नई दिल्ली. राजेंद्र नगर विधानसभा सीट (Rajendra Nagar Assembly Seat) पर उपचुनाव 23 जून को होने की घोषणा के बाद से ही यह इलाका दिल्ली की राजनीति का केंद्र बन गया है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) ने कब्जा जमाया था. यह सीट ‘आप’ नेता राघव चड्ढा (Raghav Chadha) के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी, जो अब पंजाब से राज्यसभा सदस्य हैं. इस सीट पर 23 जून वोट डाले जाएंगे और नतीजे 26 जून को घोषित किए जाएंगे. दिल्ली की तीनों विपक्षी पार्टियां बीजेपी, आप और कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए अलग-अलग प्लान तैयार किया है. बीजेपी मोदी सरकार के आठ साल के शासनकाल के आधार पर लोगों से वोट मांगेगी. वहीं, आम आदमी पार्टी बिजली, पानी और दिल्ली की बुनियादी समस्याओं को केजरीवाल सरकार ने कैसे हल किया, उसके आधार पर वोट मांगेगी. इस बीच दिल्ली कांग्रेस की योजना है कि बुलडोजर मुद्दे पर भाजपा और ‘आप’ दोनों को घेरेने की.
आपको बता दें कि राजेंद्र नगर विधानसभा के उपचुनाव को लेकर दिल्ली की तीनों ही प्रमुख दल फिलहाल अपने-अपने सियासी योद्धाओं को तैयार करने में लगी हुई है. इस उपचुनाव में केजरीवाल जहां अपनी बादशाहत को कायम रखना चाहेंगे तो वहीं, बीजेपी जीत हासिल कर विधानसभा में अपनी संख्या में एक सीट इजाफा कर सकती है. वहीं, कांग्रेस की कोशिश दूसरों पर बढ़त हासिल करने की होगी.
राजेंद्र नगर विधानसभा सीट का कौन बनेगा सिकंदर?
राजेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र में दो तबका अगर मिल जाए तो उनका वोट प्रतिशथ 65 फीसदी से ऊपर चला जाएगा. यहां पंजाबी-सिख और पूर्वांचली को एक साथ मिला दें तो यह आंकड़ा 65 प्रतिशत पार हो जाता है. साल 2008 से इस सीट पर पंजाबी और सिंधी हावी रहे हैं, लेकिन परिसीमन के बाद इस सीट पर पूर्वांचली वोटरों का भी बोलबाला हो गया है.
जातीय समीकरण क्या कहते हैं
तीनों पार्टियों की निंगाहें विधानसभा के सामाजिक व जातीय समीकरणों पर है. बेशक, खुले तौर पर ये पार्टियां अलग-अलग मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने की बात कर रही हैं, लेकिन प्रत्याशी तय करते वक्त यहां के जातीय समीकरण को नजरअंदाज नहीं कर सकती. इसके बावजूद कई मुद्दे इस चुनाव में हावी रहेंगे.
बुलडोजर सहित अन्य क्या मुद्दे उठेंगे?
आम आदमी पार्टी के नेताओ का आरोप है कि बीजेपी दिल्ली में 63 लाख लोगों के घर और दुकानों पर बुलडोज़र चलाने की तैयारी में है. कच्ची कॉलोनियों में 50 लाख और झुग्गियों में 10 लाख लोग रहते हैं, जबकि एमसीडी ने करीब तीन लाख प्रॉपर्टी की और लिस्ट बनाई है. बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले कहा था कि ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ बना कर दिया जाएगा और अब ये लोग इन सबको तोड़ने के लिए आ गए.
केजरीवाल मॉडल को लोग स्वीकार करेंगे?
आम आदमी पार्टी का दावा है कि हमने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और बिजली ठीक की है. ऐसे हम अवैध अतिक्रमण को भी ठीक करेंगे. वहीं, बीजेपी के चुनाव प्रभारी औद दिल्ली के पूर्व महापौर जय प्रकाश के मुताबिक, बीजेपी क्षेत्र में पानी की कमी और चड्ढा के पद छोड़ने का मुद्दा उठाएगी.
पंजाबी शरणार्थियों का वोट कितना निर्णायक साबित होगा
इस इलाके में पाकिस्तान से पंजाबी शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा विकसित, राजिंदर नगर में पंजाबियों का वर्चस्व है, जिनकी आबादी लगभग 35% है. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर इस विधानसभा सीट का ना रखा गया है. इस क्षेत्र में तीन प्रमुख गांव हैं – दशगढ़, टोडापुर और नरैना. न्यू राजेंद्र नगर और पुराना राजेंद्र नगर मुख्य रूप से पंजाबी आबादी वाले शहरी इलाकों में से हैं, जबकि गांव के इलाकों में जाट, यादव और राजपूतों की मिश्रित आबादी है. अब इस क्षेत्र में पूर्वांचलियों की भी बड़ी संख्या है.
आप क्या है रणनीति?
आम आदमी पार्टी के राजेंद्र नगर विधानसभा के प्रभारी दुर्गेश पाठक के मुताबिक, ‘अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और हमारी आशा जनता के समर्थन पर टिकी हुई है. दिल्ली की जनता ने देखा है कि कैसे बीजेपी ने बुलडोजर का इस्तेमाल कर गरीबों को निशाना बनाया है. राजेंद्र नगर की जनता ऐसा मॉडल नहीं चाहती है. बीजेपी पानी की कमी को लेकर दिल्ली के लोगों को गुमराह कर झूठे आरोप लगा रही है.
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दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि जब से चड्ढा डीजेबी के उपाध्यक्ष थे, तब से इलाके में पानी और सीवर की समस्या है, लेकिन वे इन समस्याओं का समाधान नहीं कर सके. उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को उठाएगी कि कैसे आप अपने विध्वंस अभियान में बीजेपी का साथ दे रही है. बता दें कि 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने बीजेपी के आरपी सिंह के खिलाफ 20,000 मतों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी.
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