निर्भया गैंगरेप: जल्द फांसी पर लटकाए जा सकते हैं चारों दोषी, लेकिन तिहाड़ में नहीं है कोई जल्लाद
News18Hindi Updated: December 3, 2019, 5:39 PM IST

निर्भया गैंगरेप मामले के चारों दोषी (File Photo)
हैदराबाद में लेडी डॉक्टर गैंगरेप और मर्डर (Veterniary Doctor Gang Rape Murder) के बाद देश में रेप के दोषियों को फांसी की मांग उठने लगी है. इसे लेकर तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में सुगबुगाहट तेज हो गई है क्योंकि यहीं निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी बंद हैं.
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- Last Updated: December 3, 2019, 5:39 PM IST
(नवीन निश्चल)
नई दिल्ली. दिल्ली (Delhi) के उपराज्यपाल द्वारा निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape) के चारों दोषियों की दया याचिका खारिज करने के बाद और वहीं हैदराबाद में लेडी डॉक्टर हत्याकांड से देश में आए उबाल से तिहाड़ में बंद चारों कैदियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. एशिया की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में सजा काट रहे दोषियों की जान अब अधर में लटकती नजर आ रही है, क्योंकि इन्हें फांसी देने की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए अब तिहाड़ में भी इसकी सुगबुगाहट बढ़ रही है. लेकिन तिहाड़ जेल में कोई स्थायी जल्लाद (Hangman) नहीं है
हालांकि तिहाड़ जेल में अफजल गुरु को जब फांसी दी गई थी, तब मेरठ से जल्लाद मंगवाया गया था. तिहाड़ जेल में आखिरी कैदी अफजल गुरु ही था, जिसे फांसी पर लटकाया गया था. अफजल गुरु को 2001 में हुए संसद हमले का दोषी पाया गया था. जिसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी.
तिहाड़ जेल में 09 फरवरी 2013 को हुई थी आखिरी फांसीअफजल गुरु को 43 साल की उम्र में 09 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल के कारागार नंबर 3 में फांसी पर लटकाया गया था. लेकिन अफजल को फांसी पर लटकाने वाले जल्लाद का नाम आज तक गुप्त रखा गया है. यह 2 दशक बाद होने वाली फांसी थी, क्योंकि इससे पहले तिहाड़ जेल में ही साल 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी पर लटकाया गया था. उनके हत्यारों को फांसी पर चढ़ाने वाले जल्लादों का नाम कालू और फकीरा था.
तिहाड़ में कोई स्थायी जल्लाद नहीं है
बता दें, तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए कोई स्थायी जल्लाद नहीं है. जिसके बाद लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर वो जल्लाद कौन होगा?, जो निर्भया कांड के दोषियों को फांसी पर लटकाएगा. क्योंकि जितनी तेजी से हालात बदले हैं, इससे ऐसा लग रहा है कि कभी भी निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया जा सकता है. इसलिए पूरे देश की जनता अब उस पल के इंतजार में है, जब निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा. ऐसे में देखना यह होगा कि तिहाड़ जेल प्रशासन किन जल्लादों को इस सजा के लिए चुनते हैं?ये भी पढ़ें:
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नई दिल्ली. दिल्ली (Delhi) के उपराज्यपाल द्वारा निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape) के चारों दोषियों की दया याचिका खारिज करने के बाद और वहीं हैदराबाद में लेडी डॉक्टर हत्याकांड से देश में आए उबाल से तिहाड़ में बंद चारों कैदियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. एशिया की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में सजा काट रहे दोषियों की जान अब अधर में लटकती नजर आ रही है, क्योंकि इन्हें फांसी देने की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए अब तिहाड़ में भी इसकी सुगबुगाहट बढ़ रही है. लेकिन तिहाड़ जेल में कोई स्थायी जल्लाद (Hangman) नहीं है
हालांकि तिहाड़ जेल में अफजल गुरु को जब फांसी दी गई थी, तब मेरठ से जल्लाद मंगवाया गया था. तिहाड़ जेल में आखिरी कैदी अफजल गुरु ही था, जिसे फांसी पर लटकाया गया था. अफजल गुरु को 2001 में हुए संसद हमले का दोषी पाया गया था. जिसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी.
तिहाड़ जेल में 09 फरवरी 2013 को हुई थी आखिरी फांसीअफजल गुरु को 43 साल की उम्र में 09 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल के कारागार नंबर 3 में फांसी पर लटकाया गया था. लेकिन अफजल को फांसी पर लटकाने वाले जल्लाद का नाम आज तक गुप्त रखा गया है. यह 2 दशक बाद होने वाली फांसी थी, क्योंकि इससे पहले तिहाड़ जेल में ही साल 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी पर लटकाया गया था. उनके हत्यारों को फांसी पर चढ़ाने वाले जल्लादों का नाम कालू और फकीरा था.
तिहाड़ में कोई स्थायी जल्लाद नहीं है
बता दें, तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए कोई स्थायी जल्लाद नहीं है. जिसके बाद लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर वो जल्लाद कौन होगा?, जो निर्भया कांड के दोषियों को फांसी पर लटकाएगा. क्योंकि जितनी तेजी से हालात बदले हैं, इससे ऐसा लग रहा है कि कभी भी निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया जा सकता है. इसलिए पूरे देश की जनता अब उस पल के इंतजार में है, जब निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा. ऐसे में देखना यह होगा कि तिहाड़ जेल प्रशासन किन जल्लादों को इस सजा के लिए चुनते हैं?ये भी पढ़ें:
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First published: December 3, 2019, 4:58 PM IST