया का कहना है, ''हम बचपन से अपने चाचा को तलाशते आ रहे थे. वो उसके गांव से 1500 किलोमीटर दूर लुधियाना में मिला. पहली नजर में उसका चेहरा पहचान में नहीं आया. उनकी आवाज सुनते ही भतीजे ने पहचान गया कि वो कैलाश चाचा हैं. चेहरे पर बढ़ी हुई दाढ़ी और लंबे-लंबे बालों ने उनका रंग रूप ही बदल दिया था. मगर जब उनके बाल कटवाने के साथ शेव कराई गई तो वो हू-ब-हू पिता जी जैसे नजर आने लगे. सिया राम मुखिया ने बताया कि वह शिव पुरी स्थित राणा ढाबा में तंदूरी का काम करता है. वह रविवार शाम वो ढाबे पर रोटियां सेंक रहा था. इसी दौरान भिखारी जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने आकर रोटी मांगी.
वो आवाज जानी पहचानी सी लगी. उसने जब उस भिखारी से नाम पूछा तो वो उसका 19 साल से लापता 56 साल का चाचा कैलाश मुखिया निकला. हालांकि कैलाश ने सिया राम को नहीं पहचाना, क्योंकि जब वह घर छोडक़र गए थे तो उस समय सिया राम छोटा था. इसके बाद सिया राम ने फौरन अपने छोटे भाई बजरंगी मुखिया को इसकी जानकारी दी. उसके बाद नूरवाला रोड पर हलवाई की दुकान पर काम करने वाले कैलाश मुखिया के बेटे लालू को भी बुलाया.
पिता को देखते ही लालू की आंखे भर आईं. वह वहां अपने पिता को गले लगाकर बहुत देर तक रोता रहा. सिया राम ने बताया कि कैलाश मुखिया ट्रक में लेबर का काम करते थे.गांव में उनकी पत्नी रंजना देवी हैं. उनकी दोनों बेटियों पूजा व मुन्नी की शादी हो चुकी है. 2001 में वो घर से काम के लिए निकले और वापस नहीं आए. हर जगह पर उनकी तलाश की गई, मगर कहीं कोई सुराग नहीं लगा. तीनों अब उसे गांव वापस ले जाने की तैयारियों में जुट गए हैं.
उसने दाड़ी और बड़े बालों में बेहाल रोटी मांगने वाले से नाम पूछ लिया और फिर जो आवाज आई उसके बाद वह चाचा, चाचा कहकर उछलने लगा. उसकी खुशी का ठिकाना न था. ये उसके चाचा थे जो 19 साल पहले लापता हो गए थे. पास में ही चाचा का बेटा भी हलवाई का काम करता था. उसे बुलाकर जब उसके सामने खड़ा किया गया तो उसकी आंखों से आंसुओं की धार बह चली.
लुधियाना के एक ढाबे पर अनायास जो घटा वो फिल्मों जैसा ही सीन था. 19 वर्ष बिहार निवासी व्यक्ति घर से लापता हो गया था. परिवार वालों ने उसकी कई जगह तलाश की, लेकिन व्यक्ति का कहीं पता नहीं चला. लुधियाना के ढाबे पर उसने पहुंचकर रोटी की भीख मांगी. उसकी आवाज सुन युवक को लगा जैसे वह इस आवाज को पहचानता है. दिमाग पर जोर डालने पर उसे महसूस हुआ ऐसी आवाज तो उसकी चाचा की थी. बस फिर क्या था. भिखारी से नाम पता पूछा तो वह उसका चाचा ही निकला. वह उसे देखकर हैरान रह गया.
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री का ऐलान- किसी भी जरूरतमंद से नहीं लेंगे कोरोना की वैक्सीन का पैसाशिव पुरी निवासी सिया राम मुखिया का कहना है, ''हम बचपन से अपने चाचा को तलाशते आ रहे थे. वो उसके गांव से 1500 किलोमीटर दूर लुधियाना में मिला. पहली नजर में उसका चेहरा पहचान में नहीं आया. उनकी आवाज सुनते ही भतीजे ने पहचान गया कि वो कैलाश चाचा हैं. चेहरे पर बढ़ी हुई दाढ़ी और लंबे-लंबे बालों ने उनका रंग रूप ही बदल दिया था. मगर जब उनके बाल कटवाने के साथ शेव कराई गई तो वो हू-ब-हू पिता जी जैसे नजर आने लगे. सिया राम मुखिया ने बताया कि वह शिव पुरी स्थित राणा ढाबा में तंदूरी का काम करता है. वह रविवार शाम वो ढाबे पर रोटियां सेंक रहा था. इसी दौरान भिखारी जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने आकर रोटी मांगी.
वो आवाज जानी पहचानी सी लगी. उसने जब उस भिखारी से नाम पूछा तो वो उसका 19 साल से लापता 56 साल का चाचा कैलाश मुखिया निकला. हालांकि कैलाश ने सिया राम को नहीं पहचाना, क्योंकि जब वह घर छोडक़र गए थे तो उस समय सिया राम छोटा था. इसके बाद सिया राम ने फौरन अपने छोटे भाई बजरंगी मुखिया को इसकी जानकारी दी. उसके बाद नूरवाला रोड पर हलवाई की दुकान पर काम करने वाले कैलाश मुखिया के बेटे लालू को भी बुलाया.
पिता को देखते ही लालू की आंखे भर आईं. वह वहां अपने पिता को गले लगाकर बहुत देर तक रोता रहा. सिया राम ने बताया कि कैलाश मुखिया ट्रक में लेबर का काम करते थे.गांव में उनकी पत्नी रंजना देवी हैं. उनकी दोनों बेटियों पूजा व मुन्नी की शादी हो चुकी है. 2001 में वो घर से काम के लिए निकले और वापस नहीं आए. हर जगह पर उनकी तलाश की गई, मगर कहीं कोई सुराग नहीं लगा. तीनों अब उसे गांव वापस ले जाने की तैयारियों में जुट गए हैं.