मायावती और अखिलेश यादव ने शनिवार को सपा-बसपा के गठबंधन का ऐलान किया.
लोकसभा 2019 चुनावों के लिए सपा-बसपा के बीच गठबंधन हुआ है, लेकिन दोनों ही पार्टियां कांग्रेस को लेकर भी नरम हैं. अमेठी और रायबरेली की सीट सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए छोड़ना भी उनके नरम रुख को दिखाता है. ये अलग बात है कि जिन शर्तों या सियासी फायदे के लिए ये दो सीट छोड़ी गई हैं वो अभी साफ नहीं है.
लेकिन सपा-बसपा का ये कदम एक इशारा जरूर दे गया है. इशारा ये कि कांग्रेस के गठबंधन से बाहर होने के बाद भी दांव-पेंच वाला गठबंधन जरूर निभाया जाएगा. इस बारे में न्यूज18 यूपी के एक्जीक्यूटिव एडिटर अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है, “सपा-बसपा यूपी में कांग्रेस को उन 6 सीटों पर भी फायदा पहुंचाएंगे जहां कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनावों में दूसरे नम्बर पर रही थी."
उन्होंने कहा, "इन 6 सीटों पर सपा-बसपा अपने उम्मीदवार तो खड़े करेंगी लेकिन वो ऐसे उम्मीदवार होंगे जो कांग्रेस उम्मीदवार के सामने कमजोर साबित होंगे. इन 6 सीटों में सहारनपुर, कानपुर और गाज़ियाबाद की अहम सीटें भी शामिल हैं.”
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस भी चुनाव के दौरान कुछ इसी तरह के दांव-पेंच चलने वाली है. कांग्रेस सपा-बसपा के नरम रुख के बदले जहां कांग्रेस कमजोर होगी वहां सपा-बसपा उम्मीदवार के सामने ऐसे उम्मीदवार खड़ा करेगी जो बीजेपी के वोट काटने वाले साबित हों. इसके लिए कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि वह इस तरह की सीट पर बीजेपी के बागियों को मौका देगी.
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2014 में कांग्रेस इन 6 सीट पर बीजेपी के सामने दूसरे नम्बर पर थी
सीट अंतर
सहारनपुर- बीजेपी 472999 कांग्रेस 407909- 65090
लखनऊ, बीजेपी 561106 कांग्रेस 288357- 272749
कानपुर, बीजेपी 474712 कांग्रेस 251766- 222946
बाराबंकी, बीजेपी 454214 कांग्रेस 242336- 211878
कुशीनगर बीजेपी 370051 कांग्रेस 284511- 85540
गाजियाबाद, बीजेपी 758482 कांग्रेस 191222- 567260
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