विधानसभा चुनाव 2018: राहुल गांधी ने की पीएम नरेन्द्र मोदी से दोगुनी रैलियां, क्या सीटें भी होंगी दोगुनी!
विधानसभा चुनाव 2018: राहुल गांधी ने की पीएम नरेन्द्र मोदी से दोगुनी रैलियां, क्या सीटें भी होंगी दोगुनी!
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पांच राज्यों में हुए चुनावों में अगर बीजेपी और कांग्रेस की जनसभाओं की तुलना की जाए तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी से ज्यादा मेहनत की थी.
राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में मंगलवार सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी. पांच राज्यों में हुए चुनावों में अगर बीजेपी और कांग्रेस की जनसभाओं की तुलना की जाए तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी से ज्यादा मेहनत की थी. मोदी ने 32 जबकि राहुल ने 77 रैलियां कीं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी के सामने अपना सियासी वजूद साबित करने का यह अंतिम मौका था. इसलिए उन्होंने ताबड़तोड़ सभाएं और रोड शो किए. देखना ये है कि क्या वे कांग्रेस की सीटें भी दोगुनी कर पाएंगे या नहीं? (इसे भी पढ़ें: मंदसौर में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली के क्या हैं मायने?)
'24 अकबर रोड' के लेखक रशीद किदवई के मुताबिक इन राज्यों में चुनावी सभाओं के दौरान कांग्रेस के सामने करो या मरो की स्थिति थी. कांग्रेस अगर इन राज्यों में चुनाव हारती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में असर पड़ेगा. अगर जीतती है तो यह मैसेज जाएगा कि कांग्रेस बीजेपी को हरा सकती है. इसलिए राहुल गांधी ने ज्यादा मेहनत की थी. उनके भाषण में पैनापन पहले के मुकाबले अधिक था. जाहिर है अगर वे मेहनत नहीं करेंगे तो उन्हें कौन पूछेगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी
दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषक आलोक भदौरिया का मानना है कि एमपी और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की 15-15 साल से सरकार है. राजस्थान में सत्ता विरोधी रुख है. ऐसे में भी अगर राहुल गांधी बीजेपी को हरा नहीं पाते हैं तो उनका सियासी कद बहुत घट जाएगा. लेकिन उन्होंने विपक्षी नेता के तौर पर कोई बहुत ज्यादा मेहनत नहीं की थी. पीएम मोदी ने इन पांच राज्यों में 32 रैलियां की थीं, उनके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी तो खूब जनसभाएं की थीं. उनकी पूरी कैबिनेट, कई राज्यों के सीएम इन चुनाव में लगे रहे. फिर हम कैसे कह सकते हैं कि राहुल ने 77 रैलियां करके कोई तीर मार लिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार के लिए जितनी ताकत अकेले गुजरात विधानसभा के चुनाव में झोंकी थी उससे भी कम ताकत इन पांच राज्यों में लगाई. इन राज्यों की 679 सीटों के लिए 32 रैलियां कीं जबकि गुजरात की 182 सीटों के लिए उससे ज्यादा 34 जगह रैली की थी. किदवई इसकी वजह बताते हैं "गुजराती होने की वजह से पीएम की साख सबसे ज्यादा गुजरात चुनाव में दांव पर लगी थी. इसलिए उन्होंने गुजरात जीतने के लिए एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से कहीं ज्यादा ताकत लगाई थी."
राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी (file photo)
11 दिसंबर सुबह आठ बजे से 5 राज्यों में वोटों की गिनती शुरू होगी. बीजेपी और कांग्रेस ने दोनों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के बाद सबसे ज्यादा ताकत राजस्थान में झोंकी है. पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां सबसे ज्यादा 12 सभाएं कीं हैं. मध्यप्रदेश में दस, तेलंगाना में पांच, छत्तीसगढ़ में चार और मिजोरम में एक रैली की है. दूसरी ओर मुख्य विपक्षी राहुल गांधी ने एमपी में 21, छत्तीसगढ़, राजस्थान में 20-20, तेलंगाना में 14 और मिजोरम में 2 रैलियां की थीं.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पीएम ने सबसे ज्यादा सीटों वाले यूपी में भी गुजरात से कम सभाएं की थीं. यहां उन्होंने 403 सीटों के लिए 24 रैलियों में शिरकत की थी. पीएम ने बिहार विधानसभा चुनाव में 31, और कर्नाटक में 21 रैलियां की थीं.