किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ये है मोदी मंत्र!
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ये है मोदी मंत्र!
सरकार कोई भी हो किसानों को सड़क पर उतरना पड़ता है
केंद्र सरकार ने न सिर्फ कृषि बजट बढ़ाया है बल्कि किसानों के कल्याण के लिए और कई कदम भी उठाए हैं. सरकार कैसे किसानों को आगे बढ़ाना चाहती है, पढ़िए विश्लेषण
किसान कल्याण मजदूर महासंघ के बैनर तले इन दिनों देश भर में 'गांव बंद'अभियान चल रहा है. इसमें सौ से अधिक संगठन जुड़े हुए हैं. दावा किया गया था कि सरकार का ध्यान खींचने के लिए 1 से 10 जून तक किसान अपनी किसी भी उपज को शहरों में नहीं भेजेंगे. लेकिन मंडियों में इसका असर नहीं दिख रहा है. पंजाब में तो किसान संगठनों को बीच में ही आंदोलन वापस लेना पड़ा. किसानों का आरोप है कि संगठन जबरन सब्जियां और दूध छीनकर सड़कों पर फेंक रहे थे.
इस बीच सरकार केंद्र सरकार गन्ना किसानों के लिए 8000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने की तैयारी में है. सरकार जानती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में किसान बड़ा फैक्टरहोंगे. इसलिए इस मामले में चूकना नहीं चाहती. मोदी सरकार ने चार साल का रिपोर्ट कार्ड जारी किया है, उसमें कृषि पर विशेष फोकस है.
आय बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर जोर देना होगा
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार हर खेत को पानी देने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये लगाएगी, ताकि सिंचाई हो और उत्पादन बढ़े. इससे 28.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई का कवरेज मिल सकेगी. ई ट्रेडिंग 585 बाजारों में अपनी उपज बेच सकते हैं. दावा किया गया है कि 100 फीसदी नीम कोटेड यूरिया से जमीन की सेहत में सुधार हुआ है.
पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा गठित डबलिंग फार्मर्स इनकम कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अशोक दलवाई कहते हैं "पहले सिर्फ कृषि के बारे में सोचा जाता था लेकिन पहली बार किसानों के बारे में भी सोचा गया है, ताकि वह खुशहाल हों. कितनी उपज हुई इसके साथ-साथ यह बहुत महत्वपूर्ण है कि किसान को लाभ कितना मिला...."
साल 2014 में सरकार बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने किसानों के मसलों को सबसे ऊपर रखा था, लेकिन अब खेती-किसानी से जुड़े सवालों पर खुद मोदी सरकार घेरी जा रही है. कांग्रेस ने मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर एक 'विश्वासघात' बुकलेट जारी की है उसमें किसानों से जुड़ी परेशानियों को सबसे पहले जगह दी गई है. कांग्रेस ऐसा कर रही है तो उसके पीछे सियासी वजह भी मानी जा रही है.
कांग्रेस के आरोपों के बावजूद यह एक सच्चाई है कि मोदी की ड्रीम योजनाओं में किसानों की आय दोगुनी करना भी शामिल है. वह अक्सर इसका जिक्र करते हैं. सरकार 2022 तक इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए काम कर रही है. लेकिन अब चुनावी साल आने वाला है इसलिए विपक्ष पूछ रहा है कि किसानों की आय कितनी हो गई और किसान कैसे खुशहाल होंगे?
किसानों को इस तरह खुशहाल बनाना चाहती है मोदी सरकार!
कांग्रेस के मुकाबले बढ़ाया कृषि बजट
मोदी सरकार ने कांग्रेस के मुकाबले कृषि पर बजट बढ़ाया है. कांग्रेस सरकार के दौरान (2009 से 2014) तक कृषि बजट 1,21,082 करोड़ रुपये था जो मोदी सरकार के दौरान (2014 से 2019) तक 2,11,694 करोड़ रुपये हो गया है. सरकार का मानना है कि खेती की नई विधियों और एग्री इंजीनियरिंग से किसानों का काम आसान होगा, उत्पादकता बढ़ेगी. मिट्टी, जल, जलवायु, औजार, किसान और बीज...कृषि के स्तंभ हैं. इन पर फोकस करके केंद्र सरकार किसान की आय बढ़ाने की कोशिश में जुटी हुई है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में 27 बार किसानों और 16 बार कृषि का जिक्र किया था. जाहिर है कि मोदी सरकार को देश के 9.02 करोड़ किसान परिवारों की चिंता है. इसीलिए प्रधानमंत्री किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को साधने के अभियान में वैज्ञानिक समुदाय को भी जोड़ रहे हैं. आर्गेनिक खेती पर जोर दिया जा रहा है.
कैसे बढ़ेगी आय और आएगी खुशहाली?
मार्केटिंग में सुधार: इसके लिए एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड लाइवस्टॉक मार्केटिंग एक्ट 2017 बनाया गया है. मार्केटिंग सुधार के लिए इसे लागू कर दिया गया है. इसके तहत सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट मंडियां भी बनेंगी. इस समय छोटी-बड़ी करीब 6700 मंडियां हैं, जिन्हें 30 हजार तक पहुंचाएंगे. इसका काम शुरू हो गया है. इसी के तहत ऑनलाइन ट्रेड भी होगा. जब किसान को नजदीक में बाजार मिलेगा तभी उसे फायदा मिलेगा. कांट्रैक्ट फार्मिंग : आय बढ़ाने के लिए जो एक और काम हो रहा है, वह है कांट्रैक्ट फार्मिंग का. निजी कंपनियां बुवाई के समय ही किसानों से एग्रीमेंट कर लेंगी कि वह उत्पाद किस रेट पर लेंगी. रेट पहले ही तय हो जाएगा. ऐसे में किसान फायदा देखकर दाम बताएगा. कांट्रैक्ट करने वाली कंपनी को उसी रेट पर उत्पाद खरीदना पड़ेगा. इसके लिए कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट (Model Contract Farming Act 2018) बन रहा है. स्वायल हेल्थ कार्ड: कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि जहां-जहां पर स्वायल हेल्थ कार्ड हिसाब से खाद का इस्तेमाल हुआ है. नीम कोटेड यूरिया का इस्तेमाल हुआ है वहां-वहां पर प्रोडक्टिविटी बढ़ी है और प्रोडक्शन कॉस्ट 8-10 फीसदी कम हुई है. प्रधानमंत्री ने 19 फरवरी 2015 को स्वायल हेल्थ कार्ड योजना शुरू की थी. दावा किया गया है कि 13,45,46,471 लोगों के स्वायल हेल्थ कार्ड बन चुके हैं. हालांकि कृषि अधिकारियों की लापरवाही से इस योजना का कार्यान्वयन ठीक तरीके से नहीं हो रहा.
मोदी सरकार ने किसानों के लिए बजट में वृद्दि की है
सही लोगों को लोन:63 हजार प्राइमरी एग्रीकल्चर कॉपरेटिव सोसायटियों (पैक्स) को कम्यूटराइज्ड किया जा रहा है ताकि यह पता चल सके कि कृषि के नाम पर लोन गलत लोग न लें. किसानों को ही लोन मिले. इससे सही किसानों तक पैसा पहुंचेगा और उसका इस्तेमाल खेती-किसानी में ही होगा. इसका असर पड़ेगा. कृषि उत्पादों का रख-रखाव: इस समय देश भर में कोल्ड स्टोरेज की क्षमता 32 मिलियन टन की है. कोल्ड स्टोरेज के साथ-साथ रिफर वैन की संख्या जरूरत के हिसाब से काफी कम है. 60 हजार रिफर वैन की जगह सिर्फ 10 हजार ही हैं. रिफर वैन का मतलब कोल्ड स्टोर से सामान दूसरे जगह भेजने के लिए ट्रासंपोर्ट की. यह बढ़ेगा तब किसानों की आय बढ़ेगी.
बांस अब घास की श्रेणी में, कर सकते हैं कमाई
बांस को सरकार ने पेड़ की श्रेणी से निकालकर घास की श्रेणी में रख दिया है. इसलिए अब किसान बांस लगाकर कमाई कर सकते हैं. अब इसकी कटाई और बिक्री पर न तो वन विभाग की रोक लगेगी और न ही पुलिस परेशान करेगी. ऊपर से प्रति बांस 70 रुपये सरकार भी देगी. सेंट्रल एग्रोफॉरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट झांसी से जुड़े डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि खेतों के बीच में पेड़ लगाकर किसान फसल के साथ दोहरा लाभ कमा सकते हैं. इससे उनकी आय बढ़ेगी. राष्ट्रीय बांस मिशन के लिए 1290 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया है
फसल नुकसान पर मदद
33 फीसदी से अधिक फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को राहत, जबकि पहले 50 फीसदी और उससे अधिक फसल के नुकसान पर मदद मिलती थी. अधिक बारिश के कारण खाद्यान्न क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में पूरा समर्थन मूल्य का भुगतान होगा.