सत्ता में भागीदारी के नजरिए से देखिए किसकी पार्टी है कांग्रेस!
सोनिया गांधी ने पिछले दिनों 2014 के चुनाव में अपनी पार्टी की हार के लिए सबसे बड़े कारण का खुलासा किया था. मुंबई में एक टीवी कार्यक्रम के दौरान सोनिया ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को हिंदू विरोधी पार्टी साबित करने में कामयाब रही. अब सोनिया के बेटे राहुल गांधी को सफाई देनी पड़ रही है कि कांग्रेस सिर्फ मुसलमानों की पार्टी नहीं है.
कांग्रेस अध्यक्ष मुस्लिम बुद्धिजीवियों से पहले भी मिलते रहे हैं. मुसलमानों के लिए कांग्रेस की तरफ से इफ्तार पार्टियां भी दी जाती रहीं हैं. अपने सवा सौ साल से ज्यादा के इतिहास में कांग्रेस पर न तो ऐसा आरोप लगा न ही उसे इस हद तक जाकर ‘हिंदू-मुस्लिम’ पर सफाई देनी पड़ी. सवाल यह उठता है कि आखिर कांग्रेस पर लग रहे आरोपों में सच्चाई कितनी है. क्या कांग्रेस वाकई हिंदू विरोधी पार्टी है? क्या कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है? या फिर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का वह बयान पार्टी की सच्चाई बताता है जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के स्रोतों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है.
लोकसभा में कितने मुस्लिम सांसद?
‘कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है’ पर देश में बहस जारी है. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? हमने इसका रियलिटी चेक किया. आंकड़ों को देखें तो यह हिंदुओं और सवर्ण हिंदुओं की पार्टी ज्यादा लगती है. हमने कांग्रेस के सभी मुख्यमंत्रियों का रिकॉर्ड छाना. तब पता चला कि विभिन्न राज्यों में पार्टी का 321 बार शासन रहा लेकिन उसने सिर्फ 8 बार मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाए. उसमें से भी तीन सीएम तो मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर के हैं. यानी मुख्यमंत्री बनाने के मामले में कांग्रेस ने 17 फीसदी आबादी को सिर्फ 2.4 फीसदी का प्रतिनिधत्व दिया है.
देश में अब तक एक भी मुस्लिम प्रधानमंत्री नहीं हुआ, जबकि नौ बार कांग्रेस का पीएम बना. कांग्रेस ने दो मुस्लिम राष्ट्रपति दिए हैं, जबकि भाजपा ने एक. मौजूदा राज्यसभा में कांग्रेस के कुल 50 सांसदों में से 4 मुस्लिम हैं. जबकि बीजेपी के 69 में से 2 प्रतिनिधि. ऐसे में सवाल ये उठता है कि कांग्रेस मुस्लिम परस्त कैसे है? क्या कांग्रेस ने सिर्फ मुस्लिमों का वोट लेकर दूसरे लोगों को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाया? ये जरूर कहा जा सकता है कि कांग्रेस में सबसे ज्यादा मुस्लिम लीडर थे, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उन्हें पार्टी ने सत्ता में पर्याप्त भागीदारी नहीं दी.
‘24 अकबर रोड’ नामक पुस्तक लिखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं “कांग्रेस ने मुसलमानों के वोट जरूर हासिल किए लेकिन उन्हें सत्ता में वैसा प्रतिनिधत्व नहीं दिया, जितना होना चाहिए था. इसीलिए सिर्फ मुस्लिमों की सियासत करने वाली पार्टियों का उभार हो रहा है. आजादी के बाद से 58 बड़े दंगे हुए हैं, ज्यादातर कांग्रेस के शासन में हुए और कहीं न्याय नहीं मिला. कमीशन बैठे और लीपापोती कर दी गई. मुसलमान सबसे ज्यादा पिछड़ा रहा तो उसके लिए जिम्मेदारी कांग्रेस को लेनी होगी क्योंकि उसने सबसे ज्यादा वक्त तक राज किया. 321 में से सिर्फ आठ सीएम यानी महज 2.4 फीसदी हिस्सेदारी?”
कांग्रेस के मुस्लिम सीएम
जवाब में कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के चेयरमैन नदीम जावेद सवाल करते हैं कि सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली बीजेपी ने मुसलमानों को क्या दिया है. बीजेपी से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है. हमने आठ सीएम दिए तो हैं. बीजेपी ने कितने मुस्लिम सीएम बनाए?
मुस्लिमों की खैरख्वाह सपा ने क्या दिया?
उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां सपा, बसपा में इस बात की होड़ लगी रहती है कि कौन मुसलमानों का कितना बड़ा हितैषी है. 16वीं लोकसभा में मोदी लहर की वजह से बसपा को तो एक भी सीट नहीं हासिल हुई थी. लेकिन सपा के सात सांसद हैं, जिनमें से पांच अखिलेश यादव के कुनबे से ही आते हैं. एक भी मुस्लिम नहीं. बात 15वीं लोकसभा की करें तो इसमें समाजवादी पार्टी के 23 सांसद थे, लेकिन मुसलमान एक भी नहीं था.
हालांकि ‘मुस्लिमों की पार्टी’ पर सफाई की मुद्रा में राहुल गांधी ने मंगलवार को ट्वीट किया, 'मैं कतार में सबसे आखिर खड़े शख्स के साथ हूं. शोषित, हाशिये पर धकेले और सताए गए लोगों के साथ. उनका मजहब, उनकी जाति या आस्था मेरे लिए खास मायने नहीं रखती. दर्द में जी रहे लोगों को मैं गले लगाना चाहता हूं. मैं नफरत और भय मिटाना चाहता हूं. मुझे सभी जीवों से प्यार है. मैं कांग्रेस हूं.'
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है “कांग्रेस भारत के 132 करोड़ लोगों का प्रतिनिधत्व करती है और ये बात राहुल गांधी ने बुद्धिजीवियों की बैठक में कही थी. कांग्रेस हर एक हिंदू, हर एक मुस्लिम, हर एक सिख, हर एक इसाई, जैन, पारसी और दूसरे मतों के लोगों की पार्टी है.”
किसने बनाए मुस्लिम राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति
कांग्रेस ने मुस्लिमों को क्या दिया? इस सवाल पर मुस्लिमों की सियासत करने वाली पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अयूब कांग्रेस का बचाव करते हुए दिखे. अयूब कहते हैं "कोई भी पार्टी किसी एक जाति, धर्म की नहीं होती है और न किसी एक के लिए काम करती है. प्राथमिकताएं जरूर अलग हो सकती हैं. कांग्रेस भी किसी एक धर्म की राजनीति नहीं करती. पीस पार्टी भी समाज के सभी वर्गों के लिए काम कर रही है. लेकिन मुस्लिमों और दलितों पर अत्याचार हो रहा है तो उनकी आवाज तो उठाई जाएगी."
कानून के असिस्टेंट प्रोफेसर अब्दुल हफीज गांधी कहते हैं “कोई भी पार्टी हो उसे सर्व समाज का हित रखना चाहिए. जो वंचित हैं उसे मुख्य धारा में शामिल करने के लिए ज्यादा प्रयास करने चाहिए. इसकी हमें संविधान भी इजाजत देता है.”
दरअसल, सारा मामला पिछले हफ्ते एक उर्दू अखबार 'इंकलाब' में छपी रिपोर्ट से शुरू हुआ था. अखबार ने इसमें बताया कि राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात के दौरान कहा था कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है.'
In last 4 yrs, whether Railways, Paramilitary Forces, how many recruitments of minorities took place? In PM's 15 point programme, it's said in point 10 that recruitment to state¢ral services or police, govt will be advised to give special consideration to minorities: A Owaisi pic.twitter.com/696kemJGFH
— ANI (@ANI) July 17, 2018
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