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ओडिशा का ये प्राचीन शहर ब्रह्मपुर अपने ऐतिहासिक मंदिरों और स्मारकों की वजह से विश्वप्रसिद्ध है. ब्रह्मपुर की एक पहचान रेशम की नगरी के रूप में भी है. ओडिशा के समुद्री तट पर बसा ब्रह्मपुर शहर दक्षिण भारत से भी सटा हुआ है. यहां के रहन-सहन, पहनावे, खान-पान और सामाजिक संस्कृति में आंध्र प्रदेश का भी असर दिखाई देता है.
ब्रह्मपुर लोकसभा सीट पर सबसे पहली बार साल 1952 में चुनाव हुए. ब्रह्मपुर लोकसभा सीट का नाम साल 1977 में रखा गया. इससे पहले इस सीट का नाम घुमसुर, गंजाम और छतरपुर पड़ता रहा. साल 1952 में यहां लोकसभा का चुनाव हुआ. तब इस लोकसभा सीट का नाम घुमसुर था. साल 1957 में इस सीट का नाम बदलकर गंजाम रख दिया गया. साल 1977 में फिर नाम बदला और इसका नाम ब्रह्मपुर हो गया.
चुनावी इतिहास
ब्रह्मपुर का तब नाम और बड़ा हो गया जब साल 1996 में यहां से पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव चुनाव जीते. हालांकि नरसिम्हा राव ने आंध्रप्रदेश के नंदियाल से भी चुनाव जीता था लेकिन उन्होंने इसी सीट से उम्मीदवारी कायम रखी. ब्रह्मपुर में कांग्रेस 1957 से 1998 तक चुनाव नहीं हारी. 1998 में जयंती पटनायक ने ब्रह्मपुर से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया. साल 2004 में भी कांग्रेस वापसी करने में कामयाब रही. लेकिन इस सीट पर कांग्रेस के दबदबे को खत्म करने के लिए जनता के सामने बीजेपी और बीजेडी विकल्प बन कर उभरे.
1999 में यहां से बीजेपी ने अपना खाता खोला. बीजेपी उम्मीदवार आनंदी चरण साहू ने पहली दफे यहां कमल खिलाया. इसके बाद साल 2009 और 2014 में इस सीट पर बीजेडी का जादू चला. यहां की जनता ने बीजू जनता दल को लगातार दो बार चुनाव जिताया. बीजेडी उम्मीदवार सिद्धांत महापात्रा इस सीट से साल 2009 से लगातार सांसद हैं.
कौन हैं प्रत्याशी
ब्रह्मपुर लोकसभा सीट से साल 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए श्री भृगु बक्शिपात्रा उम्मीदवार हैं. वहीं कांग्रेस की तरफ से वी चंद्रशेखर आर नायडू और बीजू जनता दल की तरफ से चंद्र शेखर साहू उम्मीदवार है.
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