कोई अल्पसंख्यक मंदिर निर्माण को दे रहा लाखों का दान, तो कोई हिंदू मस्जिद के लिए 5 एकड़ ज़मीन देने को तैयार
News18Hindi Updated: November 18, 2019, 3:18 PM IST

ऑल असम मोरिया युवा छात्र परिषद ने एक लाख रुपये देने की घोषणा की है.
राम मंदिर (Ram Mandir)-बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आने के बाद असम (Assam) के दो बड़े मुस्लिम संगठनों (Muslim Organisation) ने राम मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 18, 2019, 3:18 PM IST
नई दिल्ली. यह अलग बात है कि राम मंदिर (Ram Mandir)-बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आने के बाद अलग अलग चर्चाएं हो रही हैं. लेकिन बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं, जो कोर्ट के इस फैसले से खुश हैं. उन्हें चर्चाओं से कोई लेना-देना नहीं है. उल्टे ऐसे लोग भी सामने आगे आ रहे हैं जो सांप्रदायिक सद्भाव के लिए मंदिर और मस्जिद निर्माण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहते हैं. इसके लिए बहुत से अल्पसंख्यक मंदिर निर्माण को चंदा दे रहे हैं तो फैजाबाद के रहने वाले एक हिंदू राजनारायण ने मस्जिद के लिए 5 एकड़ ज़मीन देने की घोषणा की है.
असम से 6 लाख रुपये देने का इन्होंने किया ऐलान
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद असम के दो बड़े मुस्लिम संगठनों ने राम मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक मदद देने की पेशकश की है. जेएसपीए जैसे बड़े संगठन ने 6 लाख रुपये देने का ऐलान किया है. कहा जाता है कि इस एक संगठन से असम के 21 मुस्लिम संगठन जुड़े हुए हैं. जेएसपीए के अध्यक्ष सैयद मुनीमुल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि देश की एकता के लिए इस काम में समर्थन और आर्थिक मदद देकर हम भी इस ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा बनना चाहते हैं.
दूसरी ओर असम के नामी छात्र संगठन ऑल असम मोरिया युवा छात्र परिषद ने एक लाख रुपये देने की घोषणा की है. छात्र हितों के लिए काम करने वाले इस संगठन से बड़ी संख्या में मुस्लिम छात्र जुड़े हुए हैं.
एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष बिलाल ने भी दिया चंदा
राम मंदिर निर्माण का फैसला आने के बारे में एनएसयूआई आगरा के जिलाध्यक्ष बिलाल अहमद का कहना है, 'देश के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तहेदिल से स्वीकार किया है. हमने जिलाधिकारी को 1100 रुपए का चेक सौंपा है. हमारी दिली ख्वाहिश है कि जब भी राम मंदिर का निर्माण शुरू हो तो हमारी चार ईंट भी लगाई जाएं.' बिलाल अहमद ने इस धनराशि को राम मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट को भेजने और मंदिर का निर्माण जल्द शुरू करने की मांग की है.ये भी पढ़ें-
पुलिस ने चेकिंग के लिए बाइक रोकी तो युवक बोला, ‘मेरा भाई वकील है, जिन्होंने अभी तुम्हें पीटा था’
प्रदूषण से निजात के लिए दिल्ली में खुला ऑक्सीजन बार, 299 रुपये देकर लें 15 मिनट शुद्ध हवा
असम से 6 लाख रुपये देने का इन्होंने किया ऐलान
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद असम के दो बड़े मुस्लिम संगठनों ने राम मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक मदद देने की पेशकश की है. जेएसपीए जैसे बड़े संगठन ने 6 लाख रुपये देने का ऐलान किया है. कहा जाता है कि इस एक संगठन से असम के 21 मुस्लिम संगठन जुड़े हुए हैं. जेएसपीए के अध्यक्ष सैयद मुनीमुल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि देश की एकता के लिए इस काम में समर्थन और आर्थिक मदद देकर हम भी इस ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा बनना चाहते हैं.
दूसरी ओर असम के नामी छात्र संगठन ऑल असम मोरिया युवा छात्र परिषद ने एक लाख रुपये देने की घोषणा की है. छात्र हितों के लिए काम करने वाले इस संगठन से बड़ी संख्या में मुस्लिम छात्र जुड़े हुए हैं.

एनएसयूआई आगरा के जिलाध्यक्ष बिलाल अहमद का कहना है, 'देश के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तहेदिल से स्वीकार किया है.
एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष बिलाल ने भी दिया चंदा
राम मंदिर निर्माण का फैसला आने के बारे में एनएसयूआई आगरा के जिलाध्यक्ष बिलाल अहमद का कहना है, 'देश के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तहेदिल से स्वीकार किया है. हमने जिलाधिकारी को 1100 रुपए का चेक सौंपा है. हमारी दिली ख्वाहिश है कि जब भी राम मंदिर का निर्माण शुरू हो तो हमारी चार ईंट भी लगाई जाएं.' बिलाल अहमद ने इस धनराशि को राम मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट को भेजने और मंदिर का निर्माण जल्द शुरू करने की मांग की है.
Loading...
पुलिस ने चेकिंग के लिए बाइक रोकी तो युवक बोला, ‘मेरा भाई वकील है, जिन्होंने अभी तुम्हें पीटा था’
प्रदूषण से निजात के लिए दिल्ली में खुला ऑक्सीजन बार, 299 रुपये देकर लें 15 मिनट शुद्ध हवा
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए Delhi से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: November 18, 2019, 3:18 PM IST
Loading...