स्वतंत्रता संग्राम के नायक: भगत सिंह और महात्मा गांधी
जनता भले ही महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कहती हो लेकिन भारत सरकार की नजर में वह राष्ट्रपिता नहीं हैं. इसी तरह शहीद-ए-आजम भगत सिंह को भी हमारी सरकार शहीद नहीं मानती है. ये दोनों जानकारियां केंद्र सरकार से सूचना के अधिकार (आरटीआई/RTI) के तहत मिली हैं. शनिवार को हम 70वां गणतंत्र मना रहे हैं. देश की आजादी में योगदान को देखते हुए कोई गांधी को राष्ट्रपिता बताते हुए तो कोई भगत सिंह को शहीद बताते हुए याद करेगा, लेकिन सच्चाई तो ये है कि आजादी के 72 साल बाद भी आधिकारिक रूप से दोनों को यह दर्जा नहीं दिया गया है. यह जनता की अघोषित मान्यता है.
हरियाणा के मेवात निवासी राजुद्दीन जंग ने जुलाई 2012 में प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई के माध्यम से पूछा था कि मोहनदास करमचंद गांधी को देश-विदेश में किन-किन नामों से जाना जाता है. राष्ट्रपिता, महात्मा, बापू आदि नाम कैसे पड़े.
राजुद्दीन का कहना है कि पीएमओ ने यह आरटीआई संस्कृति मंत्रालय को ट्रांसफर कर दिया. वहां से जवाब आया कि ‘मंत्रालय के दस्तावेजों को जांचने के बाद पता चला है कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि नहीं दी गई, तथा इसे देने संबंधित कोई सबूत उपलब्ध नहीं है’. सरकारी रिकॉर्ड में मोहनदास करमचंद गांधी नाम उपलब्ध है. ‘राष्ट्रपिता’ को सरकारी मान्यता नहीं
...तो फिर किसने दी राष्ट्रपिता की उपाधि?
नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सबसे पहले 1944 में एक रेडियो संबोधन में गांधी को 'राष्ट्रपिता' कहा था. हालांकि तारीख को लेकर विवाद है. बताया गया है कि 4 जून 1944 को बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुये गांधी को ‘देश का पिता’ कहकर संबोधित किया था. इसके बाद 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रेडियो सिंगापुर से एक संदेश प्रसारित करते हुए गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया. 30 जनवरी, 1948 को गांधी जी की हत्या होने के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो पर राष्ट्र को संबोधित किया और कहा कि ‘राष्ट्रपिता अब नहीं रहे’. गांधी को सबसे पहले सुभाषचंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहा था Photo-Getty
गांधी को किसने कहा महात्मा?
गांधी को सबसे पहले महात्मा किसने कहा, इसे लेकर भी विवाद है. आमतौर पर यह बताया जाता है कि 12 अप्रैल, 1919 को रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्हें ‘महात्मा’ का संबोधन किया था. जबकि कुछ विद्वानों का मत है कि 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने सबसे पहले उन्हें महात्मा नाम से संबोधित किया. सरकारी रिकॉर्ड में शहीद नहीं हैं भगत सिंह
सरकारी दस्तावेजों में भगत सिंह शहीद नहीं
सरकार भगत सिंह को शहीद नहीं मानती है. इसका खुलासा भी आरटीआई में हुआ. अप्रैल 2013 में केंद्रीय गृह मंत्रालय में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लेकर एक आरटीआई डाली गई. जिसमें पूछा गया कि भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को शहीद का दर्जा कब दिया गया. यदि नहीं तो उस पर क्या काम चल रहा है? इस पर नौ मई को गृह मंत्रालय का जवाब आया कि इस संबंध में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है. शहीद भगत सिंह
इसी सवाल पर 2016 में प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई डाली गई. अक्टूबर 2016 में फिर वही जवाब आया. पीएमओ ने आरटीआई गृह मंत्रालय को रेफर कर दी. गृह मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में उसके पास कोई रिकार्ड नहीं है. यह हाल तब है जब मामला राज्यसभा में उठने के बाद 19 अगस्त 2013 को सरकार ने सदन में कहा था कि वह भगत सिंह को शहीद मानती है. रिकॉर्ड सुधारने का वादा किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं. भगत सिंह से जुड़ा मामला लोकसभा में भी उठ चुका है लेकिन अब तक सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें शहीद नहीं माना गया है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Bhagat Singh, BJP, Congress, Government of India, Mahatma gandhi, Republic day
39 साल में भी कंवारी है ये एक्ट्रेस, 'बाहुबली' स्टार से रहा अफेयर, नहीं करना चाहती शादी, क्योंकि..
Redmi Note 12 5G के नए वेरिएंट की भारत में एंट्री, 6 अप्रैल से शुरू सेल, कंपनी ने दी कीमत की जानकारी
OTT पर मौजूद हैं बेस्ट 'फील गुड' मूवीज, शाहरुख की 'डियर जिंदगी' से आमिर की 'दिल चाहता है' तक, यहां सब मिलेगा