प्रवीण तोगड़िया के उपवास पर विश्व हिंदू परिषद का 'मौन'
प्रवीण तोगड़िया के उपवास पर विश्व हिंदू परिषद का 'मौन'
तोगड़िया इन दिनों केंद्र सरकार पर हमलावर हैं
14 अप्रैल को गुरुग्राम में हुए वीएचपी चुनाव से पहले ही तोगड़िया के 'अन्न त्याग सत्याग्रह' और मांगों से जुड़े दो बैनर तैयार हो चुके थे. उन्होंने प्रेस नोट तैयार रखा था कि परिणाम आते ही हमें क्या कहना है
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) में अपने खासमखास राघव रेड्डी को हारने के बाद गुस्साए प्रवीण तोगड़िया मंगलवार 17 अप्रैल से अहमदाबाद में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठने वाले हैं. सबसे बड़े हिंदू नेताओं में शुमार तोगड़िया के मोर्चा खोलने के बाद संगठन ने उनके बारे में कुछ न बोलने का निर्णय लिया है. यानी उपवास के मुकाबले 'मौन'.
परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन से जब हमने पूछा कि क्या हिंदुत्व, राम मंदिर व गोरक्षा के मसले पर कट्टर हिंदू भी अब बंट नहीं जाएगा? उन्होंने कहा, "हिंदुओं ने मुगलों का आक्रमण झेला तो भी नहीं टूटे, अपनों के भी झेल रहे हैं तो भी नहीं टूटेंगे. तोगड़िया ने खुद कहा है कि वो अब वीएचपी में नहीं हैं इसलिए विश्व हिंदू परिषद अब उनके बारे में अपनी कोई राय नहीं देगी. हम उनकी किसी भी बात और एक्शन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे."
जैन ने कहा "उनके उपवास का संगठन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हिंदू की शक्ति कभी न तो कम हुई न होगी. ये दौर किसी व्यक्ति का नहीं, हिंदुत्व का है. राम मंदिर से जुड़ा मुद्दा किसी व्यक्ति का नहीं हैं. ये संत तय करते हैं. धर्म संसद ने तय किया है. व्यक्ति आते जाते रहेंगे. ये हिंदू समाज का ऐसा संकल्प है जो पूरा हुए बिना रुकने वाला नहीं है. "
प्रवीण तोगड़िया अब किसानों, मजदूरों की भी बात करेंगे
तोगड़िया हिंदुओं, किसानों, युवाओं, मजदूरों, महिलाओं के मुद्दे को लेकर मंगलवार से अहमदाबाद में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठने वाले हैं. ये मुद्दे ऐसे हैं जिन पर सरकार पहले से चिंतित है. ऐसे में हिंदू कैंप के एक बड़े चेहरे द्वारा इन मसलों पर सरकार से जवाब मांगने से सियासत गरमा सकती है.
तोगड़िया ने कहा "मैं पद पर रहूं या नहीं लेकिन राम मंदिर के लिए संसद में कानून बनाने की मांग नहीं छोड़ूंगा, मैं गद्दार का वंशज नहीं. मैं आगे भी 100 करोड़ हिंदुओं की आवाज उठाता रहूंगा. देश के लाखों कार्यकर्ताओं का आह्वान है कि मेरे साथ जैसे जुड़े थे वैसे जुड़े रहो. हम ही संसद में कानून बनवाकर राम मंदिर बनवाएंगे. गौहत्या बंदी का कानून और कॉमन सिविल कोड बनवाएंगे, कश्मीर के हिंदुओं को अपने घरों में बसाएंगे. किसानों को चुनावी जुमला नहीं डेढ़ गुना मूल्य दिलाएंगे."
तोगड़िया को पहले ही हो गया था पत्ता कटने का एहसास!
विश्व हिंदू परिषद से पत्ता कटने का तोगड़िया को पहले ही एहसास हो चुका था. इसीलिए उन्होंने कहा, "मुझे जिम्मेदारी मिले न मिले, मैं कैंसर सर्जन हूं, फिर से इलाज शुरू कर दूंगा. राम मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करता रहूंगा." यही नहीं 14 अप्रैल को गुरुग्राम में हो रहे चुनाव से पहले उनके अन्न त्याग सत्याग्रह और मांगों से जुड़े दो बैनर तैयार हो चुके थे. प्रेसनोट तैयार रखा था कि परिणाम आते ही हमें क्या कहना है.
गुरुग्राम के सिविल लाइन रोड स्थित जिला उपायुक्त कार्यालय के पास सड़क पर मीडिया का जमावड़ा था. दोपहर बाद 4.13 बजे विहिप के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी परिणाम की जानकारी देने पहुंचे. पांच-सात मिनट में वे वापस चुनाव स्थल पर चले गए. तब तक 4.30 बजे बगावती तेवर में तोगड़िया कैंप के लोग अपने नेता के साथ पत्रकारों के पास आए. देखते ही देखते यहां अन्न त्याग का बैनर भी लगा दिया गया...
तोगड़िया के मुंह से मजदूरों, किसानों की बात
जानकार बताते हैं कि तोगड़िया ने शायद ही पहले कभी किसान, मजदूर, महिलाओं और युवाओं की बात उतनी जोर से कही हो जितनी अब कह रहे हैं. बताया जाता है कि कई मौकों पर पीएम नरेंद्र मोदी की निंदा करने के चलते तोगड़िया से आरएसएस और बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व नाराज था, इसीलिए उन्हें वीएचपी से किनारे लगा दिया गया.
भगवा ब्रिगेड में सियासत: तोगड़िया के सत्याग्रह का क्या होगा असर?
इसके लिए संगठन के 54 साल के इतिहास में पहली बार चुनाव करवाना पड़ा. माना जा रहा था कि चुनाव हारने के बाद वह सरकार पर हमलावर होंगे और ऐसा ही हुआ. वीएचपी में अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष ही अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष चुनता है. पिछले दो बार से अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर चुने जा रहे राघव रेड्डी अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष की कुर्सी पर प्रवीण तोगड़िया को बैठाते आ रहे थे.