सांकेतिक तस्वीर.
बीजेपी की ओर से शुरू किया गया 'भारत के मन की बात' अभियान बड़ी रणनीति का हिस्सा है. इसके बहाने देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं को एक्टिव किया जाएगा. लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले मेनिफेस्टो को लेकर ‘प्रचार’ से पहले ही 10 करोड़ परिवारों यानी करीब 50 करोड़ लोगों तक पार्टी का संदेश पहुंचाया जाएगा. पार्टी रणनीतिकारों के मुताबिक यह कोशिश चुनावी रिहर्सल है, जिसका फायदा मिलेगा. जब खुद जनता से पूछा जाएगा कि हमारा मेनिफेस्टो कैसा हो, तो पार्टी और वोटर के बीच एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा होगा. (ये भी पढ़ें: 2019 में पीएम मोदी के ‘न्यू इंडिया’ को ‘किसानों के भारत’ से चुनौती)
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश में 83.4 करोड़ मतदाता थे. जिसमें से 54.8 करोड़ ने वोट डाले. इसमें से सबसे ज्यादा 17,16,60,230 मतदाताओं ने बीजेपी को वोट किया. 31.34 फीसदी वोट के साथ वो सबसे बड़ी पार्टी थी. इस बार बीजेपी को घेरने के लिए यूपी और बिहार में विपक्ष का गठबंधन हो चुका है. ऐसे में उसके सामने अपना वोट बैंक सहेज कर रखने की चुनौती है. ऐसे में उसने 10 करोड़ परिवारों के साथ 50 करोड़ मतदाताओं तक पहुंचने का ये प्लान बनाया है.
अमित शाह और नरेंद्र मोदी (file photo)
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के मुताबिक 'भारत के मन की बात - मोदी के साथ', संकल्प पत्र के लोकतांत्रीकरण का ये अनूठा प्रयोग है. 10 करोड़ परिवार कैसा देश चाहते हैं ये बात उनसे जानी जाएगी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह का दावा है कि 'देश में पहली बार कोई राजनीतिक दल अपना संकल्प पत्र बनाने के लिए इतने बड़े स्तर पर जनसंपर्क करने जा रहा है.
4000 हजार विधानसभा क्षेत्रों में 7700 सुझाव पेटियां लोगों के बीच जाएंगी. जिससे जनता के मूड का पता चलेगा और कार्यकर्ता एक्टिवेट हो जाएगा. केंद्रीय के अलावा राज्यवार भी घोषणापत्र तैयार होंगे. ताकि क्षेत्रीय उम्मीदों को भी जगह दी जा सके. जनता से मिले सुझावों को देखने के लिए बीजेपी ने राज्य मुख्यालयों पर 20-20 लोगों को लगाया है. जबकि केंदीय मुख्यालय में 30 लोगों की टीम इसे अंतिम रूप देगी.
हालांकि, ‘24 अकबर रोड’ के लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं “बीजेपी को मेनिफेस्टो बनाने की क्या जरूरत है. बजट भी मेनिफेस्टो ही था. कोई भी पार्टी अपना मेनिफेस्टो कैसे बनाती है और उसमें क्या वादे करती है ये मायने नहीं रखता. मायने ये रखता है उसने पुराने मेनिफेस्टो में जो वादे किए थे उसे पूरा किया या नहीं.”
2014 के मुकाबले बीजेपी के सामने बढ़ी है चुनौती
किदवई के मुताबिक “जो सत्ता में हैं उनसे जनता सवाल पूछ सकती है कि उन्होंने ये काम पहले क्यों नहीं किया. ये बात जरूर है कि मेनिफेस्टो के लिए सुझाव के जरिए बीजेपी चुनाव से पहले ही मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश करेगी. बाकी राजनीतिक दलों के मुकाबले बीजेपी कार्यकर्ता ज्यादा सक्रिय हैं.”
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