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हवा में जहर: दिल्ली-NCR के अस्पतालों में सांस के मरीजों की बढ़ने लगी है तादाद

दिल्ली-एनसीआर के सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है.

दिल्ली-एनसीआर के सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है.

दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) को अभी भी राहत मिलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक हवा जहरीली ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) के बीच अस्पतालों में सांस के मरीजों (Respiratory Patients) की संख्या भी बढ़ने लगी है. दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों (Hospitals) में सांस के मरीजों की संख्या में पिछले तीन-चार दिनों में बेतहाशा तेजी आई है. सांस के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दिल्ली के कई निजी अस्पतालों ने ओपीडी टाइमिंग (OPD Timing) बढ़ा दी है. दिल्ली सरकार (Delhi Government) के स्वास्थ्य विभाग ने भी दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों को सांस के मरीजों के लिए एक विशेष एडवायजरी जारी की है. वायु के खतरनाक स्तर को देखते हुए दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में पहले की तुलना में 25 से 30 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है.

बता दें कि बीते शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए दिल्ली-एनसीआर में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की थी और 5 नवंबर तक दिल्ली-एनसीआर में सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया था. सुप्रीम कोर्ट इस मसले को लेकर सोमवार को भी एक अहम सुनवाई करने जा रही है.

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी खतरनाक
शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में जहरीली धुंध से थोड़ी बहुत राहत जरूर मिली, लेकिन ये राहत इतनी नहीं थी कि लोग घर से बाहर निकल सकें. शनिवार को भी दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का लेवल खतरनाक बना रहा. सुबह से लेकर शाम तक प्रदूषण के स्तर में कोई कमी नहीं आई. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक लोधी रोड इलाके में पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनों का एयर क्वालिटी इंडेक्स लेवल 500 पार था, जो कि एक गंभीर श्रेणी' में आता है. दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 480 के आस-पास रह रहा है, जो कि काफी खतरनाक है. वहीं नोएडा और गुरुग्राम में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल 580 को पार कर गया.

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दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया है.


दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल में प्रोफेसर डॉ. नरेश कुमार न्यूज 18 हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए इस मौसम में खासकर सांस के मरीजों को विशेष ख्याल रखना पड़ता है. पिछले कुछ दिनों से ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या में पहले की तुलना में काफी तेजी आई है. सांस के मरीजों को इस मौसम में काफी संभल कर रहना पड़ता है. इस मौसम में सांस के मरीजों का हालत ज्यादा खराब हो जाती है. उन मरीजों के लिए हमलोग या तो दवा का डोज बढ़ाते हैं या फिर अस्पताल में भर्ती कर लेते हैं.'

सांस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी
डॉ. नरेश कहते हैं, 'जो सांस के मरीज नहीं भी होते हैं उनको भी इस मौसम में सांस लेने में दिक्कत होती है और सीने में खिंचाव महसूस होता है. ऐसे में उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इस मौसम में सांस के मरीजों को दवाई बिल्कुल नहीं छोड़नी चाहिए.’

इधर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली-एनसीआर के आनंद विहार, पटपड़गंज, सरिता विहार, ओखला, गाजियाबाद में 460 के आस-पास और नोएडा में एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल 578 के आस-पास रहा. दिल्ली से सटे गुरुग्राम का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी 585 के आस-पास रहा.

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शनिवार को दिल्ली-एनसीआर का औसतन पीएम-2.5 का लेवल 480 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा


शनिवार को दिल्ली-एनसीआर का औसतन पीएम-2.5 का लेवल 480 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा वहीं पीएम-10 का लेवल भी 400 और 500 के बीच रहा. भारत में पीएम-2.5 का मानक लेवल 60 और पीएम-10 का मानक लेवल 100 माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

कुलमिलाकर गैस चेंबर बने दिल्ली-एनसीआर को अभी भी राहत मिलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक हवा जहरीली बनी रही. प्रदूषण की वजह से दिल्ली में हेल्थ इमर्जेंसी लगाई जा चुकी है, इसके साथ ही 5 नवंबर तक दिल्ली के सभी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है.

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दिल्ली के प्रदूषण पर आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट


प्रदूषण से बिगड़ते हालात को देखते हुए सोमवार को एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. ऐसा कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ईपीसीए की रिपोर्ट पर सरकार से सवाल-जवाब कर सकती है. ईपीसीए कि रिपोर्ट में दिल्ली-एनसीआर में कचरा जलाने, फैक्ट्रियों के जहरीले पदार्थ को बहाने और निर्माण स्थलों पर धूल की रोकथाम के कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है.

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